लुकाछिपी के बाद पेशी और फिर अनिल देशमुख की गिरफ्तारी… महाराष्ट्र में राजनीतिक हड़कंप

अनिल देशमुख पर पुलिस अधिकारियों से 100 करोड़ रुपये की वसूली के लिए दबाव बनाने का कथित आरोप है। यह प्रकरण मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह के पत्र से खुला था।

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महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख सोमवार सुबह प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष पेश हुए थे। उन्हें रात लगभग 12 बजे के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। इसके पहले लगभग 12.30 घंटे तक उनसे पूछताछ की गई थी, और धन शोधन रोकथाम अधिनियम 19 के अतंर्गत उन पर कार्रवाई की गई।

अनिल देशमुख पर पुलिस अधिकारियों से 100 करोड़ रुपये की वसूली के लिए दबाव बनाने का कथित आरोप है। यह प्रकरण मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह के पत्र से खुला था। जिसने इतना तूल पकड़ा कि अप्रैल 2021 में गृहमंत्री के पद से अनिल देशमुख को त्यागपत्र देना पड़ा।

इस प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय ने अपने पास ले ली। जिसके बाद अनिल देशमुख को पूछताछ के लिए समन भेजा गया था। इसके अलावा प्रवर्तम निदेशालय नागपुर स्थित अनिल देशमुख के ट्रस्ट से जुड़े 4.18 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेन-देन के संबंध में भी देशमुख से पूछताछ करना चाहता था।

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वाझे का बयान दर्ज
प्रवर्तन निदेशालय ने 19 मई और 21 मई को तलोजा जेल में बंद मुंबई पुलिस के पूर्व पुलिस उपनिरिक्षक सचिन वाझे का बयान दर्ज किया था। इसमें सचिन वाझे ने बताया कि, “उसे देशमुख ने अपने आधिकारिक आवास पर बुलाया था और उन्हें बार और रेस्टारेंट से 3 लाख रुपये प्रति माह लेने को कहा गया, इसके लिए उन्हें बार मालिकों की सूची सौंपी गई थी। इसके बाद वाझे ने विभिन्न बार मालिकों के साथ बैठकें की और कहा कि उन्होंने दिसंबर 2020 और फरवरी 2021 के बीच उनसे लगभग 4.7 करोड़ रुपये एकत्र किए थे। वाझे ने बताया कि उसने दो बार जनवरी और फरवरी 2021 में देशमुख के तत्कालीन निजी सहायक कुंदन शिंदे को पैसे सौंपे थे।

धन शोधन रोकथाम अधिनियम के अंतर्गत प्रकरण दर्ज
सितंबर में, प्रवर्तन निदेशालय ने चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में देशमुख के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 174 (लोक सेवक के आदेश का पालन न करने) के समन का पालन न करने के लिए एक आवेदन दिया था, देशमुख को कुल पांच समन भेजे गए थे, परंतु वे पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय के कार्यालय में प्रस्तुत नहीं हुए थे। इससे पहले, 18 जुलाई को, ईडी ने नागपुर के पास कटोल में देशमुख के घर और वहीं के वाडविहिरा गांव में उनके परिवार के घर की तलाशी ली थी। अगले दिन, देशमुख ने एक वीडियो बयान जारी किया था और बताया था कि एक बार सुप्रीम कोर्ट में उनकी याचिका का नतीजा पता चलने के बाद, वह ईडी के सामने पेश होंगे और अपना बयान दर्ज कराएंगे।

जुलाई में, प्रवर्तन निदेशालय ने धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के अंतर्गत देशमुख उनकी पत्नी आरती और परिवार की कंपनी, प्रीमियर पोर्ट लिंक्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर 4.20 करोड़ रुपये की संपत्ति भी अस्थायी रूप से कुर्क की थी। कुर्क की गई संपत्ति वर्ली में एक अपार्टमेंट के रूप में थी, जिसकी कीमत 1.54 करोड़ रुपये थी, और 2.67 करोड़ रुपये के बुक वैल्यू के 25 भूमि पार्सल, उरण के धूतुम गांव में स्थित थे।

प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉंडरिंग के आरोप में देशमुख और अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 120-बी और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम, 1988 की धारा 7 के तहत प्राथमिकी के आधार पर 11 मई को जांच शुरू की। इसके अंतर्गत मुंबई के बार, रेस्टारेंट और अन्य प्रतिष्ठानों से प्रति माह 100 करोड़ रुपये के धन संग्रह के लिए अपने सार्वजनिक कर्तव्य का उपयोग करके अनुचित और गलत लाभ प्राप्त करने का आरोप है।

ईडी ने 25 जून को देशमुख के निजी सचिव संजीव पलांडे और निजी सहायक कुंदन शिंदे को धनशोधन रोकथाम कानून के तहत गिरफ्तार किया था और मामले में अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया था।

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