‘विवाद पुरुष’ दिग्विजय… बक-बक पर उमटा सोशल संताप

दिग्विजय सिंह और विवादों का लंबा इतिहास रहा है। 2003 में उमा भारती ने नाम दिया था 'मिस्टर बंटाधार' और उसी वर्ष हुए विधान सभा चुनाव में, जो दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में लड़ा गया था, उसमें कांग्रेस का बंटाधार हो गया। तब से दिग्विजय सिंह का कार्य 'विवाद पुरुष' के अलावा कुछ नहीं बचा है।

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कांग्रेस की कोई किताब ‘वीर सावरकर’ का नाम लिये बिना प्रसिद्ध नहीं हो सकती है! देश में सत्तर साल कर शासन करनेवाली कांग्रेस, विकास की परिपाटी पर खरी नहीं उतरी। जिसके कारण उसके वह नेता जिन्हें विकास पुरुष के रूप में लोग जामते थे, उन्हें विवाद पुरुष बनकर काम करना पड़ रहा। इसकी पुनरावृत्ति लखनऊ में हुई, जहां सलमान खुर्शीद की किताब का विमोचन था और अतिथि थे विवादों से बर्बाद और नाम के दिग्विजय…. दिग्गी राजा। उन्होंने स्वातंत्र्यवीर सावरकर के हिंदुत्व का जो व्यख्यान किया उसके बाद कांग्रेस और दिग्गी राजा को लोगों ने छठी का दूध याद दिला दिया।

कुछ ट्वीट पढ़ने लायक थे, जिन्हें दिग्गी देख लें तो हो सकता है कुछ सुधर जाएं। वैसे उनके विचारों पर सोशल संताप ऐसा उमटा है कि उसे समाचार में दिखाया या पढ़ाया नहीं जा सकता। परंतु, कुछ का अर्थ भले ही दिग्विजय को औकात दिखाने का हो, लेकिन उसकी लेखनी का स्तर ऐसा लगा कि पाठकों को भी पढ़ना चाहिए।

https://twitter.com/iharshpatel_/status/1458443681434849293

हर्ष पटेल नामक एक ट्विटर उपयोगकर्ता ने लिखा है, ‘स्वतंत्रता सेनानियों के परिप्रेक्ष्य में हिंदुत्व पर बात करना राजनीतिक मंच पर बड़ा आसान है। प्रयत्न करिये इस्लामी दक्षिण पंथियों के बारे में मंच से बात करने की। पाकिस्तान, बांग्लादेश बना दिये गए, कश्मीरी हिंदुओं को पिछले 100 वर्षों में पलायन ही मिला है। कांग्रेस इस पर चुप रहेगी!’

गुड्डू नामक एक ट्विटर यूजर लिखती हैं, ‘भूरापुर में लोगों ने सच कहें तो जूतों से मारा था उन्हें, भागकर के गाड़ी में बैठ गया था।

राजेश सिंह नामक एक ट्विटर यूजर ने तो कांग्रेस की बखिया ही उधेड़ दी।

ईश्वर प्रसाद नामक एक ट्विटर यूजर ने इतिहास के पन्नों से दिग्विजय को उत्तर दिया है।

प्रवीण सिंह लिखते हैं हिंदुत्व का वैसे ही हिंदुइज्म से कोई संबंध नहीं है, जैसे पाकिस्तान और कसाब का 26/11 मुंबई हमलों से कोई लेनादेना नहीं था।

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