उम्र को ‘मैनेज’ नहीं कर पाए अहमद

133

कांग्रेस कार्यकर्तांओं और पार्टी हाई कमान की मजबूत कड़ी 71 वर्ष के अहमद पटले का निधन हो गया। वे पिछले करीब एक महीने से बीमार चल रहे थे और मेदांता अस्पताल में भर्ती थे। बिहार चुनाव के बाद पार्टी में जारी अंदरुनी कलह के दौर में कांग्रेस को उनकी कमी विशेष रुप से खल रही थी और अब ये कमी शायद काग्रेस को हमेशा खलती रहेगी। पार्टी को अब तक मैनेज करनेवाले अहमद पटेल अपनी उम्र को मैनेज करने मेें असफल हो गए।

लो प्रोफाइल नेता
हमेशा लोप्रोफाइल रहनेवाले अहमद पटेल तीन बार लोकसभा में कांग्रेस के सांसद रहे। पांच बार कांग्रेस की तरफ से राज्य सभा सांसद चुने गए। कांग्रेस में उन्हें अघोषित रुप से गांधी परिवार के बाद नंबर दो का नेता माना जाता था। हालांकि पटेल की पहचान हमेशा लो प्रोफाइल नेता के रुप में रही। इंदिरा गांधी के समय से खास रहे पटेल की नजदीकियां गांधी परिवार से वक्त के साथ बढ़ती गईं।

आपात काल में जीत दर्ज कर बनाई थी पहचान
वर्ष 1977 में आपातकाल समाप्त होने के बाद जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने चुनावों का ऐलान किया तो उन्होंने गुजरात से एक युवा चेहरे को भरुच सीट से मैदान में उतारा। वो युवक अपनी जबर्दस्त संगठन क्षमता के कारण इंदिरा गांधी की नजरों में आया था। 77 के उस चुनाव में जब जनता पार्टी की लहर पूरे देश में थी, तब इस युवक ने भरुच लोकसभा सीट से जीतकर सबको हैरान कर दिया।वो युवक अहमद पटेल थे।

और गांधी परिवार के खास होते चले गए
इसके बाद पटेल इंदिरा गांधी के खास होते चले गए। पिछले कुछ वर्षों में उन्हें सोनिया गांधी का सबसे भरोसेमंद सहयोगी और पार्टी का थिंक टैंक माना जाता था। वर्ष 2017 में जब गुजरात में राज्यसभा चुनाव में बीजेपी ने सारी शक्ति झोंक दी थी, उसके बावजूद जिस तरह पटेल वहां से चुनकर आए, उससे उनकी राजनैतिक समझ का पता चलता है। सबसे अहम बात यह है कि इस चुनाव को सोनिया गांधी की हार-जीत के रुप में देखा जा रहा था। यह इस बात का सबूत है कि सोनिया गांधी के राजनैति सलाहकार रहे अहमद पटले की गांधी परिवार में काफी अहमियत थी।

जमे रहे अहमद पटेल
पिछले दशकों में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की स्थिति गांधी परिवार में बदलती रही, लेकिन अहमद पटेल मजबूत चट्टान की तरह अपनी जगह पर जमे रहे और हमेशा गांधी परिवार के करीबी बने रहे।

इस तरह आए राजीव गांधी के करीब
अहमद पटेल जब आपातकाल के बाद 1977 में विपक्ष की लहर के बावजूद लोकसभा के चुनाव जीतने में सफल रहे तो वो इंदिरा के और करीब आ गए। लेकिन कांग्रेस की पहली पंक्ति के नेता वे वर्ष 1980 और 84 के मध्य बने। जब इंदिरा गांधी राजीव गांधी को राजनीति का प्रशिक्षण दे रही थीं तो पटेल को राजीव के साथ रखा गया था। उन्होंने उस समय भी वफादारी और जिम्मेदारी दोनों निभाई और वे गांधी परिवार के करीब होते चले गए।

राजीव गांधी के सलाहकार
राजीव गांधी को अहमद पटेल के रुप में एक सच्चा सलाहकार और सहयोगी मिल गया था। वे उन पर बहुत भरोसा करते थे। गुजरात के तमाम मामलों में वो सबसे खास सलाहकार माने जाते थे। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी 1984 में लोकसभा की 400 सीटों पर जीत हासिल कर बहुमत में आए थे। तब अहमद पटेल कांग्रेस सांसद होने के साथ ही पार्टी के संयुक्त सचिव बनाए गए। उसके बाद सचिव और फिर कांग्रेस के महासचिव भी बनाए गए।

नरसिंहा राव ने हाशिये पर डाला
राजीव गांधी की मृत्यु के बाद जब पीवी नरसिंहा राव प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने पटेल को गांधी परिवार के करीबी होने के बावजूद हाशिये पर कर दिया। तब उन्हें कांग्रेस वर्किंग कमेटी की सदस्यता के साथ ही सभी पदों से हटा दिया गया। हालांकि उसके कुछ समय बाह उन्होंने पटेल को मंत्री बनाने की पेशकश की थी। लेकिन पटेल ने उसे ठुकरा दिया था। कारण साफ था, गांधी परिवार के करीबी होने के कारण न तो नरसिंहा राव उन्हें पसंद करते थे और न पटेल उन्हें।
अहमद पटेल को धर्म में बहुत आस्था थी और कहा जाता है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस में उन्होंने नरसिंहा राव की भूमिका को कभी माफ नहीं किया।
पार्टी के थिंकटैंक माने जाते थे पटेल
नरसिंहा राव के कार्यकाल में भले ही पार्टी में उन्हें कोई महत्व नहीं दिया गया, लेकिन उन्होंने गांधी परिवार के प्रति अपनी वफदारी बनाए रखी। सोनिया गांधी उन पर सबसे ज्यादा भरोसा करती थीं। राहुल गांधी भी उनसे सलाह लेते थे। कहा जाता है कि पर्दे के पीछे पटेल पार्टी की तमाम गतिविधियों में थिंकटैंक की भूमिका निभाते थे।

उनके व्यक्तित्व की खास बातें

  • सामान्य कद-काठी के व्यक्ति
  • मीडिया और भीड़ से दूरी पसंद
  • कम बोलनेवाले, करिश्माई नेता नहीं
  • अपने परिवार को राजनीति से दूर रखा
  • मेहनती और भरोसेमंद नेता
  • संगठन क्षमता में निपुण
  • राजनीति में अहमद भाई के नाम से मशहूर
Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.