चुनौतियों से शुरू हो रहा है 2021!

वर्ष 2021 आने में अब मात्र चंद दिन ही बाकी रह गए हैं। 2020 अब विदाई लेने तो जा रहा है, लेकिन इस साल की कई चुनौतियों का देश की मोदी सरकार को 2021 में सामना करना पड़ेगा।

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वर्ष 2021 आने में अब मात्र चंद दिन ही बाकी रह गए हैं। 2020 अब विदाई लेने तो जा रहा है, लेकिन इस साल की कई चुनौतियों का देश की मोदी सरकार को 2021 में सामना करना पड़ेगा।

वर्ष 2021 में मोदी सरकार की चुनौतियां

भारत-चीन के बीच तनाव
भारत और चीन के बीच तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। 15 जून 2020 को लद्दाख की गलवान घाटी में चीन के सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद से यह तनाव काफी बढ़ गया है। इस झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे। चीन ने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में डोकलाम में हंगामा किया था। इससे निपटने में सरकार को लंबा वक्त लगा था। अब चीन फिर से लद्दाख सहित अरुणाचल प्रदेश में भी विवाद बढ़ा रहा है। वह अपनी विस्तारनवादी नीति पर चलते हुए भारत पर वर्चस्व स्थापित करना चाहता है। मोदी सरकार के लिए चीन के साथ सीमा विवाद हल करना नये साल में एक बड़ी चुनौती होगी।

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नेपाल से संबंध सुधार
नेपाल से बिगड़ते संबंध को पटरी पर लाना मोदी सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी। चीन की शह पर नेपाल पिछले करीब छह महीने से भारत के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है और दोनों देशों के संबंध अबतक के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं। बेटी-रोटी के संबंधवाले इन दोनों देशों के बीच बिगड़ते संबंध के पीछे चीन का हाथ है। फिलहाल भारत के लिए अच्छी बात यह है कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली सरकार भंग हो चुकी है और नेपाली कम्यूनिस्ट पार्टी में गुटबाजी काफी बढ़ चुकी है। वहां ओली और पार्टी के दूसरे प्रमुख नेता पुष्प कमल दहल( प्रचंड) का पार्टी में दो गुट बन चुका है। चीन नहीं चाहता कि नेपाली कम्यूनिस्ट पार्टी में दो फाड़ हो, इसके लिए उसकी कोशश जारी है, लेकिन अभी भी भारत के लिए कोई बहुत अच्छी खबर नहीं है। जाहिर तौर पर भारत के लिए नेपाल से नये साल में संबंध सुधारना एक बड़ी चुनौती होगी।

अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना
कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन लागू होने और अन्य कारणों से देश की अर्थव्यवस्था काफी सुस्त हो गई है। जीडीपी का आंकड़ा भी काफी नीचे आ गया है। इस वजह से देश की आर्थिक स्थिति डगमगाई हुई है। इसका असर नौकरियों और देश के रोजगार के साथ ही व्यवसाय पर भी पड़ रहा है। हालांकि कोरोना महामारी का प्रकोप कम होने के बाद अब देश की अर्थव्यवस्था थोड़ी बेहतर हो रही है, लेकिन अगर सबकुछ ठीकठाक रहा तो भी अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने की चुनौतियां 2021 में बरकरार रहेगी। हालांकि मोदी सरकार ने अर्थवयव्यवस्था की सुस्ती को दूर करने के लिए 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है, लेकिन उसका असर कहीं दिख नहीं रहा है।

टीकाकरण की चुनौती
कोरोना का कहर हालांकि पहले के मुकाबले काफी कम हो गया है लेकिन खतरे अभी भी बरकार हैं। इस महामारी से निपटना भी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। फिलहाल दुनिया के 11 देशों में कोरोना टीकाकरण शुरू हो गया है, लेकिन भारत में अभी भी इसका इंतजार हो रहा है। हालांकि इसके लिए तैयारी पूरे जोर-शोर से की जा रही है, लेकिन देश के करीब 140 करोड़ लोगों का टीकाकरण सरकार के लिए आसान नहीं है।

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पश्चिम बंगाल अन्य प्रदेशों में चुनाव
2021 में प. बंगाल, तमिलनाडु, केरल और असम जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव कराए जाने हैं। इन राज्यों में असम को छोड़ दें तो कहीं भी बीजेपी सत्ता में नहीं है। ऐसे में बीजेपी के लिए नव वर्ष काफी महत्वपूर्ण होगा। प. बंगाल में फिलहाल भारतीय जनता पार्टी का जनाधार बढ़ रहा है और बीजेपी टीएमसी की ममता बनर्जी सरकार को सत्ता से बेदखल करने में पूरी ताकत झोंक रही है, लेकिन सीएए और एनआरसी की वजह से असम व पश्चिम बंगाल में उसे मतदाताओं की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। देखना होगा कि मतदाताओं की इस नाराजगी से भारतीय जनता पार्टी कैसे निपटती है।

रोजगार और पलायन
रोजगार और पलायन का मसला भी मोदी सरकार के लिए नये वर्ष में बड़ी चुनौती होगी। कोरोना की वजह से जो लोग बेरोजगार हो गए हैं, अभी भी उनमें से तीन करोड़ लोगों को रोजगार नहीं मिल पाया है। उनमें से काफी लोग अभी भी गांव में ही रह रहे हैं और उनके लिए लिए रोजी-रोटी एक गंभीर समस्या बनी हुई है। इसके साथ ही शहरों में भी नौकरी और रोजगार का बुरा हाल है। एक अनुमान के तहत कोरोना की वजह से नौकरी गंवा चुके 30 प्रतिशत लोगों के पास अभी भी कोई काम नहीं है। नये वर्ष में सरकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती होगी।

किसान आंदोलन
कृषि कानूनों को लेकर किसानों का आंदोलन खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। वे कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं, जबकि मोदी सरकार ने भी स्पष्ट रुप से कह दिया है कि कृषि कानून वापस नहीं लिए जाएंगे। इस हालत में यह आंदोलन 2021 में प्रवेश कर सकता है और मोदी सरकार के सामने परेशानियां खड़ी कर सकता है। इस आंदोलन से निपटना मोदी सरकार के लिए बड़ी चुनौती है।

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