नारदा स्टिंग प्रकरण में यूं फंसी ममता बनर्जी!

नारदा स्टिंग ऑपरेशन प्रकरण में पत्रकार मैथ्यु सैम्युअल ने 2014 में स्टिंग ऑपरेशन किया गया था। इस वीडियो को फर्जी करार देते हुए ममता सरकार ने उल्टा मैथ्यू के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करा दिया था। इसके बाद उसे पूछताछ के लिए समन भी भेजा गया था, लेकिन कलकता उच्च न्यायालय से उसे राहत मिल गई थी।

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सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरुद्ध याचिका दायर की है। यह याचिका टीएमसी मंत्री और नेताओं की गिरफ्तारी की घटना के दो दिन के पश्चात दायर की गई है। इसमें ममता बनर्जी के अलावा उनकी पार्टी के सांसद कल्याण बनर्जी और मंत्री मलय घटक का भी नाम है।

ममता बनर्जी को सीबीआई के विरूद्ध नेतागिरी महंगी पड़ी है। केंद्रीय एजेंसी ममता बनर्जी और दो अन्य नेताओं को गैरव्यवहार के लिए इस प्रकरण में संबद्ध करने के लिए याचिका दायर की है। यह याचिका 123 पृष्ठों की है।

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मैंने ममता बनर्जी को अधिकारियों से यह कहते सुना है कि कोई ऐसा कानून नहीं है जिसमें विधान सभा अध्यक्ष की अनुमति के बिना राज्य के मंत्रियों या विधायकों को गिरफ्तार किया जा सके। आपको मुझे गिरफ्तार करना पड़ेगा, यदि आप नेरे नेताओं को गिरफ्तार करते हैं।
अनिंदो राऊत, अधिवक्ता 

राज्यपाल ने दी थी जांच की अनुमति
राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने प्रदेश के नारदा स्टिंग ऑपरेशन मामले में शामिल तृणमूल कांग्रेस पार्टी के चार वरिष्ठ नेताओं तथा पूर्व मंत्रियों के खिलाफ मुकदमा चलाने को मंजूरी दी थी। केंद्रीय जांच ब्यूरो( सीबीआई) ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ से इस मामले में फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा और सोवन चटर्जी पर मुकदमा चलाने की अनुमित मांगी थी। ये सभी उस समय मंत्री थे, जब स्टिंग ऑपरेशन का मामला उजागर हुआ था।

संविधान के अनुच्छेद 163 व 164 अंतर्गत अनुमति
राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने संविधान के अनुच्छेद 163 और 164 के अंतर्गत प्राप्त अधिकार का प्रयोग करते हुए ये अनुमति दी थी। इस अनुच्छेद में उल्लेखित अधिकारों के अनुसार राज्यपाल ऐसी अनुमति के लिए सक्षम प्राधिकारी हैं, क्योंकि वे संविधान के अनुच्छेद 164 के अंतर्गत मंत्रियों को नियुक्त करते हैं। अनुच्छेद 163 के तहत कुछ विषयों में राज्यपाल के विवेकानुसार किया गया कार्य ही अंतिम होता है और उस पर कोई प्रश्न नहीं उठाया जा सकता।

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नारद स्टिंग ऑपरेशन
पश्चिम बंगाल में वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले नारद स्टिंग टेप सार्वजनिक किया गया था। इसमें दावा किया गया था कि यह टेप वर्ष 2014 में रिकॉर्ड किया गया था। इसमें टीएमसी के मंत्री, सांसद और विधायक की तरह दिखने वाले व्यक्तियों को कथित रुप से एक फर्जी कंपनी के प्रतिनिधियों से कैश लेते दिखाया गया था। स्टिंग ऑपरेशन कथित तौर पर नारद न्यूज पोर्टल के पत्रकार मैथ्यू सैमुअल ने किया था। कलकता उच्च न्यायालय ने मार्च 2017 में स्टिंग ऑपरेशन मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था।

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