महाराष्ट्र में बीजेपी की कार्यशैली अब अटैंकिग मोड में है। राज्य सरकार को चौतरफा घेरने के लिए उसके नेता प्रतिदिन धरना, यात्रा और भंडाफोड़ कर रहे हैं। उसमें भी मुंबई में बीजेपी चौतरफा हमला कर रही है। इसमें नाईक-ठाकरे कुटुंब संबंध, मनपा द्वारा भूखंड की खरीदी, पालघर के संतों की निर्मम हत्या, मेट्रो कारशेड स्थानांतरण जैसे मुद्दे को लेकर शिवसेना निशाने पर है। इसी बीच नेताओं की यात्रा ने सरकार को अलग से टेंशन दे दिया है।
बिहार चुनावों में मिली जीत के जोश ने महाराष्ट्र में बीजेपी को एक्टिव मोड पर ला दिया है। बिहार चुनाव के सह-प्रभारी बने देवेंद्र फडणवीस यद्यपि राज्य में अब पूरा ध्यान दे रहे हैं लेकिन उनकी ओर से कोई खास एक्शन देखने को नहीं मिला है। जबकि किरिट सोमैया, राम कदम, नारायण राणे, अतुल भातखलकर, आशीष शेलार और प्रवीण दरेकर ने राज्य सरकार के विरुद्ध मोर्चा संभाल लिया है। इस घेरेबंदी में सबसे बड़ी बात जो खुलकर आई है वो है कि भले ही बीजेपी के निशाने पर महाविकास आघाड़ी हो लेकिन हमले के चलनेवाले तीर सीधे शिवसेना को लग रहे हैं।
सरकार के टेंशन के छह मुख्य बिंदु
* लोकसभा चुनावों के टिकट वितरण में जिस किरिट सोमैया को शिवसेना ने छेड़ा था वो अब शिवसेना की बखिया उधेड़ने में लगा है। उन्होंने मेट्रो कारशेड के स्थानांतरण का मुद्दा, नाईक-ठाकरे परिवार में जमीन के लेनदेन के संबंध के बाद शिवसेना शासित मनपा द्वारा दहीसर में 2.55 करोड़ रुपए का भूखंड बिल्डर से 900 करोड़ रुपए में खरीदने का मामला उजागर कर दिया।
₹2.5 कोटीची जमिन ₹900 कोटीत
अल्पेश अजमेरा बिल्डरने दहिसरची 7 एकर 100% अतिक्रमीत जमिन श्री मस्केरान कडून ₹2.55 कोटीत विकत घेतली, महापलिकेला देऊ केली, BMC ची घेण्यास मनाई 28 नोव्हेंबर उद्धव ठाकरेजींचा शपथविधी 29 नोव्हें BMC चा जमिन विकत घेण्याचा निर्णय ₹354 कोटी पेमेंट झाले pic.twitter.com/zhJG5z2hXz
— Kirit Somaiya (@KiritSomaiya) November 15, 2020
* देवेंद्र फडणवीस और आशीष शेलार ने मेट्रो कारशेड के स्थानांतरण को लेकर की गई घोषणा पर सरकार को घेरा और बचीखुची कसर केंद्रीय एजेंसी नमक विभाग ने पूरी कर दी। उसने सरकार को पत्र देकर कांजुर मार्ग के भूखंड पर अपना मालिकाना हक जता दिया।
मुंबई महापालिकेतील भ्रष्टाचारी सत्ता बदलण्याची वेळ आली आहे.
डोक्यात सत्ता गेली की पतन अटळ आहे.
जनतेचा विचार करणारे लोक सत्तेत आणावी लागतील आणि हाच मुंबईचा संकल्प असला पाहिजे: देवेंद्र फडणवीस @Dev_Fadnavis pic.twitter.com/0BxEoUJ6CD
— @OfficeOfDevendra (@Devendra_Office) November 18, 2020
* घाटकोपर के विधायक राम कदम राज्य सरकार को कदम-कदम पर घेर रहे हैं। पत्रकार अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर मंत्रालय में दीया जलाने का आंदोलन भले ही पुलिस ने सफल नहीं होने दिया लेकिन उसकी लौ पालघर के संतों को न्याय के नाम पर फिर भड़क उठी। हालांकि पालघर जाने के पहले ही उन्हें पुलिस ने रोक लिया। लेकिन मुद्दा तो मिल ही गया।
#PalgharSadhuLynching मामले में #MVA सरकारने हमे जनाक्रोश यात्रा निकालने से जबरन रोका. यह मोगलाई सरकार किस किसकी आवाज दबायेगी ? हमारा संघर्ष जारी रहेगा . साधूवोको न्याय मिलके रहेगा #emergencyinmaharashtra pic.twitter.com/OiXgolIhWM
— Ram Kadam (@ramkadam) November 18, 2020
* कांदिवली से विधायक अतुल भातखलकर अपने फूलों को शूल बनाकर छोड़ते रहे हैं। उन्हें मुंबई मनपा चुनाव का प्रभारी नियुक्त कर दिया है। जिससे उनकी जिम्मेदारी और पार्टी में कद बढ़ा है तो शिवसेना के लिए भी टेंशन बढ़ सकती है।
मुंबई महापालिकेच्या आगामी निवडणुकीसाठी प्रभारी म्हणून प्रदेश अध्यक्ष मा.@ChDadaPatil यांनी आज माझी नियुक्ती जाहीर केली.आमचे नेते मा.@Dev_Fadnavis तसेच मा.प्रदेशाध्यक्षांच्या मार्गदर्शनाखाली व मुंबई अध्यक्ष@MPLodha यांच्या नेतृत्वाखाली स्वबळावर BJPचा महापौर आणू असा मला विश्वास आहे pic.twitter.com/Fn5Q7exTIj
— Atul Bhatkhalkar (@BhatkhalkarA) November 18, 2020
* ‘नारायण’ भी कुपित हुए बैठे हैं, राणे पिता-पुत्र शिवसेना पर हमले का कोई अवसर नहीं छोड़ रहे हैं। दिशा सालियन के मामले में नितेश राणे रोज नए दावे पेश कर रहे थे तो पत्रकार अर्णब गोस्वामी के विरुद्ध कार्रवाई में भी वाक् युद्ध चलता रहा है। इस बीच नारायण राणे पालघर में हुई संतों की निर्मम हत्या के मामले में सीबीआई जांच की मांग को लेकर सख्त हो गए हैं।
राज्य सरकारचा प्रत्येक मंत्री केंद्र सरकारकडे आर्थिक मदत मागतोय आणि मदत मिळाली नाही तर टीका करत आहे. थोडक्यात या सरकारची अवस्था 'नाचता येईना आंगण वाकडे' अशी झालीये. आगामी काळात हेच मंत्री स्वतःच्या जेवणाचा खर्चही केंद्राने द्यावा अशी मागणी करतील. @bjp4mumbai @BJP4Maharashtra
— Narayan Rane (@MeNarayanRane) November 18, 2020
* दहीसर के कद्दावर नेता और विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष प्रवीण दरेकर अब विधान परिषद के लिए होनेवाले शिक्षक चुनावों के लिए मैदान में उतर रहे हैं। उनकी शैली आक्रामक रही है तो उनका शिवसेना का अनुभव भी लंबा रहा है यानी जैसे को तैसा… देना दरेकर भी बखूबी जानते हैं।
माझ्या राजकीय आणि सामाजिक जीवनाची सुरुवात विद्यार्थी सेनेपासून झाली. त्यामुळे वंदनीय बाळासाहेबांच्या विचारांचा आणि संस्कारांचा पगडा होता. राज्याच्या विधानपरिषदेचा विरोधीपक्ष नेता म्हणून काम करत असताना निश्चितच त्यांच्या त्या जडणघडणीचा मला उपयोग होत आहे. #BalasahebThackeray pic.twitter.com/reSLH7aSvN
— Pravin Darekar – प्रविण दरेकर (@mipravindarekar) November 17, 2020
महाराष्ट्र सरकार के तीन घटकों में से कांग्रेस निधि आबंटन, बड़े निर्णयों में अनदेखी जैसे आरोप लगाती रही है। तो दूसरी ओर अब बीजेपी से बैर शिवसेना को भारी पड़ रहा है क्योंकि सत्ता सुख भले ही तीन दल भोग रहे हैं लेकिन सारे निशाने सिर्फ शिवसेना की तरफ ही हैं।
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