तकरार में भी ‘युति’ का ‘प्यार’ है?

बीजेपी को लगता है कि यह सरकार किसी न किसी वजह से अपने आप गिर जाएगी। उसके बाद मध्यावधि चुनाव में बीजेपी अपने दम पर चुनाव मैदान में उतरेगी। बीजेपी के इस वरिष्ठ नेता ने कहा कि हमारी कोशिश होगी कि बीजेपी अकेली बहुमत पाने में सफल हो, लेकिन अगर सीटें कम पड़ती हैं तो शिवसेना को साथ लाने की कोशश की जाएगी।

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महाराष्ट्र में विधानभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद मुख्यमंत्री को लेकर ड्रामा शुरू हो गया। नाराज शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी से युति तोड़ ली और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी तथा कांग्रेस से गठबंधन कर लिया। राज्य में महाविकास आघाड़ी की सरकार बनी। शिवसेना के कार्याध्यक्ष उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हुए। बीजेपी 105.. सीटों पर जीत हासिल कर भी सरकार से बेदखल हो गई और वह विपक्ष में बैठने को मजबूर हो गई। समझा जा रहा है कि अब बीजेपी-शिवसेना शायद कभी भी साथ नहीं आएगी। लेकिन इस बीच बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने अपने बयान से चौंका दिया है। ऑफ द रिकॉर्ड उनका कहना है कि हिंदुत्व की विचारधारा की वजह से शिवसेना की सबसे करीब पार्टी आज भी बीजेपी ही है और भविष्य में दोनों के एक साथ आने से इनकार नहीं किया जा सकता। उनके इस बयान के बाद अब सवाल उठ रहा है कि क्या दोनों के तकरार में भी प्यार छिपा है?

नेताजी का क्या है गणित?
राज्य में महाविकास आघाड़ी की सरकार ठीकठाक चल रही है और सामान्य ज्ञान की बात करें तो ऐसा नहीं लगता कि यह सरकार निकट भविष्य में गिरेगी, लेकिन बीजेपी को लगता है कि यह सरकार किसी न किसी वजह से अपने आप गिर जाएगी। उसके बाद मध्यावधि चुनाव में बीजेपी अपने दम पर चुनाव मैदान में उतरेगी। बीजेपी के इस वरिष्ठ नेता ने कहा कि हमारी कोशिश होगी कि बीजेपी अकेली बहुमत पाने में सफल हो, लेकिन अगर सीटें कम पड़ती हैं तो शिवसेना को साथ लाने की कोशश की जाएगी।

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राष्ट्रवादी से तौबा
क्या भविष्य में बीजेपी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ भी जा सकती है, यह सवाल पूछने पर बीजेपी नेता ने स्पष्ट रुप से कहा कि एक बार गल्ती हो गई थी, अब पार्टी वैसी गल्ती नहीं करेगी। बता दें कि बीजेपी ने एनसीपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अजित पवार के साथ मिलकर सरकार बनाई थी, जिसमें देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री और अजित पवार उपमुख्यमंत्री बने थे। लेकिन यह सरकार टिकाऊ नहीं साबित हुई थी।

बीजेपी को लगता है भय
नेता का कहना है कि बीजेपी आरएसएस की विचारधारा पर चलनेवाली पार्टी है। अगर हमसे निर्णय लेने में गल्ती होती है, तो संघ की नाराजगी झेलनी पड़ती है। इसलिए हमें कोई भी निर्णय लेने से पहले उसके बारे में अच्छी तरह विचार करना पड़ता है।

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