बलवा, बवाल, बगावत क्या मिट जाएगी ‘ममता’?

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बलवा, बवाल और बगावत पश्चिम बंगाल के लिए कोई नई बात नहीं है। मामूली विवादों में खून-खराबा होना यहां के लिए आम बात है। राजनैतिक स्वार्थ की जब बात होती है तो पश्चिम बंगाल में ‘ममता’ नाम की कोई चीज नहीं होती।

शुभेंदु अधिकारी ने बजाया बगावत का बिगुल
बिहार चुनाव में फतह के बाद जहां बीजेपी ने अगला कैंप पश्चिम बंगाल में गाड़ दिया है, वहीं यहां चुनाव( 2021) की आहट मिलते ही सियासी पारा चढ़ने लगा है। चुनावी मौसम शुरू होने से पहले प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जोर का झटका लगा है। तृणमूल कांग्रेस में नंबर दो माने जानेवाले ममता बनर्जी के खास कैबिनेट मंत्री शुभेंदु अधिकारी ने बगावत कर दी है। नंदीग्राम में अलग से रैली कर उन्होंने बगावत का बिगुल फुंका है। शुभेंदु 12 नवंबर को हुई ममता की कैबिनेट की बैठक से नदारद रहे।

तीन अन्य मंत्रियों ने भी किया बगावत
शुभेंदु के साथ ही तीन और मंत्री राजीव बंदोपध्याय, गौतम देव और रवींद्रनाथ घोष भी बैठक में नहीं आए। मिली जानकारी के अनुसार शुभेंदु अधिकारी के इन तीनों करीबी नेताओं की सुरक्षा भी हटा दी गई है। समझा जा रहा है कि ये सभी बीजेपी में शामिल होंगे। शुभेंदु अधिकारी को बीजेपी पार्टी में शामिल होने का पहले ही ऑफर दे चुकी है।

अमित शाह के दौरे के बाद बढ़ी सरगर्मी
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 5 नवंबर को बंगाल के दो दिवसीय दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने सीएम ममता बनर्जी पर निशाना साधा था। उनकी वापसी के बाद बंगाल की राजनीति में अचानक सरगर्मी बढ़ गई है।

यहां से शुरू की बगावत
शुभेंदु ने नंदीग्राम में टीएमसी से अलग रैली निकालकर बगावती रुख का परिचय दिया था। इस रैली में ममता बनर्जी का कोई पोस्टर नहीं लगाया गया था। रैली में भारत माता की जय के नारे भी लगाए गए थे। इसके बाद से ही यह तय हो गया था कि अधिकारी बगावत का मन बना चुके हैं।

क्यों किया बगावत?
शुभेंदु अधिकारी के बगावत के पीछे पार्टी में उनकी उपेक्षा को बताया जा रहा है। काफी दिनों से पार्टी की उपेक्षा झेल रहे शुभेंदु ने आखिर बगावत की राह पर चल पड़े। एक महीने से वे रैली निकाल रहे हैं, जिनमें पोस्टर पर ममता बनर्जी का नामोनिशान नहीं है।

कौन हैं शुभेंदु अधिकारी?
शुभेंदु अधिकारी टीएमसी में ममता के बाद दूसरे नंबर को लोकप्रिय नेता हैं। वे सीएम ममता बनर्जी के दायां हाथ माने जाते थे। जिस नंदीग्राम आंदोलन की वजह से ममता को सत्ता मिली थी, उस आंदोलन के आर्किटेक्ट शुभेंदु अधिकारी को ही माना जाता है। वे ममता बनर्जी से शुरू से ही जुड़े रहे हैं। उनके पास फिलहाल परिवहन,जल और सिंचाई मंत्रालय की जिम्मेदारी है।

प्रदेश बीजेपी चीफ दिलीप घोष के काफिले पर हमला
पश्चिम बंगाल के बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष के काफिले पर 21 नवंबर को हमला किया गया। हालांकि जिस गाड़ी में वे बैठे थे, वह आगे निकल गई, लेकिन पीछे आ रही कई गाड़ियां चपेट में आ गईं। इस घटना के बाद पश्चिम बंगाल की राजनीति गरमा गई है। दिलीप घोष ने हमले के लिए टीएमसी को जिम्मेदार ठहराया है।

एक बीजेपी कार्यकर्ता की हत्या
11 नवंबर को जिस वक्त पीएम मोदी दिल्ली के बीजेपी मुख्यालय से अपने संबोधन में पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा का जिक्र कर रहे थे, उसी समय राज्य में एक और बीजेपी कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई । बीजेपी का आरोप है कि कांथी की भगवानपुर विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी कार्यकर्ता गोकुल जेना की हत्या कर दी गई। बीजेपी का कहना है कि जेना ने पंचायत के टीएमसी सदस्य के कोरोना संक्रमित पति को क्वारंटाइन होने को कहा था।

2021 में इन राज्यों में चुनाव
2021 में प.बंगाल के साथ ही असम, तमिलनाडु,केंद्र शासित पुड्डुचेरी और केरल में चुनाव होने हैं।

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