माविया के नेताओं का दावा है कि 17 दिसंबर को मुंबई में महाविकास आघाड़ी की ओर से आयोजित महामोर्चा में लाखों लोगों ने हिस्सा लिया, लेकिन हकीकत में इस मोर्चे में भीड़ की जानकारी पुलिस के आंकड़ों के अनुसार कुछ हजार ही है। औरंगाबाद के वरिष्ठ पदाधिकारियों सहित उद्धव सेना के 40 प्रतिशत नेता महामोर्चा में शामिल नहीं हुए।
नेताओं ने यह बताकर रहे गायब
ये 40 प्रतिशत बड़े पार्टी पदाधिकारी पारिवारिक कारणों का हवाला देते हुए महाविकास आघाड़ी द्वारा आयोजित मोर्चे में शामिल नहीं हुए, जबकि आम कार्यकर्ताओं ने अपेक्षा से अधिक संख्या में भाग लिया। उम्मीद की जा रही थी कि औरंगाबाद शहर से कम से कम 5 हजार लोग महामोर्चे में शामिल होंगे, लेकिन इस महामोर्चे में सिर्फ 1500 लोग ही शामिल हुए। इनमें से ज्यादातर लोगों ने अपने खर्चे पर यात्रा की थी। औरंगाबाद जिला प्रमुख किशनचंद तनवानी ने कहा, “जो नहीं आया उसकी मैं समीक्षा करूंगा, लेकिन कई लोगों ने निजी कारणों का हवाला देकर मेरी अनुमति ली थी।”
किस पार्टी के नेताओं ने दिखाई अधिक सक्रियता
महाविकास आघाड़ी के महामोर्चे में राकांपा, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के समर्थक भी बड़ी संख्या में शामिल हुए। मोर्चे में शामिल लोगों ने कहा कि यह मोर्चा सत्तापक्ष के दिलों पर एक प्रहार था। हरसुल से संजय हर्ने ने दावा किया कि शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे शिवशाही के समर्थक थे न कि तानाशाही के।