जर्जर भिवंडी! 5 साल में 60 खत्म, 20 हजार पर खतरे का साया

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भिवंडी। शहर में जर्जर इमारतों का आंकड़ा बहुत ज्यादा है। गिलानी बिल्डिंग का धराशाई होने के बाद प्रशासन जागृत हो गया है। सरकारी आंकड़े के अनुसार शहर में लगभग 20 की जनसंख्या जर्जर इमारतों के खतरे के बीच रह रही है। जबकि 5 साल में 60 लोगों की जान जर्जर इमारतें ले चुकी हैं। शहर में 782 जर्जर इमारतें हैं जो कभी भी इनमें  रहनेवालों की जान ले सकती हैं।
पटेल कंपाउंड की जिलानी बिल्डिंग में करीब 29 लोगों की मृत्यु हो चुकी है जबकि 20 लोगों को घायलावस्था में मलबे से निकाला जा चुका है। इस बीच बारिश रुक-रुककर जारी है। जो राहत कार्य में परेशानी खड़ी कर रही है। दुर्घटनास्थल पर आपदा प्रबंधन व राहत कार्य मंत्री विजय वडेट्टिवार ने दौरा किया। उन्होंने मृतकों के लिए 4 लाख रुपए के मुआवजे की घोषणा की तथा घायलों को 50 हजार रुपए सरकार की ओर से आर्थिक सहायता दी जाएगी।


शहर में और हैं जर्जर इमारतें
भिवंडी में 572 जर्जर व 210 अतिजर्जर इमारतें हैं। जिसमें 2,460 परिवार के 20 हजार से ज्यादा लोग सिर पर कफन बांधकर रहते हैं। जिनकी सुरक्षा को लेकर मनपा प्रशासन उदासीन बना हुआ है। हालांकि मनपा प्रशासन ने 107 बिल्डिंगों को खाली कराने का दावा किया है। बावजूद इसके उक्त हादसे के बाद लोगों में भय फैल गया है।
बता दें कि, भिवंडी मनपा अंतर्गत कुल 781 बिल्डिंगें खतरनाक हैं। जिसमें से 572 बिल्डिंग जर्जर व 210 अतिजर्जर हालात में है। जिसमें प्रभाग समिति एक में 16, प्रभाग समिति दो में 159, प्रभाग समिति तीन में 108, प्रभाग समिति चार में 278 और प्रभाग समिति पांच में 221 जर्जर और खतरनाक इमारतें हैं। इन इमारतों में लगभग दो हजार परिवारों के लगभग 20 हजार से अधिक लोग अपनी जान जोखिम में डालकर रह रहे हैं। इनमें 35-40 वर्षों से अधिक की इमारतें, पुरानी चाल, पावरलूम कारखाने तथा दुकानें आदि भी शामिल हैं।


जर्जर इमारतों के खिलाफ कार्रवाई जारी
भिवंडी मनपा आयुक्त डॉ.पंकज आशिया ने बताया कि मनपा ने कार्रवाई के लिए जर्जर और अति खतरनाक इमारतों को 4 श्रेणियों में विभक्त किया है। जिसमे से सी-1, सी-2 ए क्षेणी में कुल 107 बिल्डिंग थीं। जिसमें से पिछले दिनों 104 बिल्डिंगों को खाली करा लिया गया है। जिसमें से आठ बिल्डिंगों को तोड़ा जा रहा है। मनपा आयुक्त ने बताया कि आठ बिल्डिंगों में से दो को मनपा ने खुद तोड़ा है। सी-2 बी और सी-3, जिनमें जो तोड़ने लायक अति जर्जर हैं उसे तोड़ा जाएगा और जो मरम्मत जैसी हैं, उसके मालिकों को मरम्मत के बाद स्ट्रक्चरल ऑडिट रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। इस बाबत मनपा द्वारा बड़े पैमाने पर कार्रवाई की जा रही है।


5 साल में 60 जिंदगियां खत्म
बात दें कि, भिवंडी में पांच साल में आधे दर्जन से अधिक बिल्डिंग धरासाई हो चुकी हैं। जिसमें 60 से ज्यादा लोगों की मौत के साथ डेढ़ सौ से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। मनपा क्षेत्र में मनपा की उदासीनता के कारण बढ़ रही बिल्डिंग दुर्घटनाओं के कारण जानता में भय का माहौल व्याप्त है।

 

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