मिलावटी खाद्य पदार्थ हैं खतरनाक, ‘इतने’ वर्ष घटा रहे हैं हमारी आयु

वैदिक उपवास में जल फल दही दूध जैसे सात्विक आहार से शरीर के विषैले पदार्थ निकल जाते हैं।

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अच्छा खाएंगे तो अच्छा जियेंगे, सात्विक भोजन से उम्र बढ़ा सकते हैं। फलदार चीजें, हरी सब्जियां और संतुलित मात्रा में ड्राई फ्रूट के साथ खानपान पौष्टिक हो और साथ में स्पर्श ध्यान, योगा करें तो जीवन शानदार और निरोगी हो सकता है।

यह बातें स्पर्श चिकित्सक सतीश राय ने एसकेआर योग एवं रेकी शोध प्रशिक्षण और प्राकृतिक संस्थान, मधुबन विहार स्थित रेकी सेंटर पर लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि दुग्ध उत्पाद से बने प्रोडक्ट का उपयोग सबसे ज्यादा होता है और सबसे ज्यादा मिलावट भी इसमें होती है। वनस्पति घी में सेंट का उपयोग कर देशी घी, मक्खन, दूध में पानी, स्टार्च, वाशिंग पाउडर, यूरिया यहां तक कि सिंथेटिक दूध ही बना रहे हैं। इसी दूध का पनीर, खोवा, दही बना रहे हैं। आइसक्रीम में वाशिंग पाउडर की मिलावट। कोई सख्त कानून न होने के कारण बाजार मिलावटी सामानों से भरा पड़ा है।

बढ़ रही हैं नित्य नई-नई बीमारियां 
सतीश राय ने कहा युवावस्था में कोई बीमारी नहीं होती। बीमारियां 60 वर्ष के बाद शुरू होती है। मिलावटी भोजन बचपन से ही करने पर जवानी के 7 वर्ष और पूरे जीवन के 15 वर्ष तक आयु कम हो सकती है। बुजुर्गों वाली जो बीमारियां 65 वर्ष के बाद शुरू होनी है वह 50 वर्ष की उम्र में ही शुरू हो जाती है और सबसे ज्यादा परेशानी वृद्धावस्था में होती है। बुढ़ापा कष्टमय हो जाता है। मिलावटी खाद्य पदार्थों के खाने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता लगातार क्षीण हो रही है, जिसके कारण नित्य नई-नई बीमारियों की बाढ़ सी आ गई है।

हार्ट अटैक, हार्ट फेल होने के मामले बढ़े
उन्होंने कहा कोरोना अभी पूरी तरह खत्म भी नहीं हुआ है कि लोगों में हार्ट अटैक, हार्ट फेल होने के मामले बढ़े हैं। अब तो रहस्यमई बुखार के संकट से लोग जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भगवत गीता में भोजन के बारे में बताया गया है। गीता में मनुष्य के तीन व्यवहारों का वर्णन है। सात्विक भोजन पाचन को दुरुस्त करता है, इम्युनिटी एवं मानसिक ऊर्जा को बढ़ाता है। राजसिक भोजन में नमकीन और मसालेदार भोजन शामिल होते हैं। जिससे मनुष्य के मस्तिक में लालसा और अति उत्साह का असर बढ़ जाता है। जबकि तामसिक आचरण में कुंठा, ईर्ष्या जैसी बुराइयां इंसान को अपने वश में कर लेती हैं। तामसिक भोजन इंसान में पशुवृत्ति बढ़ाता है।

उपवास से ये लाभ
इसी तरह वैदिक उपवास में जल फल दही दूध जैसे सात्विक आहार से शरीर के विषैले पदार्थ निकल जाते हैं। सात्विक भोजन के साथ स्पर्श-ध्यान, योगा करने से शरीर स्वस्थ एवं निरोगी बनता है। इम्यूनिटी पावर ज्यादा शक्तिशाली होती है। सभी मिलावटी खाद-पदार्थों वाले भोजन करने से शरीर के आर्गन का ठीक से काम न करना बीमारियों का कारण बन रहा है।

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