West Bengal: जाली अधिवास प्रमाणपत्र (fake domicile certificate) रैकेट मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation) (सीबीआई) ने 3 फ़रवरी को कोलकाता (Kolkata) और 24 उत्तरी परगना (24 North Parganas) जिले में 8 स्थानों पर तलाशी ली। सीबीआई की यह कार्रवाई जाली अधिवास प्रमाण पत्र जारी करने वाले सक्रिय गिरोह के खिलाफ है। जाली अधिवास प्रमाण पत्रों का उपयोग सेना व अर्द्धसैनिक बलों में भर्ती के लिए किया जा रहा था।
सीएपीएफ में अनियमित भर्तियों से जुड़ा है मामला
सीबीआई की यह कार्रवाई कलकत्ता हाई कोर्ट के 31 जनवरी को उस आदेश के साथ जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें हाई कोर्ट ने सीबीआई को भारतीय सेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में अनियमित भर्तियों के आरोपों की जांच शुरू करने का आदेश दिया था। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस जय सेनगुप्ता ने सीबीआई को तुरंत एफआईआर दर्ज़ कर आरोपों की जांच शुरू करने को कहा था। शिकायत के बाद सीबीआई ने मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी। हुगली जिले के निवासी एक याचिकाकर्ता ने इस मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को संबोधित एक पत्र लिखा था।
पाकिस्तानी नागरिकों को हुआ फायदा
एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि इससे कुछ पाकिस्तानी नागरिकों को भी फायदा हुआ। अधिकारियों ने बताया कि 3 फ़रवरी को उस गिरोह के सदस्यों के परिसरों की तलाशी ली गई जो कथित तौर पर फर्जी अधिवास प्रमाण पत्र बनाने में शामिल थे। न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता ने सीबीआई की प्रारंभिक जांच के नतीजों को देखने के बाद कहा था कि सशस्त्र बलों में भर्ती में कोई अनियमितता नहीं पाई गई लेकिन केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में चार घटनाएं पाई गईं।