कहते हैं विद्या से बढ़ा कोई धन नहीं है। पढ़ाई बहुत जरूरी है। गांव-देहात क्षेत्र में अक्सर माता-पिता बच्चों का परिषदीय स्कूलों में एडमिशन तो करा देते हैं लेकिन उन्हें स्कूल नहीं भेजते। कोई मजदूरी पर जाने का बहाना बना देते हैं तो कोई फसल कटने की बात करता है। ऐसे में स्कूलों में बच्चों की संख्या घटती जा रही है। शिक्षक भी इसमें कुछ नहीं कर पाते हैं।
झांसी गांव में पेश किया उदाहरण
कहते हैं कि शिक्षक कोई साधारण व्यक्ति नहीं होता। उनकी एक सकारात्मक पहल बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ व्यावहारिक शिक्षा भी प्रदान करती है। ऐसी ही पहल झांसी के एक गांव में देखने को मिली। कुछ बच्चे स्कूल नहीं आ रहे थे तो शिक्षक पूरा स्कूल लेकर बच्चों के घर पर जा पहुंचे और वहीं पर ही कक्षा शुरू कर दी।
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सहायक अध्यापक अमित वर्मा की बड़ी पहल
असल में ये किसी बाल फिल्म की कहानी नहीं है। झांसी के ग्राम लकारा प्राथमिक विद्यालय में तैनात सहायक अध्यापक अमित वर्मा ने ऐसा ही कुछ कर दिखाया। वह स्कूल के विद्यार्थियों को लेकर ऐसे दो बच्चों के घर पहुंच गए जो कई हफ्तों से स्कूल ही नहीं आ रहे थे। उन्होंने उन बच्चों के घर के बाहर ही कक्षा शुरू कर दी। उनकी गांधीगिरी रंग लाई और बच्चों के माता-पिता ने उन्हें शिक्षक के साथ स्कूल भेज दिया। इस पूरी पहल का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। शिक्षक की इस पहल की चहुंओर भूरि-भूरि प्रशंसा हो रही है।