पाकिस्तान में सालाना हजार से अधिक अल्पसंख्यक महिलाओं पर जोर जबरदस्ती की जाती है। इन अबलाओं की चीखों पर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जैसे संगठन भी मौन है। परंतु, ये चीखें अनसुनी नहीं है, अमेरिका के हिंदू संगठनों ने इन चीखों को सुना और चिंगारी के अंतर्गत विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शन शुरू किया है।
वैसे यह आश्चर्य ही है कि मलाला युसुफजई के साथ हुई क्रूरता पर जो देश छाती पीटकर रोते हैं, वे हिंदू, ईसाई, सिंधी, सिख अल्पसंख्यक बच्चियों और महिलाओं के साथ होनेवाली क्रूरता पर मौन हैं। इन बच्चियों का पाकिस्तान में अपहरण कर लिया जाता है, उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है और बूढ़ों संग ब्याह दिया जाता है। जो नहीं मानतीं उन्हें सार्वजनिक ज्यादती का शिकार बनना पड़ता है। इस अमानवीयता के खिलाफ अमेरिका के अलग-अलग राज्यों में मूक प्रदर्शन किया गया।
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इसमें मौन प्रदर्शन, कैंडल मार्च के साथ हिंदू संगठनों ने उन चीखों को अंतरराष्ट्रीय पटल पर पहुंचाने की कोशिश की। वर्ल्ड हिंदू काऊंसिल ऑफ अमेरिका, चिंगारी, वीएचपीए, अमेरिकन हिंदूज अगेंस्ट डिफेमेशन, हिंदू लाउंज
समेत विभिन्न संगठनों ने इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया। यह प्रदर्शन ह्यूस्टन, न्यू जर्सी, बे एरिया, एटलांटा, टोरंटो और लास वेगास में किया गया।