शिवसेना की सरकार पिछले डेढ़ साल से सत्ता में है, लेकिन उसके विधायकों का दुख समाप्त ही नहीं हो रहा है। पहले ही विकास कार्यों के लिए निधि आबंटन न किये जाने के दुख के मारे विधायक अब कहने लगे हैं कि गठबंधन के मंत्री भी उन्हें भाव नहीं देते हैं।
शिवसेना की शैली रही है कि ‘साहेब’ के आगे कोई नहीं बोलता, लेकिन अब इस सम्मान में उसके विधायकों में मतदाताओं के आक्रोश का डर व्याप्त होने लगा है। परिस्थिति ये है कि विधायकों के पास निधि की दिक्कत है और काम हो नहीं रहा और जबकि मंत्री भी उन्हें खड़ा नहीं करते।
दोहरी दिक्कत में शिवसेना विधायक
विधायकों की सुनवाई न होने से बड़े स्तर पर नाराजगी पक्ष में पनप रही है। इस विषय में बात करते हुए एक विधायक ने कहा कि वे दोहरी मार झेल रहे हैं।
पक्ष में सुनवाई नहीं
गठबंधन के मंत्री भी काम नहीं कर रहे
लॉकडाउन के कारण पहले से ही जनता में रोष है, इस परिस्थिति में शिवसेना के ग्रामीण भागों के विधायकों की शिवसेना पक्ष में ही कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ये विधायक साहेब के आगे नतमस्तक हैं लेकिन पार्टी के मंत्री भी उनके कार्य नहीं कर रहे हैं। सभी जगहों से अनसुना किये जाने के बाद ये विधायक आनेवाले दिनों में चक्रवाती तूफान का तेवर धारण कर सकते हैं।
शिवसेना के विधायक पहले से भी दुखी हैं, वे पहले ही आरोप लगा चुके हैं कि उनके सुझाए गए कार्यों के लिए निधि आबंटन में गठबंधन के मंत्री रोड़े अंटकाते हैं। यह प्रकरण शांत हो गया है लेकिन दिक्कत अब भी बनी हुई है कि, इन विधायकों का काम कोई भी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस का मंत्री नहीं सुनता।
पवार साहब पर टिप्पणी
महाविकास आघाड़ी सरकार के गठन का सूत्रधार शरद पवार को माना जाता है। लेकिन अब शिवसेना के विधायक उन पर खुलकर टिप्पणी करने लगे हैं। सांगोला से विधायक शहाजी पाटील ने कहा है कि शरद पवार के नेतृत्व में जबसे सरकार आई है तभी से मात्र बारामती का विकास हुआ है। राज्य की पूरी निधि बारामती में ले जाकर पूरे देश में विकास मॉ़डल का ढिंढोरा पीटना शरद पवार का काम है। वे राज्य के नेता है लेकिन विकास मात्र बारामती का ही किये हैं। शहाजी पाटील ने उजनी बांध से इंदापुर तहसील में पांच टीएमसी पानी देने पर आक्रोष व्यक्त किया।
पूर्व और वर्तमान मंत्री भी हैं नाराज
सूत्रों के अनुसार ठाकरे सरकार के एक मंत्री भी नाराज चल रहे हैं। इस मंत्री की शिकायत ये है कि पद तो मिला है लेकिन काम मंत्री के अनुसार नहीं करने दिया जा रहा है। बीच में भी इस मंत्री द्वारा सरकार को झटका देने की चर्चा थी।
भाजपा शिवसेना युति शासनकाल के मंत्री भी इस समय नाराज हैं कई विधायकों ने तो बैठकों में जाना भी छोड़ दिया है, कुछ लोग पक्ष के विधायक तो हैं लेकिम वे किसी जगह शामिल नहीं होता।
इनकी नाराजगी की है चर्चा
वैसे अपनी नाराजगी को लेकर कोई खुली बात करना नहीं चाहते। सभी साहेब का कोप नहीं चाहते लेकिन बंद जुबान में पक्ष में सबकुछ ठीक नहीं है। इसमें रामदास कदम, दिवाकर रावते, जीपक केसरकर, वरिंद्र वायकर, तानाजी सावंत और संजय राठोड जैसे मंत्री या पूर्व मंत्री नाराज हैं।