राजस्थानः कांग्रेस की कलह का अंत नहीं, अब पायलट ने ऐसे बढ़ाई टेंशन

सचिन पायलट की पांच दिवसीय पद यात्रा ने कांग्रेस हाईकमान की टेंशन बढ़ा दी है। इसी वर्ष क्षेत्र के हिसाब से देश के सबसे बड़े प्रदेश में चुनाव होने हैं। इस स्थिति में अशोक गहलोत के साथ ही पार्टी की मुश्किलें बढ़ती हुई दिख रही हैें।

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असंतुष्ट कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने 10 मई को राजस्थान के विधानसभा चुनाव से ऐन पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पार्टी के शीर्ष नेताओं को चुनौती देते हुए अजमेर से जयपुर तक 125 किलोमीटर का पैदल मार्च शुरू किया।एक महीने पहले, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कथित भ्रष्टाचार को लेकर “निष्क्रियता” पर गहलोत को निशाना बनाते हुए एक दिन का उपवास रखा था। पार्टी की चेतावनी को खारिज करते हुए उन्होंने ये उपवास रखा था।

अब पायलट की पांच दिवसीय पद यात्रा ने कांग्रेस हाईकमान की टेंशन बढ़ा दी है। इसी वर्ष क्षेत्र के हिसाब से देश के सबसे बड़े प्रदेश में चुनाव होने हैं। इस स्थिति में  पार्टी की मुश्किलें बढ़ती हुई दिख रही हैें।

2020 में पार्टी हाईकमान ने की थी बड़ी कार्रवाई
सचिन पायलट को 2020 में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था। पार्टी हाईकमान को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खिलाफ के खिलाफ उनकी शिकायत पसंद नहीं आई थी। पार्टी ने उन्हें इसकी सजा के तौर पर उन्हें उपमुख्यमंत्री के पद से भी हटा दिया था।

आरपार की लड़ाई के दिए संकेत
फिलहाल पद यात्रा पर निकले सचिन पायलट ने कहा है,”मैं अपनी आवाज उठाने, आपकी आवाज सुनने और लोगों की आवाज बनने के लिए यह यात्रा निकाल रहा हूं।” चिलचिलाती धूप में अपनी पदयात्रा की शुरुआत करते हुए इसे आग का दरिया बताया। पायलट ने कहा, ये आग की दरिया है और इसे तैरकर पार करना है।”टोंक विधायक सचिन पायलट के ट्रेन से अजमेर पहुंचने पर उनका स्वागत किया गया। उन्होंने जयपुर हाईवे पर एक सभा को संबोधित किया।

बड़े कांग्रेसी नेताओं ने बनाई दूरी
यात्रा शुरू होते ही पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी कर उनका समर्थन किया। पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी व स्थानीय नेता महेंद्र रालवता इस दौरान मौजूद रहे। लेकिन अन्य बड़े कांग्रेसी नेता पायलट की इस पद यात्रा से दूर ही रहे।

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पायलट का आरोप
सचिन पायलट की यह पद यात्रा भ्रष्टाचार के साथ ही पेपर लीक मामलों के लेकर निकाली गई है। पायलट अजमेर से पहले सांसद भी रह चुके हैं। कांग्रेस नेता पायलट ने कहा कि उनका मार्च किसी के खिलाफ नहीं बल्कि
मुद्दों को लेकर है। उन्होंने गहलोत के कथित दावे पर सवाल उठाते हुए कहा कि ” क्या कोई राजनेता या अधिकारी पेपर लीक मामलों में शामिल नहीं था। उन्होंने सवाल उठाते हुए पूछा कि इस मामले में गिरफ्तार किए गए आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा के घर पर बुलडोजर क्यों नहीं चलाया गया। उन्होंने कहा कि जब कोई पेपर लीक होता है और परी7ा रद्द कर दी जाती है, तो यह लाखों छात्रों और उनके माता-पिता में सिस्टम में अविश्वास पैदा होता है।

सचिन पायलट के निशाने पर गहलोत और वसुंधरा राजे
बता दें कि सचिन पायलट ने गहलोत सरकार पर भाजपा नेता और प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ नरम रूख अपनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने अपने आरोप में वसुंधरा राजे के खिलाफ भ्रष्टाचार पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाते हुए मोर्चा खोल रखा है। ऐन चुनाव से पहले पार्टी में जारी ये अंदरुनी कलह कांग्रेस के लिए कई तरह की परेशानियां खड़ी कर सकती है।

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