‘मनसे’ आंदोलन के लिए धन्यवाद – रणजीत सावरकर

स्वातंत्र्यवीर सावरकर पर राहुल गांधी की टिप्पणी इस बार कांग्रेस को महंगी साबित हो रही है। इससे राष्ट्राभिमानी जनता तो आक्रोषित है ही, महाराष्ट्र का जनसामान्य स्वातंत्र्यवीर के बलिदानों के बाद भी उन्हीं के राज्य में की गई बदनामी से गुस्से में है।

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स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे से भेंट की। यह भेंट ठाकरे के शिवतीर्थ निवास पर संपन्न हुई। कांग्रेस के राहुल गांधी की यात्रा में वीर सावरकर को दिये गए बयान को लेकर महाराष्ट्र में विरोध के स्वर तेज हुए हैं। इस संबंध में दोनों नेतृत्वों के बीच भेंट हुई है। मनसे का आंदोलन सभी दलों के अपेक्षा अधिक आक्रामक रहा है। इसके लिए रणजीत सावरकर ने राज ठाकरे और मनसे को धन्यवाद किया।

राहुल गांधी द्वारा वीर सावरकर के विरुद्ध की गई अवमानास्पद टिप्पणी के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने तीव्र विरोध का स्वर फूंका था। मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने अपने दल को आदेश दिया था कि वे शेगांव में राहुल गांधी को काला झंडा दिखाकर, राहुल गांधी का मार्ग रोककर विरोध प्रदर्शन करें। जिसके बाद मुंबई से मनसे नेता नितिन सरदेसाई, संदीप देशपांडे समेत बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शेगांव गए थे। मनसे का सफल आंदोलन के लिए मनोबल बढ़ाने और मनसे प्रमुख को धन्यवाद देने स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर, कोषाध्यक्ष मंजिरी मराठे, सहकार्यवाह स्वप्निल सावरकर ने भेंट की।

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पुलिस कार्रवाई भी न रोक पाई
शेगांव में राहुल गांधी के सभा स्थल पर पहुंचने के पहले ही पुलिस ने कार्रवाई कर दी। मुंबई से गए मनसे नेताओं को पकड़कर हिरासत में ले लिया गया। लेकिन इसके बाद भी मनसे के फायरब्रांड नेता नितिन सरदेसाई और संदीप देशपांडे ने घोषित किया कि, राहुल को रास्ते में रोका जाएगा और विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। जिसे मनसे कार्यकर्ताओं ने अक्षरश: पूरा किया।

चिट्ठा खोल दिया
इसके पहले शुक्रवार को रणजीत सावरकर ने कांग्रेस द्वारा स्वतंत्रता काल में किये गए उन कार्यों की पोल खोली जिनसे राष्ट्र की प्रतिमा मलिन हुई। राहुल गांधी ने वाशिम की सभा में स्वातंत्र्यवीर सावरकर पर माफी मांगने और अंग्रेजों से पेंशन लेने का आरोप लगाया था। इस पर वीर सावरकर के पौत्र ने कांग्रेस का चिट्ठा ही खोल दिया। उन्होंने उस पत्र के उत्तर में महात्मा गांधी द्वारा अंग्रेजों को लिखा पत्र, जवाहरलाल नेहरू और भारत के तत्कालीन वायसरॉय माउंटबेटन की पत्नी एडविना के संबंधों को उजागर किया। इसमें उन्होंने भारत सरकार से नेहरू और एडविना के पत्राचारों को ब्रिटेन से मंगाकर सार्वजनिक करने की मांग की गई है।

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