पूरी हुई दृढ़ प्रतिज्ञा! एक और वीर पत्नी ने धारण किया सेना का यूनीफार्म और तमगा

भारतीय सेना में वीरो की कमी नहीं है और न ही वीरांगनाओं की। मेजर कौस्तुभ राणे, मेजर प्रसाद महाडिक, राइफलमैन रविंदर सांब्याल ऐसे वीरों के नाम हैं, जिनकी वीर पत्नियां भी पति की वीर गति को प्राप्त होने के बाद सेना की सेवा में जुड़ गईं।

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मेजर विभूति शंकर धौंदियाल की पत्नी निकिता कौल धौंदियाल अब भारतीय थल सेना की अधिकारी बन गई हैं। उन्होंने सेना में अपने प्रशिक्षण को पूरा कर लिया है। अब वे लेफ्टिनेंट निकिता कौल धोंदियाल हैं।

निकिता की कहानी बहुत ही मार्मिक है। उनका परिवार मूलरूप से कश्मीर का है और वे लोग पंडित हैं। 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार में निकिता का परिवार बेघर हो गया, अपने ही देश में उनका परिवार बेघर होकर दिल्ली रहने लगा। समय के साथ एक घाव भर गया था, इस बीच 26 वर्ष की निकिता का विवाह देहरादून के विभूति शंकर धौंदियाल से हुआ। दोनों का प्रेम विवाह था।

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विवाह को मात्र दस महीने हुए थे, विभूति कश्मीर में तैनात थे। वे कहकर गए थे कि विवाह की पहली वर्षगांठ को देहरादून के अधिकारी आवास पर परिवार के साथ मनाएंगे। परंतु, उसके पहले पुलवामा में आतंकियों ने बड़ा षड्यंत्र कर दिया। 14 परवरी को सीआरपीएफ की टुकड़ी पर हमला हो गया था। उसके दोषियों को 55 राष्ट्रीय राइफल्स के दल ने घेर लिया था। 19 फरवरी को बीस घंटे चली मुठभेड़ में पांच आतंकी मौत के घाट उतार दिये गए। इसमें भारतीय सेना के भी ग्यारह सैनिक घायल हो गए थे। जिसमें मेजर विभूति शंकर धौंदियाल भी थे। इस घटना में उनके समेत चार घायल सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए।

घर आए पर…
निकिता कौल धौंदियाल ट्रेन से देहरादून से आपने मायके दिल्ली के निकली थीं, मुजफ्फरपुर ही पहुंची थीं कि उन्हें पति की वीरगति का समाचार मिला। उन्होंने अपने आपको संभाला, दिल्ली पहुंचीं और परिवार के साथ वापस देहरादून रवाना हो गईं।

पति घर आए तो 27 वर्षीय निकिता ने वीरों की भांति स्वागत किया। दुख था, प्रेम था और राष्ट्रभिमान था… इसलिए लव यू बोली, अंतिम किस किया और अपने हुतात्मा सैनिक पति को जय हिंद कहकर सैल्यूट के साथ विदा किया।

सैन्य सेवा से जुड़ीं
पति की वीर गति से निकिता टूटी नहीं बल्कि एक नए आत्मविश्वास के साथ सेना से जु़ड़ने का दृढ़ निश्चय कर लिया। शॉर्ट सर्विस कमीशन की परीक्षा उत्तीर्ण की, सर्विस सेलेक्शन बोर्ड की मौखिक परीक्षा पास की और ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी चेन्नई के लिए निकल गई।

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अब जाकर निकिता का दृढ़ निश्चय पूरा हुआ है। वे अब लेफ्टिनेंट निकिता कौल धौंदियाल हैं। भारतीय थल सेना की अधिकारी हैं। उनके समक्ष राष्ट्र सेवा का वह लक्ष्य है जो उनके जीवन साथी मेजर विभूति शंकर धौंदियाल छोड़कर गए हैं।

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