राजनीतिक चक्रव्यूह में फंस गए ‘अभिमन्यु’? स्थानांतरण की इतनी जल्दबाजी

कोरोना के बढ़ते संक्रमण के साथ ही कुछ दवाओं, अस्पताल संसाधन और स्वास्थ्य कर्मियों की भयंकर कमी से देश जूझ रहा है। इसे लेकर सभी स्तर पर प्रयत्न हो रहे हैं लेकिन बड़ी जनसंख्या का संक्रमित होना इस संकट को जटिल बना रहा है।

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महाराष्ट्र के अन्न व नागरी औधषि विभाग के आयुक्त का बहुत ही झटके में स्थानांतरण कर दिया गया। इसके पीछे कोरोना काल में औषधि अनुपलब्धता को कारण माना जा रहा है। जबकि भारतीय जनता पार्टी के साथ राज्य सरकार की तकरार में औंधे मुंह गिरी सरकार की मार प्रशासन पर पड़ने की बात भी सामने आ रही है। इसको लेकर अंदरखाने चर्चा है कि राजनीतिक लड़ाई में इंजेक्शन तो नहीं मिला लेकिन नेताओं के चक्रव्यूह में एक ‘अभिमन्यु’ फंस गया।

महाराष्ट्र में इंजेक्शन की डोज कोरोना संक्रमितों को चाहिए थी, इसके लिए सरकार और विपक्ष प्रयत्नशील था, लेकिन राजनीति बीच में आ गई। इसके बाद जो घमासान शुरू हुआ उसमें राजनीति तो बयानबाजी तक ही टिक कर रह गई पर उद्योगपति और अधिकारी को कोपभाजन भुगतना पड़ा।

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राजनीतिक उद्देश्य और प्रशासनिक डंडे से भले ही फार्मास्युटिकल कंपनी के मालिक राजेश डोकानिया छूट गए। लेकिन, एफडीए के आयुक्त अभिमन्यु काले इससे बच नहीं पाए। मंगलवार सायंकाल के समय उनका जल्दबाजी में स्थानांतरण कर दिया गया।

इंजेक्शन की कहानी
महाराष्ट्र में कोरोना की संजीवनी माने जा रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन की बहुत कमी है। लोग इंजेक्शन के लिए घंटों कतार में खड़े रहने को मजबूर हैं। इसके बावजूद भी परिस्थितियां नहीं बदलीं जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने रेमडेसिविर इंजेक्शन देने की घोषणा की थी। इसके लिए उन्होंने दमन के निर्यातक से चर्चा की। उसके लिए केंद्र सरकार की सहायता से गुजरात की अनुमतियां प्राप्त कीं महाराष्ट्र में इसके लिए आवश्यक अनुमति अन्न व औषधि प्रशासन से प्राप्त की। लेकिन राज्य सरकार की ओर से टिप्पणियां शुरू हो गईं और भाजपा को रेमडेसिविर इंजेक्शन की आपूर्ति करनेवाली कंपनी ब्रूक फार्मा के निदेशक राजेश डोकानिया को 11 पुलिसवालों को भेजकर पुलिस थाने बुला लिया गया। इसके बाद प्रकरण ने बहुत तूल पकड़ लिया। हालांकि, भाजपा नेताओं ने पुलिस थाने जाकर सभी कागज प्रस्तुत करके आरोपों को झूठा साबित कर दिया।

मंत्री ने कर दी पुष्टि
अन्न और औषधि प्रशासन के मंत्री राजेंद्र शिंगणे ने एक निजी चैनल से चर्चा में बताया कि, भाजपा नेताओं द्वारा लाया जानेवाला इंजेक्शन भी सरकार को ही मिलनेवाला था। इसके बाद तो मानो सरकार के उन प्रवक्ताओं को अपने भीतर से ही ऐसा उत्तर मिला की वे चुप हो गए।

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राकांपा के विधायक पर हो कार्रवाई
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायक रोहित पवार ने अपने संसदीय क्षेत्र में रेमडेसिविर इंजेक्शन बांटा। इसे लेकर भाजपा ने प्रश्न उठाए कि जब भाजपा महाराष्ट्र सरकार को इंजेक्शन देने की व्यवस्था कर रही थी तो सरकार आरोप लगाने लगी लेकिन, जब उनके ही नेता ने निशुल्क इंजेक्शन बांटे तो उस पर कार्रवाई नहीं हुई।

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