अब मराठा आरक्षण पर नक्सलियों की बड़ी साजिश आई सामने?

नक्सली अब मराठा समाज को वरगलाने के प्रयत्न में हैं। इसके लिए एक तथाकथित पत्र भी उन्होंने जारी किया है। इस योजना में नक्सलियों के फूट डालो राज करो का उद्देश्य ही अधिक प्रतीत होता है।

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महाराष्ट्र में नक्सलियों ने अब मराठा समाज के लिए आंसू बहाना शुरू कर दिया है। इस संबंध में एक सार्वजनिक पत्रक नक्सलियों ने गढ़चिरोली में डाला है। जिसमें मराठा समाज को साथ आने के लिए आहवान किया गया है।

अर्बन नक्सलियों के चंगुल में फंसा भीमा कोरेगांव का यल्गार परिषद राज्य में यथार्थ घटना है, जिस सामाजिक एकता और पिछड़ों की शक्ति को दर्शाने के लिए भीमा कोरेगांव की बरसी मनाई जाती है, वह अर्बन नक्सलियों के हाथों की कठपुतली की तरह उपयोग की जाने लगी हैं, जिसमें हिंदू समाज के बारें में दुष्प्रचार करना, सम्मान पर कुठाराघात किया जाने लगा है। इसी साजिश में अब नक्सली मराठा समाज को सम्मिलित करने की चाल चली जा रही है।

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आहवान या आतंक का आमंत्रण?
सूत्रों के अनुसार शुक्रवार को गडचिरोली के अहेरी तहसील में स्थित कमलापुर गांव में तीस-चालीस के झुंड में नक्सली आए थे। भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी (माओवादी) के लेटर हेड पर छपे पत्रक उन्होंने डाले, “जिसमें लिखा था मराठा दलाल नेताओं से सावधान रहो, तुम्हारी संगठित शक्ति का उपयोग वे राजनीति के लिए कर रहे हैं।”

आरक्षण व्यवस्था पर भी नक्सलियों ने कटाक्ष किया है। वे लिखते हैं देश में आरक्षण जिस पिछड़े समाज के लिए लाया गया था, वह उन्हें नहीं दिया गया। आज की परिस्थिति देखने पर पता चलता है कि आरक्षण से पिछड़ापन या समानता नहीं आ पाई है। आरक्षण से उन्हें प्रतिनिधित्व तक प्राप्त नहीं हुआ। जहां आरक्षण की प्रबलता हो जाती है वह भी गलत है, कोई पिछड़ा हो तो उसे समाज में बराबरी में लाने के लिए कुछ काल के लिए आरक्षण पर अमल करना चाहिए।

मराठा नेता ही हैं अधोगति का कारण
नक्सली पत्रक में लिखते हैं कि, मराठा समाज की अधोगति के लिए मराठा नेता ही जिम्मेदार हैं। महाराष्ट्र की सत्ता में सबसे अधिक काल तक मराठा समाज के मुट्ठीभर नेता ही बैठे रहे, फिर भी मराठा समाज की यह गति क्यों हुई? इस परिस्थिति का कारण सामाजिक न होकर आर्थिक है। मैदान में माओवादी शस्त्र लेकर लड़ रहे हैं। मार्ग और साधन तैयार है, मराठा समाज के मावलों के सामने आहवान है कि वे जनता का राज लाने के लिए मैदान में उतरें।

मराठा समाज देश के साथ

मराठा समाज का क्या इतना बुरा दिन आ गया है? नक्सली संगठन हमें कह रहे हैं कि कानून की राह छोड़कर उनमें शामिल हो जाएं। हमें न्याय और अधिकार प्राप्त करना है, हमें कानून पर विश्वास है। उचित समय पर हम आंदोलन करेंगे, न्यायालय में जाएंगे और आरक्षण या पर्यायी व्यवस्था प्राप्त करेंगे।

विनोद पाटील, याचिकाकर्ता-मराठा आरक्षण

 

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नक्सली या देश द्रोही?
नक्सली अपने आपको हमेशा सत्ता के विरुद्ध लड़नेवाले बागी के रूप में प्रस्तुत करते हैं। जबकि सच्चाई ये है कि वे बागी नहीं बल्कि देश द्रोही ही रह गए हैं। इसके साक्ष्य एक नहीं बल्कि अनगिनत हैं।
केंद्र सरकार के वामपंथी उग्रवाद नियंत्रण विभाग के अनुसार 2004 से 2019 के मध्य 8,197 सामान्य लोगों की मौत नक्सली या वामपंथी उग्रवादी कार्रवाइयों में हुई है।
2015 से 2020 के फरवरी तक 320 सुरक्षा अधिकारी नक्सलियों के आतंक के कारण वीरगति को प्राप्त हुए हैं।
केंद्रीय गृहमंत्रालय ने लेफ्ट विंग एक्स्ट्रिमिजम विभाग ही गठित कर दिया है। जिस पर देश का कई करोड़ रुपया प्रति वर्ष खर्च होता है।

समाज में विष बोने का प्रयत्न
प्रतिवर्ष 1 जनवरी को भीमा कोरेगांव में दलित समुदाय के लोग विजय जश्न मनाते हैं। यह लड़ाई अंग्रजों की ईस्ट इंडिया कंपनी ने पेशवा के विरुद्ध लड़ी थी, ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में अधिकतर सैनिक दलित थे। इस युद्ध में पेशवा को हार का मुंह देखना पड़ा। अब इसी अवसर को साधकर वाम पंथी विचारक यल्गार परिषद का आयोजन करते हैं।
इस यल्गार परिषद का उपयोग करके वाम पंथी लोग हिंदुओं के विरुद्ध वैमनस्य की बातें करते हैं और समाज को भ्रमित करते हैं। वर्ष 2020 में शरजील उस्मानी ने यल्गार परिषद में ही हिंदुओं के विरुद्ध अपमानजनक बातें कहीं थीं।
इसके पहले 2017 में हुई यल्गार परिषद और उसके बाद हुए दंगे की जांच में बड़ी सच्चाई सामने आई थी। पुलिस को इसमें रोना विल्सन नामक एक आरोपी के घर से चिट्ठियां मिली थीं जिनमें राजीव गांधी की हत्या की भांति योजना बनाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने का उल्लेख था। इसके बाद संबंधित लोगों के घर छापे मारे गए, 250 ईमेल संदेश खंगाले गए। इसके आधार पर देश के अलग-अलग हिस्सों से लोगों को गिरफ्तार किया गया था। जिसमें हैदराबाद के वापमंथी विचारक वरवरा राव, ठाणे से अरुण फरेरा, मुंबई से वरनॉन गोन्सालविज, फरीदाबाद से सुधा भारद्वाज, दिल्ली के रहनेवाले गौतम नवलखा और रांची से स्टीन स्वामी को गिरफ्तार किया गया।

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पत्र ने खोल दी पोल
(जून 2018 में दिल्ली के मुनरिका से मिला था पत्र)
नरेंद्र मोदी 15 राज्यों में भाजपा को स्थापित करने में सफल हुए हैं। यदि यह चलता रहा तो पार्टी के लिए बड़ी दिक्कत खड़ी हो जाएगी। कामरेड किशन और कुछ अन्य सीनियर कामरेड ने मोदी राज को खत्म करने के लिए कुछ मजबूत कदम सुझाए हैं। हम सभी राजीव गांधी जैसे हत्याकांड पर विचार कर रहे हैं। ये आत्मघाती जैसा मालूम होता है और इसकी भी अधिक संभावनाएं हैं कि हम असफल हो जाएं। लेकिन हमें लगता है कि पार्टी हमारे प्रस्ताव पर विचार करे, उन्हें रोड शो में टारगेट करना एक असरदार रणनीति हो सकती है।

यल्गार में मराठा और उच्च वर्ग का अपमान
31 दिसंबर 2019 को कथित तौर पर विजय स्तंभ पर आए लोगों को मराठा समाज के विरुद्ध भड़काया गया। जिसकी परिणति आपसी संघर्ष के रूप में हुई। इसके पीछे नक्सलियों के आकाओं का दिमाग था। आज वही नक्सली मराठा को लुभाने के प्रयत्न में हैं।

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