भारतीय बैडमिंटन के लिए यादगार रहा 2022, थॉमस कप के साथ ही इन खेलों में भी मिली ऐतिहासिक जीत

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भारत के लिए बैडमिंटन में वर्ष 2022 काफी शानदार रहा। भारत ने इस साल थॉमस कप जीतकर इतिहास रच दिया, साथ ही राष्ट्रमंडल खेलों में अभूतपूर्व सफलता मिली।

पीवी सिंधु की धैर्य, लक्ष्य सेन के उत्साह और सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी के दृढ़ निश्चय के परिणामस्वरूप बीडब्ल्यूएफ टूर पर भारत को छह व्यक्तिगत खिताब मिले।

दो बार की ओलंपिक पदक विजेता सिंधु ने तीन खिताब
सैयद मोदी इंटरनेशनल, स्विस ओपन सुपर 350 और सिंगापुर ओपन सुपर 500 – के साथ उत्कृष्ट प्रदर्शन जारी रखा और बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण के साथ वर्ष का अंत किया और शेष सत्र टखने की चोट से उबरने में बिताया। लेकिन यह सिर्फ सिंधु का ही प्रदर्शन नहीं था जिसने इस साल भारतीय बैडमिंटन को परिभाषित किया, बल्कि पुरुष खिलाड़ियों ने भी न केवल व्यक्तिगत गौरव हासिल किया वरन बैंकॉक में चीन और इंडोनेशिया के आधिपत्य को तोड़ते हुए थॉमस कप का खिताब जीता।

लक्ष्य सेन ने अपना पहला सुपर 500 खिताब हासिल किया और दो फाइनल फिनिश के अलावा सीडब्ल्यूजी गोल्ड भी हासिल किया, तो वहीं, सात्विक और चिराग ने दो वर्ल्ड टूर खिताब, सीडब्ल्यूजी गोल्ड और पहली बार विश्व चैंपियनशिप कांस्य के साथ 2022 को अपना अब तक का सबसे सफल वर्ष बना दिया।

सेन और सात्विक-चिराग ने इंडियन ओपन सुपर 500 में खिताब के साथ वर्ष की शुरुआत की, अल्मोड़ा के 21 वर्षीय खिलाड़ी सेन पुलेला गोपीचंद के बाद ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय पुरुष बने, इसके अलावा वह जर्मन ओपन के फाइनल में भी पहुंचे।

मई में एचएस प्रणय और किदांबी श्रीकांत के नेतृत्व में पुरुष बैडमिंटन टीम ने बैंकाक में हुए थॉमस कप में शानदार प्रदर्शन किया और दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित टीम इवेंट में स्वर्ण पदक हासिल किया।

इस ऐतिहासिक उपलब्धि का जश्न अभी खत्म नहीं हुआ था कि भारतीय शटलरों ने बर्मिंघम में एक और जबर्दस्त प्रदर्शन कर देशवासियों की खुशी को दोगुना कर दिया। अगस्त में बर्मिंघम हुए राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों ने तीन स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य पदक सहित छह पदक जीते। सिंधु ने स्वर्ण पदक पर कब्जा कर लिया, सेन और सात्विक-चिराग ने भी पीली धातु हासिल की।

2018 में स्वर्ण पदक विजेता श्रीकांत इस बार कुछ खास नहीं कर सके और कांस्य पदक जीतने में सफल रहे, जबकि गायत्री गोपीचंद और ट्रीसा जॉली की महिला युगल जोड़ी ने पहला कांस्य पदक जीता, लेकिन भारत मिश्रित टीम प्रतियोगिता में स्वर्ण से चूक गया और उसे रजत से संतोष करना पड़ा।

सात्विक-चिराग ने दूसरी छमाही में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए टोक्यो में विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता और यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली भारतीय पुरुष जोड़ी बनी।

दोनों ने पेरिस में एक और विश्वसनीय प्रदर्शन की पटकथा लिखी जब उन्होंने फ्रेंच ओपन में अपना पहला सुपर 750 खिताब हासिल किया, ऐसा करने वाली फिर से यह पहली भारतीय जोड़ी बनी।

प्रणय के लिए भी यह वर्ष सफल रहा, जो स्विस ओपन में उपविजेता रहे और सात क्वार्टर फाइनल व दो सेमीफाइनल के साथ अपने वर्ष का समापन किया। भले ही उन्हें खिताब नहीं मिला, लेकिन लगातार अच्छे प्रदर्शन की बदौलत बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड टूर फाइनल्स के लिए क्वालीफाई किया और उन्हें बीडब्ल्यूएफ प्लेयर ऑफ द ईयर पुरस्कार के लिए नामांकन भी मिला।

जूनियर भारतीय खिलाड़ियों ने विश्व जूनियर चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल करके सुर्खियां बटोरीं और शंकर मुथुस्वामी लड़कों के एकल वर्ग में विश्व के नंबर एक खिलाड़ी भी बने।

तसनीम मीर ने वर्ष के दौरान बीडब्ल्यूएफ लड़कियों की एकल रैंकिंग में भी पहला स्थान हासिल किया।

14 साल की उम्र में बीडब्ल्यूएफ खिताब जीतने वाली उन्नति हुड्डा ने भी के साथ अपने कौशल का प्रदर्शन करते हुए जनवरी में ओडिशा ओपन का खिताब जीता।

हुड्डा ने सितंबर में इंडिया जूनियर इंटरनेशनल ग्रां प्री में दूसरा सर्वश्रेष्ठ स्थान हासिल किया, इससे पहले वह थाईलैंड में एशिया जूनियर चैंपियनशिप में अंडर-17 इवेंट में महिला एकल में रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय बनीं।

पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता प्रमोद भगत ने विश्व चैंपियनशिप में एकल वर्ग में अपना चौथा स्वर्ण हासिल किया, वहीं, मनीषा रामदास भी महिला एकल में स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहीं।

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