हेलीकॉप्टर का मलबा चीन बॉर्डर के पास मिला, दोनों पायलटों की मौत

वायु सेना के पास 17 और भारतीय सेना के पास 37 चीता हेलीकॉप्टर हैं। इसमें 4 पैसेंजर या फिर 1135 किलोग्राम वजन ले जा सकते हैं।

अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी खमेंग जिले में 16 मार्च को सुबह दुर्घटनाग्रस्त हुए चीता हेलीकॉप्टर का मलबा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास मिल गया है। मंडला पहाड़ी इलाके के पास दुर्घटनाग्रस्त हुए हेलीकॉप्टर के दोनों पायलटों ने इस हादसे में अपनी जान गंवाई है। सर्च ऑपरेशन के दौरान चीन बॉर्डर के पास मलबा के साथ पायलटों के शव भी मिल गए हैं।

गुवाहाटी के रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने बताया कि 16 मार्च की सुबह करीब 09:15 बजे अरुणाचल प्रदेश के बोमडिला के पास ऑपरेशनल उड़ान भरने वाले आर्मी एविएशन के चीता हेलीकॉप्टर का एटीसी से संपर्क टूट गया। इसके बाद बोमडिला के पश्चिम में मंडला के पास हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने की सूचना मिली। हेलीकॉप्टर से एक लेफ्टिनेंट और एक मेजर असम के सोनितपुर जिले के मिसामारी की ओर जा रहे थे।

अरुणाचल पुलिस के मुताबिक ग्रामीणों ने दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर को दिरांग में देखा और जिले के अधिकारियों को जानकारी दी। ग्रामीणों ने दोपहर करीब 12.30 बजे हेलीकॉप्टर का पता लगाया, जिसमें आग लगी हुई थी। दुर्घटनाग्रस्त हुए हेलीकॉप्टर के पायलटों की तलाश के लिए सर्च ऑपरेशन शुरू करके घटनास्थल की ओर कई उड़ानें भरी गईं। इसी दौरान चीन बॉर्डर के पास मलबा के साथ पायलटों के शव भी मिल गए, जिन्हें अस्पताल भेजा गया है। फिलहाल अधिकारी मामले की जांच में जुट गए हैं।

इससे पहले पिछले साल 5 अक्टूबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग इलाके के पास भारतीय सेना का चीता हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, जिसमें एक पायलट लेफ्टिनेंट कर्नल सौरभ यादव शहीद हो गए थे। यह चीता हेलीकॉप्टर अपनी नियमित ड्यूटी करते हुए जेमीथांग सर्कल के बीटीके क्षेत्र के पास न्यामजंग चू में फायर डिवीजन के बॉल जीओसी को पहुंचाकर सुरवा सांबा क्षेत्र की ओर लौट रहा था। तभी तवांग के निकट यह हेलीकॉप्टर सुबह करीब 10 बजे दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।

वायु सेना के पास 17 और भारतीय सेना के पास 37 चीता हेलीकॉप्टर हैं। इसमें 4 पैसेंजर या फिर 1135 किलोग्राम वजन ले जा सकते हैं। 33.7 फीट लंबे हेलीकॉप्टर की ऊंचाई 10.1 फीट है। यह अधिकतम 192 किमी. प्रतिघंटा की गति से 515 किलोमीटर तक एक साथ उड़ान भरता है। इसे अधिकतम 17,715 फीट की ऊंचाई तक ले जाया जा सकता है। दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर के लिए यही हेलीकॉप्टर सबसे ज्यादा मुफीद माना जाता है।

सेना के लिए लम्बे समय तक ‘लाइफलाइन’ रहे चीता और चेतक हेलीकॉप्टरों के पुराने बेड़े को बदलने की जरूरत काफी समय से जताई जा रही है। मौजूदा समय में सेना के पास मौजूद चीता हेलीकॉप्टर 30 वर्ष से ज्यादा पुराने हैं। इसीलिए आर्मी एविएशन ने चीता हेलीकॉप्टरों की विदाई करके अपनी युद्धक शक्ति बढ़ाने की तैयारी तेज कर दी है। सेना के हवाई बेड़े में स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (एलसीएच) और अमेरिकी अपाचे अटैक हेलीकॉप्टरों को शामिल करने की प्रक्रिया शुरू की गई है, जिसे 2024 तक पूरा किया जाना है।

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