सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों (Local Body Elections) को लेकर अहम निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग (State Election Commission) को चार हफ्ते में चुनाव अधिसूचना जारी करने और चार महीने में चुनाव प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया है।
कोरोना संकट के कारण मुंबई महानगरपालिका (Mumbai Municipal Corporation) समेत अन्य नगर पालिकाओं (Municipalities) के चुनाव स्थगित कर दिए गए थे। ये सभी नगर पालिकाएं प्रशासकों द्वारा संचालित होती हैं। राहुल वाघ ने दिसंबर 2021 में इसके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। चार साल बाद कोर्ट ने इस याचिका पर फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति नोंग्मीकापम कोटिश्वर सिंह की पीठ के समक्ष यह सुनवाई हुई।
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वकीलों ने क्या कहा?
“महाराष्ट्र में कई मामलों में प्रशासक पांच साल से ज्यादा समय से पद पर हैं। संविधान में प्रावधान है कि स्थानीय निकायों को जनप्रतिनिधियों द्वारा चलाया जाना चाहिए। लेकिन इसके विपरीत, ऐसा हो रहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी कहा कि औरंगाबाद और नवी मुंबई में प्रशासक पांच साल से ज्यादा समय से पद पर हैं। न्यायालय ने भी कहा कि हमारे सामने कई मामले आए हैं। स्थानीय स्व-सरकारी निकायों में जनता द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि होने चाहिए,” वकील देवदत्त पालोडकर ने कहा।
चुनाव अवश्य होने चाहिए
महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव पिछले तीन वर्षों से विलंबित चल रहे हैं। इसमें नगर निगम, जिला परिषद और नगर पंचायतें शामिल हैं। पिछले वर्ष लोकसभा और विधानसभा चुनाव हुए। केंद्र में एक बार फिर नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आई, जबकि महाराष्ट्र में महागठबंधन की सरकार बनी। महाराष्ट्र में सभी दलों ने पिछले कुछ दिनों में स्थानीय स्वशासन निकायों की तैयारियां शुरू कर दी हैं। सत्तारूढ़ पार्टी स्थानीय स्वशासन निकायों में प्रभुत्व हासिल करने की रणनीति बना रही है। अब न्यायालय के आदेश के कारण चुनाव कराने होंगे। यह तय है कि भाजपा इस बार मुंबई महानगरपालिका की सत्ता हासिल करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगाएगी।
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