Indore: कोर्ट के फैसले से वक्फ बोर्ड को बड़ा झटका, अब इंदौर के कर्बला मैदान पर नगर निगम का अधिकार

जिला न्यायालय ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में मध्य प्रदेश के इंदौर में लालबाग के पास स्थित कर्बला मैदान के स्वामित्व को लेकर वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज कर दिया।

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इंदौर शहर (Indore City) के मध्य क्षेत्र में लालबाग (Lalbagh) के समीप स्थित कर्बला मैदान (Karbala Ground) की जमीन (Land) के मालिकाना हक (Ownership Rights) को लेकर इंदौर नगर निगम (Indore Municipal Corporation) के पक्ष में बड़ा फैसला आया है। कोर्ट ने कर्बला मैदान की 6.70 एकड़ जमीन का मालिक वक्फ बोर्ड (Waqf Board) को नहीं मानते हुए इंदौर नगर निगम को माना है। शनिवार को इंदौर निगम की ओर से दायर दीवानी अपील को स्वीकार करते हुए 15वें जिला न्यायाधीश नरसिंह बघेल की कोर्ट ने निगम के पक्ष में डिक्री पारित कर दी है।

दरअसल, नगर निगम की ओर से दायर इस अपील में पंच मुसलमान कर्बला मैदान कमेटी और वक्फ बोर्ड को पक्षकार बनाया गया था। इसके पहले निगम ने वाद दायर किया था जो व्यवहार न्यायाधीश की कोर्ट ने 13 मई 2019 को निरस्त कर दिया था जिसके विरुद्ध उक्त अपील की गई थी। नगर निगम का तर्क था कि इस जमीन का मालिक वह है। इस जमीन से लगी सरस्वती नदी के पास के मात्र 0.02 एकड़ भूमि तजिए ठंडे करने के उपयोग में आती है।

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प्रतिवादी इस जमीन पर अतिक्रमण करने का प्रयास कर रहे हैं। प्रतिवादी गण का तर्क था कि 150 साल पहले इंदौर के श्रीमंत राजा ने वाद ग्रस्त स्थान को मुस्लिम समाज को मोहर्रम त्योहार और ताजिए ठंडे करने के लिए दिया था। 29 जनवरी 84 को इसे वक्फ संपत्ति के रूप में इसका रजिस्ट्रेशन किया गया। ऐसे में नगर निगम को वाद ग्रस्त जमीन पर कार्रवाई का अधिकार समाप्त हो चुका है।

उपरोक्त विवेचन के आधार पर नगर निगम यह प्रमाणित करने के सफल रहा हैं कि वाद ग्रस्त भूमि वादी नगर पालिक निगम, इंदौर में वेष्टित भूमि होने से वाद ग्रस्त भूमि का स्वामी एवं आधिपत्य धारी है। निगम यह प्रमाणित करने में असफल रहा हैं कि प्रतिवादी गण वाद ग्रस्त भूमि पर अवैध रूप से दीवार बनाकर अतिक्रमण करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में वादी/अपीलार्थी के पक्ष स्वत्व घोषणा की डिक्री पारित किया जाना उचित होगा और प्रतिवादी गण के विरुद्ध स्थाई निषेधाज्ञा जारी किये जाने योग्य मामला नहीं है। इसी तरह प्रतिवादीगण यह प्रमाणित करने में असफल रहे हैं कि वाद ग्रस्त संपत्ति वक्फ संपत्ति है।

प्रतिवादी गण यह प्रमाणित करने में सफल रहे हैं कि मोहर्रम के अवसर पर मुस्लिम समुदाय के लोग विगत 150 वर्षों से वाद ग्रस्त संपत्ति के भाग पर ताजिए ठंडे करने का धार्मिक कार्य करते चले आ रहे हैं। निगम की अपील को स्वीकारते हुए कोर्ट ने निगम के पक्ष में डिक्री पारित कर दी।

प्रतिवादी पक्ष वक्फ कमेटी व कर्बला पंच कमेटी ने कोर्ट में कहा था कि होलकर स्टेट के समय जमीन मोर्हरम मनाने और ताजिए ठंडे करने के लिए दी गई थी। इस जमीन का पंजीयन वक्फ बोर्ड की संपत्ति के रूप में वर्ष 1984 को किया गया है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें व साक्ष्य देखने के बाद फैसला सुनाया।

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