बिकरू काण्ड: इसलिए शहीद हो गए थे पुलिस कर्मी… पढ़ें जांच दल की रपट के मुद्दे

गैंगस्टर विकास दूबे प्रकरण की न्यायिक जांच रिपोर्ट में पुलिस की कई गलतियां सामने आई हैं। 2 और 3 जुलाई 2020 की रात कानपुर देहात के बिकरु गांव में आठ पुलिसवालों की हत्या कर दी गई थी। इसकी 132 पन्नों की जांच रिपोर्ट पेश की गई है। इसमें खामियों और सुधारों की सिफारिशें भी की गई हैं।

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उत्तर प्रदेश के बिकरू गांव के विकास दूबे एन्काउंटर प्रकरण में पुलिस के स्पेशल टास्क फोर्स को क्लीन चिट मिल गई है, परंतु मात्र इसी से पुलिस का दामन साफ नहीं होता। इस प्रकरण में गठित विषेश जांच दल के अध्यक्ष जस्टिस बीएस चौहान ने एक रिपोर्ट दी है। जिसमें आठ पुलिस कर्मियों की शहादत का कारण बताया गया है।

खुफिया नाकामी: रपट में कहा गया है कि, बिकरू गांव में हुई मुठभेड़ में खुफिया एजेंसियों की नाकामी स्पष्ट रूप से दिखती है। जिसके कारण पुलिस को यह अंदाजा नहीं लग पाया था कि, विकास दूबे की गैंग के पास कितने और कौन-कौन से असलहे हैं।

पुलिस कर्मियों ने लीक कर दी जानकारी: चौबेपुर थाने के कर्मियों ने विकास दूबे को छापे की जानकारी पहले ही पहुंचा दी थी। जिसके कारण गैंगस्टर ने पूरी तैयारी कर ली थी पुलिस का सामने करने की।

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असावधानियां बनीं कारण: इस प्रकरण में कई असावधानियां बरती गईं। जिसमें से सबसे बड़ी असावधानी थी कि सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्रा अपना मोबाइल फोन गाड़ी में भूल गए थे। जिसके कारण अपराधियों के हमले के समय वे सहायता के लिए अतिरिक्त पुलिस फोर्स नहीं बुला पाए।

छिप गए थे एसओ: विकास दूबे की गैंग से मुकाबले के समय तत्कालीन एसओ विनय तिवारी छिपकर खड़े हो गए थे।

मेहरबानी पर अधिकारी: न्यायाधीश बीएस चौहान को जांच में स्थानीय पुलिस, राजस्व विभाग के अधिकारी और विकास दूबे के बीच संबंधों के साक्ष्य मिले हैं। इसके अनुसार इन अधिकारियों को गैंगस्टर खाना और आवश्यकताओं की सभी सामान उपलब्ध कराता था। जिसके कारण पुलिस और राजस्व विभाग के कर्मचारी उसके आदेशों का पालन करते थे।
यदि कोई विकास दूबे के विरुद्ध शिकायत लेकर इन अधिकारियों के पास जाता था तो उसे अपमानित करके लौटा दिया जाता था।

पुलिस पीस कमेटी में विकास दूबे की गैंग, मिला था शस्त्र लाइसेंस: विकास दूबे मण्डल के शीर्ष दस अपराधियों में से था। इसके बाद भी उसका नाम जिले के शूर्ष अपराधियों में शामिल नहीं किया गया था। उसके अपराधी मित्र पुलिस की पीस कमेटी में सदस्य थे। विकास के पूरे परिवार पर आपराधिक मामले दर्ज थे इसके बाद भी इन लोगों को शस्त्र लाइसेंस जारी किये गए थे।

पुलिस ने बरती कोताही: विकास दूबे के सामने पुलिस इतनी बौनी बनी हुई थी कि, वो किसी प्रकरण की जांच सही ढंग से नहीं कर पाई थी। विकास के विरुद्ध चल रही प्रत्येक जांच रुपोर्ट पक्षपातपूर्ण थी। जिन प्रकरणों में विकास दूबे के विरुद्ध आरोप पत्र दायर किया गया था उसमें से गंभीर धाराएं नहीं लगाई गई थीं।

गवाह मुकर जाते थे: विकास दूबे के विरुद्ध चल रहे प्रकरणों के गवाह मुकर जाते थे। जिसके कारण उसका आपराधिक दायरा निरंतर बढ़ता गया।

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