सतर्कता ही है साइबर क्राइम से बचने का एक मात्र उपाय! जान लें, नया हेल्पलाइन नंबर

पोर्टल दिए गए पेज में कृपया ''रिपोर्ट अंडर साइबर क्राइम'' मेनू विकल्प पर क्लिक करें। एक नई स्क्रीन प्रदान की जाएगी, कृपया जानकारी देखें और ''शिकायत दर्ज करें'' पर क्लिक करें,आवेदक दूसरे पेज पर पहुंच जाएंगे।

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साइबर क्राइम के तेजी से बढ़ते मामलों को देखते हो शासन-प्रशासन लोगों को लगातार जागरूक कर रहा है। विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से लोगों को सतर्क करने के साथ-साथ होर्डिंग्स-बैनर लगाकर लोगों को साइबर क्राइम से बचने के लिए सतर्क रहने तथा हेल्पलाइन नंबर की जानकारी दी जा रही है। हेल्पलाइन नंबर 155260 को बदलकर 1930 कर दिया गया है।

साइबर अपराध से निपटने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रिर्पोटिंग पोर्टल लॉन्च किया है तथा अधिक से अधिक लोगों तक इसकी जानकारी पहुंचाई जा रही है बेगूसराय के सांसद और केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने भी सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को सतर्क करते हुए शिकायत दर्ज कराने की अपील की है।

राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल लॉन्च
गिरिराज सिंह ने कहा है कि गृह मंत्रालय ने साइबर अपराधों से व्यापक तरीके से निपटने के लिए राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल साइबर क्राइम डॉट जीओवी डॉट इन (cybercrime.gov.in) लॉन्च किया है।महिलाओं एवं बच्चों के विरुद्ध साइबर अपराध की रिपोर्टिंग, पोर्टल में दर्ज शिकायतें, स्वचालित रूप से संबंधित राज्य क्षेत्र को ऑनलाइन होती है। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र योजना पोर्टल में दर्ज शिकायतें स्वचालित रूप से संबंधित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र को ऑनलाइन अग्रेषित हो जाती है। अब तक सात करोड़ 60 से अधिक लोग पोर्टल पर विजिट कर चुके हैं, साढ़े आठ लाख से अधिक शिकायतें आई और 16 हजार 573 एफआईआर दर्ज की गई है। इधर जगह-जगह होर्डिंग लगाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि कभी भी एटीएम कार्ड पर पिन नंबर न लिखें, अपना पिन या पासवर्ड सोशल मीडिया पर शेयर नहीं करें। एटीएम का प्रयोग करते समय दूसरे हाथ कीपैड को ढंक कर रखें, फोन कॉल के माध्यम से डेबिट या क्रेडिट कार्ड की मांगी गई गोपनीय जानकारी कार्ड का सीभी नंबर, एक्सपायरी डेट एवं ओटीपी शेयर नहीं करें। अपने बैंक खाता में मोबाइल नंबर अवश्य रजिस्टर कराएं ताकि कोई भी लेन-देन का अलर्ट आपके मोबाइल पर मिलता रहे। वित्तीय लेन-देन की नियमित रूप से जांच और किसी प्रकार भिन्नता पाए जाने पर तुरंत बैंक शाखा या एटीएम पर लिखे हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें। राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल द्वारा वित्तीय अपराध से संबंधित शिकायत दर्ज करने के लिए हेल्पलाइन नंबर 1930 पर फोन करें तथा ऑनलाईन शिकायत वेबसाइट पर करें।

इस तरह की जा सकती है शिकायत
शिकायतकर्ता को हेल्पलाइन नम्बर पर शिकायत दर्ज कराते समय जरुरी जानकारी अपना मोबाइल नंबर, धनराशि निकासी की तिथि, बैंक खाता संख्या या वॉलेट आईडी या यूपीआई आईडी जिससे धनराशि की निकासी हुई है, ट्रॉन्जेक्शन आईडी तथा उपलब्ध हो तो स्क्रीन शॉट देना होगा।

शिकायत दर्ज कराने के बाद सिस्टम द्वारा आईडी या एक्नॉलेजमेंट
शिकायतकर्ता को एसएमएस अथवा ईमेल से प्राप्त होगा, जिसे 24 घंटों के भीतर अनिवार्य रूप से वेबसाइट साइबर क्राइम डॉट जीओवी डॉट इन cybercrime.gov.in पर पंजीकृत कराना होगा। शिकायत मिलते ही हेल्प डेस्क टीम द्वारा जांच कर बैंक, वित्तीय संस्था, पेमेंट गेट-वे से सम्पर्क कर खाते में शेष राशि की निकासी पर रोक लगवा दी जाएगी तथा पुलिस, बैंक, वित्तीय संस्थाओं के द्वारा अग्रतर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा जहां रह रहे हैं उस शहर मुख्यालय के साइबर अपराध प्रकोष्ठ में भी साइबर अपराध की शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। यदि आवेदक किसी साइबर सेल से दूर हैं तो वे स्थानीय पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करा सकते हैं। यदि वहां शिकायत स्वीकार नहीं की जाती है, तो अपनी शिकायत करने के लिए आयुक्त, डीएम या जिला स्तरीय पुलिस कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।

व्यक्तिगत रूप से आवेदन
साइबर क्राइम के शिकार को पूरी घटना बताते हुए एक शिकायत लिखनी चाहिए – संक्षिप्त इतिहास का उल्लेख किया जाना है। अपने नजदीकी साइबर क्राइम सेल में जाएं। अगर आप साइबर क्राइम सेल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं तो नजदीकी पुलिस स्टेशन पहुंचें। पीड़ित एक पुलिसकर्मी के माध्यम से “शून्य प्राथमिकी” दर्ज कर सकता है और फिर शिकायत दर्ज करने के लिए स्थानीय निकटतम पुलिस स्टेशन को शिकायत भेज दी जाएगी।

खास बातें

राज्य साइबर सेल के लिए लिंक : संपर्क विवरण के लिए कृपया “साइबर अपराध प्रभाग” अनुभाग का उपयोग करें।

निम्नलिखित लिंक संपर्क विवरण प्रदान करता है: बेगूसराय पुलिस कृपया संपर्क विवरण के लिए उपयुक्त लिंक का उपयोग करें।

कृपया हमारे “आवश्यक दस्तावेज़” अनुभाग के अनुसार ऑनलाइन पोर्टल के स्क्रीन शॉट के प्रिंटआउट, यूआरएल और अन्य आवश्यक दस्तावेजों के साथ अपनी शिकायत दर्ज करें।

शिकायत मिलने पर, अधिकारी जांच करेंगे और पंजीकरण से पहले उनकी शंकाओं का समाधान करेंगे।

यदि सबमिट की गई शिकायत विस्तृत है और सहायक दस्तावेज मौजूद हैं तो संबंधित प्राधिकारी द्वारा शिकायत दर्ज की जाएगी।

पीड़ित को दर्ज शिकायत के लिए एफआईआर नंबर मिलेगा। इसे भविष्य के संदर्भ के लिए सुरक्षित रखें।

टीम द्वारा इस शिकायत की जांच की जाएगी और शिकायतकर्ता को प्रगति के बारे में जानकारी और अधिसूचना मिलती है।

न्याय पाने के लिए शिकायतकर्ता विभाग के नोटिस का पालन करेगा।

राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल के माध्यम से आवेदन करने के लिए ऑनलाइन पोर्टल पर जाएं।

पोर्टल दिए गए पेज में कृपया ”रिपोर्ट अंडर साइबर क्राइम” मेनू विकल्प पर क्लिक करें। एक नई स्क्रीन प्रदान की जाएगी, कृपया जानकारी देखें और ”शिकायत दर्ज करें” पर क्लिक करें,आवेदक दूसरे पेज पर पहुंच जाएंगे। कृपया निर्देशों को पढ़ें और ”मैं स्वीकार करता हूं” पर क्लिक करें। इससे उपयोगकर्ता लॉगिन पेज पर पहुंच जाएंगे तथा ”नागरिक लॉगिन” अनुभाग का उपयोग करें। उक्त विवरण को पूरा करें और अपने मोबाइल में ओटीपी प्राप्त करने के लिए ”ओटीपी प्राप्त करें” बटन पर क्लिक करें। अब पूछे गए स्थान पर प्राप्त ओटीपी दर्ज करें और ”सबमिट” बटन पर क्लिक करें। लॉगिन सफल होने के बाद आवेदक ”रिपोर्ट एंड ट्रैक” पेज पर पहुंच जाएंगे। आवेदक को ”घटना विवरण, संदिग्ध विवरण, शिकायत विवरण” के लिए एक-एक करके अनिवार्य विवरण पूरा भरना होगा। ”पूर्वावलोकन और जमा करें” अनुभाग पर पहुंच जाने पर आवेदन का पूर्वावलोकन प्रदर्शित किया जाएगा। यदि सभी विवरण सही हैं तो ”मैं सहमत हूं” चेक बॉक्स पर क्लिक करें तथा ”पुष्टि करें और सबमिट करें” बटन पर क्लिक करें। एक सिस्टम जनरेटेड रिसिविंग संख्या मिल जाएगी तो इसे भविष्य के लिए लिखकर रख लें तथा ओके बटन पर क्लिक करें।

आवेदन पत्र डाउनलोड करने और प्रिंट करने के लिए आवेदक “डाउनलोड पीडीएफ” बटन का उपयोग करेगा
इस शिकायत पर आगे कार्रवाई की जाएगी।

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