अमेरिका में ईरान का इस्लामी कार्ड सफल, सलमान पर न्यूयार्क में जानलेवा हमला

अमेरिका ने अल कायदा के अल जवाहिरी को घर में घुसकर मारा हो लेकिन, उसकी भूमि पर जिहादी मानसिकता पनप रही है, जिसपर उसका कोई नियंत्रण नहीं है। भारतीय मूल के सलमान रुश्दी पर हमला 'द सेटेनिक वर्सेज' किताब की परिणति माना जा रहा है।

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भारतीय मूल के उपन्यासकार सलमान रुश्दी पर शुक्रवार को पश्चिमी न्यूयॉर्क में हुए हमले के बाद उनकी हालत गंभीर है। एक समारोह में भाषण देने से पहले हमलावर ने उन पर मुक्कों से हमला करने के बाद गर्दन पर चाकू मार दिया था जिसके बाद उनको गंभीर हालत में एयरलिफ्ट करके ले जाया गया है।

रुश्दी को उनकी पुस्तक द सेटेनिक वर्सेज के कारण वर्ष 1988 में ईरान ने मौत का फतवा जारी किया था। इसके कारण वर्षों तक उन्हें छुपाया गया था। न्यूयॉर्क की गवर्नर कैथी होचुल ने कहा कि रुश्दी जीवित हैं उनके इलाज के साथ पूरी देखभाल की जा रही है। एक चश्मदीद ने कहा कि एक व्यक्ति चौटौक्वा संस्थान में मंच पर खड़े 75 वर्षीय रुश्दी के पास पहुंचा और उनपर हमला किया। उस समय रुश्दी कलात्मक स्वतंत्रता पर सैकड़ों दर्शकों को भाषण देने जा रहे थे। पुलिस ने कहा कि कार्यक्रम में मौजूद न्यूयॉर्क राज्य पुलिस के एक जवान ने हमलावर को हिरासत में ले लिया।

ईरान का समर्थक निकला अमेरिकी
सलमान रुश्दी का हमलावर ईरान का समर्थक है। वह 24 वर्ष का है, जिसका नाम हदी माटर है और वह न्यू जर्सी में रहता है। प्राप्त सूचनाओं के अनुसार हदी इस्लामी कट्टरवाद से प्रेरित है। उसके सोशल मीडिया अकाउंट से इसकी पुष्टि हो रही है। हदी लेबनान का रहनेवाला है।

अमेरिका में ईरान का बढ़ता प्रभाव
राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने कुछ दिन पहले ही ईरान के इस्लामी रिवोल्यूशनरी गार्ड के एक सदस्य को पकड़ा है। जिसपर आरोप है कि, वह अमेरिका के पूर्व सुरक्षा सलाहकार जॉन बॉल्टन को मारने की योजना बना रहा था।

सलमान की स्थिति चिंताजनक
राज्य पुलिस ने कहा कि “द सैटेनिक वर्सेज” उपन्यास लिखने वाले रुश्दी की स्थिति के बारे में पता नहीं था और उन्होंने हमले का मकसद नहीं बताया और यह स्पष्ट नहीं था कि किस तरह के हथियार का इस्तेमाल किया गया था। रुश्दी के प्रवक्ता एंड्र्यू वायली ने एक ईमेल में कहा कि सलमान की सर्जरी हो गई है, उनकी कई नसें कट गई हैं, लीवर क्षतिग्रस्त हो गया है और एक आंख वे खो सकते हैं। बता दें कि, हमले में लेखक रुश्दी फर्श पर गिर गए, जिसके बाद वहां मौजूद लोगों ने रुश्दी को बचाने के लिए घेर लिया। हमलावर को स्थानीय पुलिस के एक जवान ने दबोच कर हिरासत में ले लिया।

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खुमैनी ने जारी किया था फतवा
रुश्दी, बंबई (अब मुंबई) में एक मुस्लिम कश्मीरी परिवार में पैदा हुए थे। ब्रिटेन जाने से पहले उन्हें चौथे उपन्यास, “द सैटेनिक वर्सेज” लिखने के चलते उनको धमकियों का समाना करना पड़ा। जिसमें कुछ मुसलमानों ने कहा कि इसमें ईशनिंदा के अंश हैं। 1988 के प्रकाशन पर बड़ी मुस्लिम आबादी वाले कई देशों में उपन्यास पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

एक साल बाद, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी ने एक फतवा, या धार्मिक फतवे का उच्चारण किया, जिसमें मुसलमानों को उपन्यासकार और ईशनिंदा के लिए इसके प्रकाशन में शामिल किसी भी व्यक्ति को मारने का आह्वान किया गया था।

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