अमेरिका ने भारत को उन देशों की सूची में सम्मिलित कर लिया है जिसमें संदिग्ध ‘विदेशी मुद्रा नीतियां’ और ‘मुद्रा हेरफेर’ करनेवाले देशों को रखा जाता है। यह करीब सालभर बाद हो रहा है जब भारत इस सूची से बाहर रखा गया था। इस सूची में सम्मिलित देशों पर अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट निगरानी रखता है।
मुद्रा हेरफेर (करेंसी मैनीपुलेटर) करने का अर्थ
अमेरिकी सरकार द्वारा ये निगरानी टर्म उपयोग किये जाते हैं। जिसके अंतर्गत उन देशों को रखा जाता है जिन पर आशंका होती है कि वे अनुचित मुद्रा व्यवहार कर रहे हैं। इसका अर्थ है कि वह देश अपनी मुद्रा का कृत्रिम रूप से अवमूल्यन कर रहा है। जिससे उसे व्यापार में गलत तरीके से लाभ हो सके। मुद्रा के कृत्रिम रूप से अवमूल्यन के कारण निर्यात की लागत कम हो जाती है। जिसके कारण व्यापार घाटा कम नजर आता है।
ऐसे देश होते हैं निगरानी में
ऐसी अर्थ व्यवस्था जो निम्नलिखित तीन मानदंडो में से दो को पूरा करता है उसे ट्रेड एन्फोर्समेंट एक्ट 2015 के अंतर्गत निगरानी में रखा जाता है। भारत को इसके पहले 2018 में इस सूची में रखा गया था लेकिन 2019 में इससे हटा दिया गया।
अमेरिका के साथ जिस देश का व्यापार अधिशेष एक वर्ष की कालावधि में 20 अरब डॉलर से अधिक हो।
एक वर्ष में जिस देश का चालू खाता अधिशेष सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 2 प्रतिशत से अधिक हो।
विदेशी मुद्रा की खरीद देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद का 2 प्रतिशत से अधिक हो।
कौन-कौन से देश हैं सूची में?
अंतरराष्ट्रीय मामलों की निगरानी करनेवाले अमेरिका के राजकोषीय कार्यालय द्वारा जारी रिपोर्ट में भारत के अलावा ताईवान, थाइलैंड, चीन, जापान, कोरिया, जर्मनी, इटली, सिंगापुर और मलेशिया है।
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