Uttar Pradesh: संभल हिंसा पर यूपी सरकार सख्त, बड़ा फैसला लेने की तैयारी में सीएम योगी!

सरकार हिंसा की इन घटनाओं में कथित रूप से शामिल 100 से अधिक प्रदर्शनकारियों की तस्वीरों और अन्य जानकारी के साथ सार्वजनिक स्थानों पर पोस्टर लगाने पर विचार कर रही है।

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24 नवंबर को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के संभल (Sambhal) में एक मस्जिद (Mosque) का सर्वेक्षण (Survey) करने गई टीम पर कुछ मुसलमानों ने हमला कर दिया, जिसके कारण हिंसा भड़क उठी। यह मुद्दा इस समय देश में खूब चर्चा में है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को संभल के चंदौसी में शाही जामा मस्जिद (Shahi Jama Masjid) की सर्वेक्षण प्रक्रिया पर अस्थायी रोक लगा दी। यूपी सरकार (UP Government) ने हिंसा की जांच के लिए 3 सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया है। इस बीच उत्तर प्रदेश सरकार इस हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ बड़ा फैसला लेने की तैयारी में है।

सरकार हिंसा की इन घटनाओं में कथित रूप से शामिल 100 से अधिक प्रदर्शनकारियों की तस्वीरों और अन्य जानकारी के साथ सार्वजनिक स्थानों पर पोस्टर लगाने पर विचार कर रही है। इस बीच, यह पहली बार नहीं है कि योगी सरकार ने सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ ऐसा फैसला लिया है। उत्तर प्रदेश सरकार पहले भी ऐसी कार्रवाई कर चुकी है।

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यूपी सरकार पहले भी अपना चुकी है यह फार्मूला
बता दें कि 2020 में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ राज्य में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। उस समय उत्तर प्रदेश सरकार ने पहली बार पोस्टर लगाने का यह तरीका अपनाया था। 6 मार्च, 2020 को उत्तर प्रदेश सरकार ने लखनऊ की प्रमुख सड़कों पर सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे 57 लोगों की फोटो, नाम और पते वाले पोस्टर लगाए। विशेष रूप से, इसमें कांग्रेस नेता सदफ जाफर, रिहाई मंच के संस्थापक मोहम्मद शोएब और दीपक कबीर, प्रमुख शिया धर्मगुरु कल्बे सादिक के बेटे कल्बे सिब्तेन नूरी और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी और कार्यकर्ता एसआर दारापुरी सहित कई कार्यकर्ता शामिल थे।

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