वो आई थी गंगा से बहकर… उसे आशा रही होगी कि इंसानों की बस्ती में व्यवहार भी इंसान जैसा होगा। जब उसने आज तक किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया तो कोई उसे क्यों छुएगा। लेकिन गंगा की इस निर्मल संगिनी के साथ पाप हो गया।
ये घटना है उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ की जहां शारदा नहर में विलुप्त प्राय डॉल्फिन आ गई थी। गंगा की अविरल अथाह धारा में अठखेलियां करनेवाली ये डॉल्फिन छोटी धारा में अपने आपको समेटने और प्राणों को बचाने में लगी थी। इंसानों की दृष्टि जब उस पर पड़ी तो वे इस निरीह प्राणि पर टूट पड़े। ऐसी गति कर दी कि इंसानियत भी डूबकर दम तोड़ दे।
याद करिये हमारे प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में गंगा की इन डॉल्फिन्स को बचाने के लिए प्रोजेक्ट डॉल्फिन शुरू करने की बात कही थी। लेकिन प्रतापगढ़ में गंगा की इस संगिनी को लोगों ने धारदार हथियार, बांसों से पीट-पीटकर मार डाला। यह घटना 31 दिसंबर 2020 की है। जब विश्व नए वर्ष की शुभकामनाओं को पुलकित नयनों से निहार रहा था तब ये अनबोल अपने प्राण त्याग चुकी थी।
On New Year's eve, a #dolphin was brutally murdered by people in Sharda canal of Uttar Pradesh's Pratapgarh area. These are rare dolphins of the Ganges who are on the verge of extinction. Shame 😡 #SaveThePlanet #Nature #Ganga #AnimalCruelty pic.twitter.com/w3zNQbEHu5
— Karan Bhardwaj (@BornOfWeb) January 8, 2021
इस मामले में पुलिस तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। इन लोगों को सेक्शन 9/51 के अंतर्गत वन्य जीव सुरक्षा कानून 1972 के अंतर्गत कार्रवाई की गई है।
गंगा नदी की डॉल्फिन की विशेषता
ये एक नेत्रहीन जलीय प्राणि है। इसकी सूंघने की शक्ति प्रबल होती है। यह विलुप्त प्राय है। देश में लगभग दो हजार ही बची हैं और ये गंगा व ब्रम्हपुत्र नदी में पाई जाती हैं। तेल के लिए इनका शिकार किया जाता रहा है। उत्तर प्रदेश के नरोरा और बिहार के पटना साहिब में ही गंगा डॉल्फिन बचीं हैं। बिहार व उत्तर प्रदेश में इसे ‘सोंस’ जबकि आसामी भाषा में ‘शिहू’ के नाम से जाना जाता है। यह जीव लगभग दस करोड़ वर्ष से भारत में है। इन्हें सन ऑफ रीवर भी कहा जाता है।
गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉल्फिन समुद्री डॉल्फिन की ही एक प्रजाति है। इसे 18 मई 2010 को राष्ट्रीय जलीय प्राणि के रूप में अधिसूचित किया गया। यह स्तनधारी होते हैं और पवित्र गंगा की शुद्धता को भी प्रकट करती हैं, क्योंकि यह केवल शुद्ध और मीठे पानी में ही जीवित रह सकती हैं।
नदी डॉल्फिन के संरक्षण के लिए क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने को भारत-बांग्लादेश-नेपाल और म्यांमार के विशेषज्ञ साथ आए https://t.co/zyMr918cdo @NWDA_MOWR @cleanganganmcg @MoJSDoWRRDGR@PIBWater @OfficeOfGSS
— Press Information Bureau•Jal Shakti Ministry• (@PIBWater) August 27, 2020
अति संरक्षित प्रजाति
इसकी विलुप्तता को देखते हुए इसे संरक्षित करने के लिए भारत में इसे अतिविलुप्त प्राय प्राणियों की श्रेणी में डाल दिया गया है। 1972 के वन संरक्षण कानून में भी गंगा डॉल्फिन को लुप्त होने के कगार पर बताया गया है। सेक्शन 9/51 के अंतर्गत वन्य जीव सुरक्षा कानून 1972 के अंतर्गत सुरक्षा देने के लिए कड़े कानून है।