गाड़ी बुला रही है…. सरकार है कि मानती नहीं!

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मुंबई। गाड़ी कोविड-19 संक्रमितों को अपनी सेवा देने के लिए बुला रही है। हर तरह की सुविधाओं से लैस ये गाड़ी इंतजार कर रही है लेकिन कई महीने हो गए, कोई वहां नहीं गया। लोग शहर के सरकारी कोरोना आइसोलेशन सेंटरों की अव्यवस्था के कारण दम तोड़ते रहे, आज भी तोड़ रहे हैं। अदद एक बेड के लिए तरस रहे हैं, तड़प रहे हैं, लेकिन रेलवे की इन सुविधा संपन्न बोगियों में नहीं जा रहे हैं। वहां डॉक्टर और नर्स नजरें बिछाए उनका इंतजार कर रहे हैं, जबकि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर-नर्स की कमी का रोना है। फिर भी वहां कोई नहीं जा रहा है। यह क्या हो रिया है, किसी की समझ में नहीं आ रिया है।
पुणे बना कोरोना सिटी
महाराष्ट्र में कोरोना का कहर पूरे उफान पर है। प्रति दिन संक्रमण और मौत के आकड़े नई-नई उंचाईयां छू रहे हैं। राज्य की सांस्कृतिक और शैक्षणिक राजधानी पुणे पिछले कई दिनों से कोरान वायरस के संक्रमण के मामले में देश का पहला जिला बना हुआ है। कुछ दिन पहले ही इस जिले ने दो लाख के आंकड़े को पार करते हुए मुंबई और दिल्ली को भी पछाड़ दिया है और अभी भी हर दिन यहां हजारों लोग संक्रमित हो रहे हैं, सैकड़ों दम तोड़ रहे हैं। इस हाल में प्रशासन को समझ में नहीं आ रहा है कि वह कौन-सा कदम उठाए कि कोरोना का रोना बंद हो। मृतकों में होनहार पत्रकार पांडुरंग रायकर भी शामिल हैं। हाल ही में प्रशासन की अव्यवस्था के चलते ही दूसरे लोगों की तरह उनकी भी मौत हो गई थी।
ट्रेन अस्पताल को सरकारी इंतजार
दरअस्ल देश 15 राज्यों में कोरोना वायरस संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए रेलवे प्रशासन ने 5231 कोच को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील किया है। प्रशासन ने 225 स्टेशनों पर अपने इस मेडिकल कोच को जनता की सेवा के लिए उपलब्ध कराया है, जिसमें 2500 डॉक्टर और करीब 5000 नर्सों को तैनात किया गया है।
लेकिन विडम्बना यह है कि ज्यादातर राज्य सरकरों ने अभी तक रेलवे द्वारा उपलब्ध कराई गई इस सुविधा का उपयोग नहीं किया है।
हर दिन हो रहे हैं लाखों रुपए खर्च
महाराष्ट्र की बात करें तो यहां राज्य के सबसे दूसरे बड़े शहर पुणे में अप्रैल से ही कोरोना संक्रमितों के आइसोलेशन के लिए चिकित्सीय सुविधाओं से लैस कई कोच उपलब्ध कराए हैं लेकिन आजतक इसका उपयोग नहीं किया गया है। देखनेवाली बात यह है कि हर दिन इनके रखरखाव और डॉक्टरों तथा अन्य स्वास्थ्यकर्मियों पर लाखों रुपए खर्च हो रहे हैं।
छोटे शहरों में उपलब्ध कराई जाए यह सुविधा
पुणे एक काफी विकसित शहर है और वहां से कई बड़े नेता महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी दखल रखते हैं। इस वजह से शहर में कई बड़े आइसोलेशन सेंटर हैं। साथ ही सरकारी अस्पताल भी हैं और शायद वहां इस तरह की सुविधा की जरुरत न हो लेकिन महाराष्ट्र के कई छोटे शहरों और दूर-दराज के इलाकों में भी पिछले कई महीनों से कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। इस हालत में उन्हें उनके आसपास के स्टेशनों पर यह सुविधा उपलब्ध कराई जा सकती है। इस बारे में जब रेलवे के अधिकारियों से हिंदुस्तान पोस्ट ने जानकारी चाही तो उन्होंने कहा कि हमें इस बारे में महाराष्ट्र सराकर ने कोई दिशानिर्देश नहीं दिया है। अगर उसकी ओर से रेलवे प्रशासन को इस बारे में कोई आदेश आएगा तो हम उसपर जरुर अमल करेंगे।
राजनीति या और कुछ?
वाकई राज्य सरकार के बारे में रेलवे प्रशासन की ओर से दी गई जानकारी चौंकानेवाली है। जब महाराष्ट्र कोरोना संक्रमण के हर दिन नये रिकॉर्ड कायम कर रहा है, तब सरकार की इस तरह की लापरवाही क्यों है, यह समझना मुश्किल है। क्या इसमें भी कोई राजनीति है कि हम एनडीए की केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई इस सुविधा का उपयोग नहीं करेंगे चाहे कितने भी लोग इस महामारी से दम तोड़ें या और कुछ? यह सवाल महत्वपूर्ण है।
महाराष्ट्र में मौत के डरावने आंकड़े
महाराष्ट्र में कोरोना महामारी की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब तक मुम्बई शहर में 8109, पूणे में 4754,ठाणे में 4135,नागपुर में 1283 और जलगांव में 1010 मरीजों की मौत हो चुकी है।

 

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