जवाहिरी के मारे जाने से आतंकवाद पर पड़ेगा असर? जानिये, क्या कहते हैं रक्षा विशेषज्ञ

भारत में 2014 के बाद आतंकवाद पर काफी कंट्रोल हुआ है। कश्मीर को छोड़ दें तो कहीं कोई बड़े आतंकी हमले नहीं हुए हैं, लेकिन भारत में अब आतंकवाद का प्रारूप बदल रहा है।

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ओसामा बिन लादेन के बाद अल कायदा सरगना अयमान अल जवाहिरी को ड्रोन से हमला कर अमेरिका ने ढेर कर दिया है। अफगानिस्तान के काबुल में उसके ठिकाने पर ड्रोन हमला कर मार गिराया गया है।  इस घटना की चर्चा विश्व स्तर पर की जा रही है। अमेरिका के इस एक्शन को बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है और इसके दूरगामी परिणाम होेने की बात कही जा रही है। जवाहिरी ओसामा बिल लादेन के मारे जाने के बाद 2011 में अल कायदा आतंकी संगठन चीफ बना था। इससे पहले भी उसके मारे जाने की खबरें तीन बार आ चुकी हैं और तीनों बार ये खबर अफवाह साबित हुई। लेकिन इस बार अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उसके मारे जाने की पुष्टि की है।

अमेरिका की इस ऐतिहासिक कार्रवाई को लेकर विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है। रक्षा विशेषज्ञ ब्रिगेडियर( रि.) हेमंत महाजन इस बारे में पूछे जाने पर कहते हैं, “अयमान अल जवाहिरी का मारा जाना बड़ी घटना है। वह वर्ल्ड का मोस्ट वांंटेड आतंकी सरगना था। लेकिन यह कहना मुश्किल है कि उसे ड्रोन हमला कर ढेर किया गया या मिसाइल से निशाना बनाया गया। लेकिन वह मारा गया, यह अच्छी बात है। लेकिन इससे यह नहीं समझा जाना चाहिए कि आतंकवाद का सफाया हो गया है। आतंकवाद पर इसका अधिक असर नहीं पड़ेगा। यहां हर दिन नए आतंकी संगठन बनाए जा रहे हैं। केवल अल जवाहिरी के नाम पर और उसका वीडियो देख-सुनकर मोटिवेट होकर कश्मीर में अल कायदा की ब्रांच खुल जाती है। समझा जा सकता है कि आतंकवाद का खात्मा कितना मुश्किल है।”

आतंकवाद तब तक चलता रहेगा, जब तक..
तो क्या आतंकवाद ऐसे ही चलता रहेगा, उसे खत्म करने के लिए क्या किया जाना चाहिए? इस प्रश्न के उत्तर में ब्रिगेडियर हेमंत महाजन कहते हैं, “इसे जब तक युवक, पैसा, सुरक्षित और ट्रेनिंग के लिए स्थान मिलते रहेंगे, तब तक आतंकवाद को खत्म नहीं किया जा सकता। अल कायदा अकेला नहीं है, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए- मोहम्मद, बब्बर खालसा सहित 44 से अधिक आतंकी संगठन हैं, जो एक दूसरे की मदद करते हैं। इसलिए इनके नेटवर्क को तोड़ना काफी मुश्किल है। इसके लिए अलग तरह की रणनीति पर काम करने की जरुरत है।

अल जवाहिरी पर ड्रोन हमले से भारत पर कोई असर नहीं
ब्रिगेडियर महाजन कहते हैं, “अल जवाहिरी के मारे जाने से भारत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। भारत का इससे कोई लेना-देना नही है। भारत को अपनी लड़ाई स्वयं लड़नी पड़ेगी। भारत में बैठे आतंकी संगठन के गुर्गे बहुत खतरनाक हैं। सरकार और यहां की एजेंसियां इस बात को समझती हैं। 1 अगस्त को एनआईए ने इसी दिशा में बड़ी कार्रवाई की। महाराष्ट्र के कोल्हापुर सहित देश के छह राज्यों मे एक साथ छापेमारी की गई। इस तरह की कार्रवाई लगातार करनी होगी।”

आमने-सामने की लड़ाई लड़ने को कोई तैयार नहीं
इस घटना से अमेरिका ने बता दिया कि वह अभी भी महाशक्ति है?  इस प्रश्न के उत्तर में वे कहते हैं, “अमेरिका बड़ी शक्ति है। इसमें कोई शक नही, लेकिन आज कोई आमने-सामने की लड़ाई नहीं लड़ना चाहता। रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है। लेकिन अमेरिका सहित कोई देश न यूक्रेन की ओर से मैदान में उतर रहा है और न रूस की ओर से। केवल बातें कर रहे हैं, यूक्रेन की हथियार से और अन्य तरह से मदद कर रहे हैं लेकिन लड़ाई यूक्रेन को अकेले लड़नी पड़ रही है। जब तक जमीनी लड़ाई नहीं होगी, तब तक आतंकवाद को परास्त कर पाना मुश्किल है। किसी एक आतंकी को मार देने या ड्रोन से हमला करने से आतंकवाद पर कोई अधिक असर नहीं पड़ेगा। लेकिन ये अच्छी बात है कि अमेरिका 26/ 11 के हमले के मास्टरमाइंडों को नहीं भूला है।”

भारत में बदल रहा है आतंकवाद का तरीका
भारत में आतंकवाद की क्या स्थिति है, क्या आपको लगता है कि भारत सही दिशा में आगे बढ़ रहा है? इस सवाल के जवाब में वे कहते हैं, “भारत में 2014 के बाद आतंकवाद पर काफी कंट्रोल हुआ है। कश्मीर को छोड़ दें तो कहीं कोई बड़े आतंकी हमले नहीं हुए हैं, लेकिन भारत में अब आतंकवाद का प्रारूप बदल रहा है। अब लोग आंदोलन करके और अन्य तरह से भारत की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। यह आतंकवादी हमले से अधिक खतरनाक है। एक आतंकी हमले में जितना नुकसान नहीं होता, उससे कई गुना अधिक नुकसान आंदोलन करने और अन्य तरह की हिंसा फैलाने से होता है। दिल्ली में जो हिंसा हुई, सीएए के विरोध मे शाहीन बाग में जो आंदोलन हुआ, इनसे अर्थव्यवस्था को कितना बड़ा नुकसान हुआ, यह सोचने वाली बात है। इसके बावजूद भारत में 2014 के बाद आतंकवाद काफी कम हुआ है। यह अच्छी बात है।

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