नई दिल्ली के विशेष न्यायालय ने टेरर फंडिंग प्रकरण में सुनवाई करते हुए हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और जॉइन्ट रेजिस्टेन्स लीडरशिप पर अपना निर्णय दिया। न्यायालय ने कहा है कि, यह संगठन शांति प्रसारित करनेवाले संगठन का दिखावा करके आतंकी संगठनों से संलग्न हैं। इसके पहले न्यायालय ने हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक के खिलाफ आदेश दिया था।
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विशेष न्यायाधीश परवीन सिंह ने अपने 243 पृष्ठ के निर्णय में कहा कि,
यह संदेह पैदा होता है कि शांतिपूर्ण राजनीतिक मोर्चे के मुखौटे के पीछे, ये संस्थाएं और व्यक्ति, बहुत घनिष्ठता से आतंकवादी संगठनों के साथ काम कर रहे थे।
आल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेन्स और जॉइन्ट रेजिस्टेन्स लीडरशिप ने कभी इसका विरोध भी नहीं किया कि, उनका अलगाववादी एजेंडा नहीं है। इन दोनों संगठनों की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, तीन व्यक्ति सैयद अली गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और यासीन मलिक, जिन्होंने जॉइन्ट रेजिस्टेन्स लीडरशिप का गठन किया था, ने एक संयुक्त बयान जारी किया था और सभी राजनीतिक और उग्रवादी संगठनों को दूरदृष्टि और समझदारी के साथ स्वतंत्रता संग्राम की दिशा में कार्य करने को कहा था।
हुर्रियत का एकमात्र उद्देश्य अलगाव के अपने एजेंडे को आगे बढ़ाना और जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राज्य को भारत से अलग करना था। न्यायालय ने कहा, “… मेरे द्वारा लिए गए यह अंश यह इंगित करने के उद्देश्य से लिया गया है कि, ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेन्स और जॉइन्ट रेजिस्टेन्स लीडरशिप निकट संपर्क में आतंकवादी संगठन के समन्वय में काम कर रहे हैं।
यूएपीए के अधीन आरोप
16 मार्च, 2022 को विशेष न्यायालय ने आतंकी हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह समेत 16 लोगों के विरूद्ध आरोप तय किये गए थे। इनमें से अलगाववादी और आतंकी कार्यों की समर्थक आसिया अंद्राबी को साक्ष्यों के अभाव में मुक्त कर दिया गया।