एयर इंडिया पर दिखने लगा टाटा इंपैक्ट! 2017 के बाद पहली बार हुआ ऐसा

31 मार्च 2019 तक एयर इंडिया पर कुल बकाया कर्ज 60,074 करोड़ रुपयए था। इसमें से 23,286 करोड़ रुपए खरीदार वहन करेंगे। कंपनी 2007 से घाटे में चल रही है।

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घाटे में चल रही एयर इंडिया के लिए टाटा समूह की बोली सबसे अधिक रही है, लेकिन सरकार ने अभी तक आधिकारिक तौर पर इस फैसले की पुष्टि नहीं की है। इसकी चर्चा पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया पर हो रही है। हालांकि, इस खबर के सकारात्मक प्रभाव कंपनी के कर्मचारियों पर टाटा के अधिग्रहण से पहले ही दिखने लगे हैं। 2017 के बाद पहली बार, एयर इंडिया के कर्मचारियों को महीने के पहले दिन वेतन भुगतान किया गया। टाटा का यह इंपैक्ट उनके लिए किसी सुखद आश्चर्य से कम नहीं है।

एयर इंडिया के एक कर्मचारी ने इस बारे में खुशी व्यक्त करते हुए कहा, ‘आप चाहें तो इसे टाटा इंपैक्ट कह सकते हैं। हमें वर्षों बाद एक तारीख को वेतन मिला है। मैं 2017 से कंपनी के लिए काम कर रहा हूं लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है।’ आर्थिक संकट से जूझ रही इस सरकारी कंपनी द्वारा वर्षों से कर्मचारियों को समय पर भुगतान नहीं किया जा रहा था। 2017 के बाद वेतन का भुगतान महीने के पहले सप्ताह से बढ़ाकर 10 तारीख के आसपास कर दिया गया था।

एयर इंडिया का दावा
एक ईमेल के जवाब में एयर इंडिया ने स्पष्ट किया है कि कर्मचारियों का वेतन कंपनी की पहली प्राथमिकता होगी। कंपनी ने लिखा है, ‘एयर इंडिया में, कर्मचारियों का वेतन हमेशा से सर्वोच्च प्राथमिकता रहा है। लेकिन हम कंपनी के बारे में बहुत ज्यादा बात नहीं करना चाहते हैं।’ भारत सरकार कंपनी में अपनी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने को तैयार है। एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के साथ ही सरकार कंपनी की देखरेख करने वाले एआईएसएटीएस में भी अपनी हिस्सेदारी भी बेचेगी।

यह खर्चा भी उठाएगी सरकार
अब कंपनी ने पीएफ खातों से पैसे निकालने का खर्च वहन करने का फैसला किया है। इससे पहले, कंपनी ने कहा था कि लागत कर्मचारियों द्वारा वहन की जाएगी। इस फैसले का कर्मचारियों ने विरोध किया था।

अमित शाह की अध्यक्षता वाला मंत्रियों का समूह लेगा निर्णय
एयर इंडिया की खरीद के लिए चार अलग-अलग निविदाओं के बावजूद सबसे अधिक बोली लगाने वाला टाटा संस प्रतिस्पर्धा में सबसे आगे है। स्पाइसजेट के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अजय सिंह ने भी टेंडर दाखिल किया है। अमित शाह के नेतृत्व में मंत्रियों का एक समूह टाटा की बोली पर फैसला करेगा। सूत्रों ने कहा कि बोली का मूल्यांकन निश्चित आरक्षित मूल्य के आधार पर किया गया , जिसमें टाटा संस की ओर से सबसे अधिक बोली लगाई गई थी। कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति ने भी जांच पूरी कर ली है। कहा जा रहा है कि उसने अंतिम निर्णय के लिए एयर इंडिया के निजीकरण के उद्देश्य से गठित मंत्री समूह को अपनी सिफारिश सौंप दी थी। इस  मंत्री समूह की अध्यक्षता अमित शाह कर रहे हैं

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2020 से शुरू हुई प्रक्रिया
केंद्र की ओर से जनवरी 2020 में एयर इंडिया में 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। इसके अलावा, इसकी सहायक कंपनियों, एयर इंडिया एक्सप्रेस लिमिटेड और एयर इंडिया सैट्स एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में इसकी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी है। हालांकि, कोरोना महामारी के कारण प्रक्रिया में देरी हुई। बाद में, अप्रैल 2021 में, सरकार ने इच्छुक कंपनियों को फिर से बोली लगाने के लिए कहा। बोली लगाने की अंतिम तिथि 15 सितंबर थी।

हजारों करोड़ का कर्ज
31 मार्च 2019 तक एयर इंडिया पर कुल बकाया कर्ज 60,074 करोड़ रुपयए था। इसमें से 23,286 करोड़ रुपए खरीदार वहन करेंगे। कंपनी 2007 से घाटे में चल रही है।

टाटा फिर से मालिक होगा?
यदि एयर इंडिया का स्वामित्व टाटा के पास जाता है, तो समूह 67 वर्षों के बाद इस एयरलाइन का स्वामित्व फिर से प्राप्त कर लेगा। जेआरडी टाटा द्वारा 1932 में टाटा एयरलाइंस के रूप में स्थापित कंपनी का नाम बदलकर 1946 में एयर इंडिया कर दिया गया था। 1948 में एयर इंडिया इंटरनेशनल ने भी यूरोप के लिए उड़ानें शुरू की थीं। हालांकि 1953 में सरकार ने एयर इंडिया को अपने कब्जे में ले लिया और इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया।

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