एयर इंडिया का अधिग्रहण करने के बाद टाटा संस इस एयरलाइंस कंपनी के संचालन, उन्नयन और इसके लिए उठाए गए कर्ज को चुकाने के लिए बाजार से पूंजी जुटाने की योजना बना रही है। एयर इंडिया के कारोबार को मजबूत करने और कर्ज की रिफाइनेंसिंग के लिए टाटा संस करीब 4 अरब डॉलर जुटाने की योजना बना रही है।
टाटा संस टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी है। इस कंपनी ने ही एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया में शामिल होकर देश की सबसे पुरानी एयरलाइंस कंपनी को टेकओवर किया था। बताया जा रहा है कि टाटा संस इक्विटी के साथ ही हाइब्रिड डेट के जरिए एयर इंडिया के लिए 4 अरब डॉलर की पूंजी जुटाएगी। टाटा संस ने पिछले साल अक्टूबर में ही एयर इंडिया को भारत सरकार से खरीदा था। इस सौदे के लिए टाटा संस ने काफी महंगा कर्ज लिया था, जिसे प्राथमिकता के आधार पर चुकाया जाना है। इसके साथ ही एयर इंडिया को मजबूत बनाने के लिए इसमें पूंजी डालने की भी जरूरत बनी हुई है।
यह है योजना
जानकारों के मुताबिक बाजार से 4 अरब डॉलर की पूंजी जुटाने के लिए टाटा ग्रुप जल्दी ही निवेश सलाहकारों को नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू करने वाला है। इस नियुक्ति के पहले ही टाटा संस ने पूंजी जुटाने के लिए प्राइवेट इक्विटी फंड्स और फॉरेन लेंडर्स से बातचीत की शुरुआत कर दी है। बताया जा रहा है कि एयर इंडिया का अधिग्रहण करने के लिए उठाए गए कर्ज की रिफाइनेंसिंग करना टाटा संस के लिए अधिक कठिन नहीं होगा, क्योंकि इस काम में टाटा ग्रुप के मौजूदा बैंकिंग पार्टनर्स ही शामिल होंगे। हालांकि पूंजी जुटाने के लिए इक्विटी पोर्शन को पूरा करने में कुछ समय लग सकता है, क्योंकि मौजूदा समय में दुनिया भर में एयरलाइंस में निवेश करने वाले प्राइवेट इक्विटी फंडों की संख्या काफी कम है।
पूंजी जुटाने की बाध्यता
टाटा संस के लिए एयर इंडिया के लिए पूंजी जुटाने की बाध्यता इसलिए भी बन गई है, क्योंकि एयर इंडिया की बाजार हिस्सेदारी में लगातार कमी आती जा रही है। जनवरी 2020 में एयर इंडिया की बाजार हिस्सेदारी 11.6 प्रतिशत थी, जो 1 साल बाद जनवरी 2021 में घटकर 10.2 प्रतिशत रह गई। फिलहाल बाजार हिस्सेदारी में अब और गिरावट आ गई है। जुलाई महीने में इस एयरलाइंस की बाजार हिस्सेदारी घटकर 8.4 प्रतिशत रह गई थी। घरेलू एविएशन सेक्टर में कई निजी एयरलाइंस के आ जाने की वजह से कंपटीशन भी काफी कड़ा हो गया है। ऐसे में एयर इंडिया को दोबारा मजबूती के साथ खड़ा करने के लिए बड़ी पूंजी का इंतजाम करना टाटा संस के लिए जरूरी हो गया है।