हम अपने धार्मिक दायित्व का निर्वहन करेंगे: अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती

शास्त्रों केे अनुसार भी दोष पाप का विषय है। अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि ये दोष पाप अब किसको लगेगा। इसका सीधा उत्तर है कि जिसने हमें वहां पूजा पाठ करने जाने से रोका।

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ज्योतिष एवं द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि ज्ञानवापी में सर्वे के दौरान प्रकाश में आये श्री विश्वेश्वर ज्योर्तिलिंग का एक महीने बीत जाने पर भी अपूजित रहना गहरे दु:ख की बात है। शास्त्रों केे अनुसार भी दोष पाप का विषय है। अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि ये दोष पाप अब किसको लगेगा। इसका सीधा उत्तर है कि जिसने हमें वहां पूजा पाठ करने जाने से रोका।

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गुरूवार को केदारघाट स्थित श्री विद्यामठ में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती पत्रकारों से बातचीत के दौरान जिला प्रशासन पर हमलावर तेवर में दिखे। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि हमने जिलाधिकारी को नोटिस भेज कर कहा था कि आप सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन क्यों नहीं करा रहे हैं। हमने एक हफ्ते तक उनके जवाब की प्रतीक्षा की, लेकिन उन्होंने जवाब देना उचित नहीं समझा। अब हम स्वंतत्र हैं और वाराणसी के जिलाधिकारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना के आरोप में कार्रवाई कराएंगे।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की सुरक्षा की जाए। दोनों पक्षों से बात की जाए और उनकी धार्मिक परिपाटी को सुनिश्चित कराया जाय। वाराणसी के जिलाधिकारी को चाहिए था कि वह ज्ञानवापी में प्रकट हुए भगवान की पूजा शुरू करा दें। लेकिन वाराणसी के जिलाधिकारी इस मामले में पूरी तरह से फेल है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि हम अपने गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के आदेश से ज्ञानवापी में प्रकट हुए भगवान की पूजा शुरू करना चाहते हैं। लेकिन 4 जून को बलपूर्वक हमें मठ में रोक दिया गया था। यह कार्य सौ करोड़ से ज्यादा सनातन धर्मियों की भावना का अपमान था। इसके विरोध में हमने 108 घंटे तक अन्न-जल का त्याग कर दिया था। गुरु की आज्ञा से हमने अपना अनशन खत्म किया था।

उन्होंने कहा कि हमने प्रशासन के समक्ष कोई जिद नही की । किसी प्रकार कानून का उल्लंघन नहीं किया। यहां तक कि अकेले ही एक हाथ में अपना धर्मदंड और दूसरे हाथ में पूजा की थाली लेकर चले थे। और यह भी प्रशासन को बता दिया था कि हम निषिद्ध क्षेत्र में प्रवेश नहीं करेंगे। दरवाजे पर ही पूजा समर्पित कर पूजा पहुंचाने का सुख पा लेंगे। उन्होंने अपनी रखते हुए कहा कि हम अपने धार्मिक दायित्व का निर्वहन करेंगे। भगवान प्रकट हुए है तो उनकी पूजा अवश्य होगी। उन्होंने बताया कि ज्ञानवापी में प्रकट हुए आदि विश्वेश्वर के शिवलिंग की प्रतीक पूजा अब शुक्रवार से प्रतिदिन एक-एक गांव और मुहल्ले में कराई जाएगी। इसके लिए हमारे कार्यकर्ता देश के एक-एक गांव और शहर में जाएंगे।

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