जयपुर सीरियल ब्लास्ट मामला: सर्वोच्च न्यायालय मेंं इस तिथि को सुनवाई

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साल 2008 के जयपुर सीरियल ब्लास्ट मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट 17 मई को करेगा। ब्लास्ट के पीड़ितों ने राजस्थान हाई कोर्ट से चार आरोपितों को बरी करने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने आज इस मामले के दोषियों को नोटिस जारी किया है। हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली राजस्थान सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 17 मई को सुनवाई करेगा।

हाईकोर्ट ने इस मामले में चारों दोषियों को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि राज्य सरकार इस मामले मे पुख्ता सबूत नहीं पेश कर सकी। जयपुर में 13 मई, 2008 में हुए सीरियल ब्लास्ट के मामले में ट्रायल कोर्ट ने 18 दिसंबर, 2019 को चार दोषियों को फांसी की सज़ा सुनाई थी। ट्रायल कोर्ट के फैसले को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने 29 मार्च को चार दोषियों को बरी कर दिया था। 2008 में हुए ब्लास्ट में 71 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 185 लोग घायल हो गए थे। इस मामले में कुल 8 एफआईआर दर्ज की गई थी। दोषियों को बरी करने पर ब्लास्ट के पीड़ितों राजेश्वरी देवी और अन्य पीडितों ने वकील शिवमंगल शर्मा, हेमंत नाहटा और आदित्य जैन के जरिये सुप्रीम कोर्ट में याचका दायर की।

सुप्रीम कोर्ट में जिस एफआईआर पर हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है, वो जयपुर के मानक चौक पुलिस थाने में दर्ज की गई थी। यह ब्लास्ट पूर्व मुखी हनुमान मंदिर, सांगानेरी गेट के निकट किया गया था। इस ब्लास्ट में 36 लोग घायल हुए थे और 17 लोगों की मौत हुई थी। ब्लास्ट के अगले दिन कुछ न्यूज चैनलों को एक ई-मेल भेजा गया, जिसमें आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन ने इन सीरियल ब्लास्ट की जिम्मेदारी ली थी।

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यह था मामला
जयपुर ब्लास्ट के ठीक चार महीने के बाद 13 सितंबर, 2008 को दिल्ली के पांच स्थानों पर सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे। 19 सितंबर को एक सूचना के आधार पर दिल्ली पुलिस ने जामिया नगर के बाटला हाउस में छापा मारा था। इस दौरान दो आतंकी छोटा साजिद और आतिफ अमन मौके पर ही ढेर हो गए, जबकि दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए थे। एक आरोपित मोहम्मद सैफ को बाटला हाउस से गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली पुलिस को दिए बयान में मोहम्मद सैफ ने बताया था कि वो जयपुर बम ब्लास्ट में सक्रिय रुप से भागीदार था। मोहम्मद सैफ ने जयपुर ब्लास्ट के मामले में नौ आरोपितों के नाम बताये थे। हाल ही में राजस्थान सरकार ने भी हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

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