विशेष अदालत ने बढ़ाई डीआरडीओ के वैज्ञानिक की पुलिस हिरासत, यह है प्रकरण

पाकिस्तान को खुफिया जानकारी साझा करने के मामले में डीआरडीओ के वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप कुरुलकर की पुलिस हिरासत बढ़ाने की मांग करते हुए एटीएस ने कहा कि आगे की जांच जारी है।

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पाकिस्तान (Pakistan) को खुफिया जानकारी देने के आरोप में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defense Research and Development Organization) के वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर (Scientist Pradeep Kurulkar) गिरफ्तार (Arrested)। महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (Maharashtra Anti-Terrorism Squad) ने उसे 4 मई को गिरफ्तार किया था। पुणे के विशेष एटीएस अदालत (Court) के समक्ष पेश किया। अदालत ने प्रदीप को एटीएस के हिरासत में 15 मई तक भेज दिया है।

प्रदीप कुरुलकर पर आरोप है कि वो हनीट्रैप में फंसने के बाद पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों को संवेदनशील जानकारी दे रहे थे। गिरफ्तारी के बाद कुरुलकर को बर्खास्त कर दिया गया। डीआरडीओ की ओर से शिकायत के बाद महाराष्ट्र एटीएस ने कार्रवाई करते हुए 4 मई को प्रदीप कुरुलकर को गिरफ्तार किया था। प्रदीप कुरुलकर पुणे में डीआरडीओ के निदेशक पद पर थे।

बढ़ी पुलिस हिरासत
प्रदीप कुरुलकर उस समय हनीट्रैप में फंस गए, जब वे अपने रिटायरमेंट से महज छह महीने दूर थे। जानकारी के मुताबिक, वह पिछले छह महीने से मोबाइल फोन के जरिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी से जुड़ी एक महिला के संपर्क में था। डीआरडीओ की विजिलेंस और इंटेलीजेंस टीम कई महीनों से प्रदीप कुरुलकर पर नजर रख रही थी। डीआरडीओ मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी की शिकायत पर प्रदीप कुरुलकर को महाराष्ट्र एटीएस ने आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद कुरुलकर को अदालत में पेश किया गया। अदालत ने आरोपी को 9 मई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया। आज हिरासत खत्म होने के बाद अदालत ने उसे फिर से 15 मई तक के लिए एटीएस हिरासत में भेज दिया है।

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इन धाराओं के तहत मामला दर्ज
महाराष्ट्र एटीएस की ओर से जारी प्रेस रिलीज में बताया गया था कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के गुर्गों के साथ व्हाट्सएप मैसेज, वॉयस कॉल, वीडियो आदि के जरिए डीआरडीओ के वैज्ञानिक संपर्क में थे। डीआरडीओ के अधिकारी ने अपने पद का दुरुपयोग किया, जिससे संवेदनशील सरकारी खुफिया जानकारी से समझौता किया गया, जो दुश्मन देश के हाथों में जाने से भारत की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो सकता है। एटीएस की ओर से आगे कहा गया कि महाराष्ट्र पुलिस के आतंकवाद विरोधी दस्ते, कालाचौकी, मुंबई ने आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम 1923 की धारा 1923 और अन्य संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।

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