गुरुबाणी के गलत अनुवाद का उठा विवाद, दिल्ली एसजीपीसी ने की बड़ी मांग

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गुरुबाणी के गलत अनुवाद को लेकर दिल्ली सिख गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी ने शिरोमणी अकाली दल समर्थित अवतार सिंह हित और महासचिव कुलमोहन के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष सरदार हरमीत सिंह कालका तथा कमेटी के महासचिव सरदार जगदीप सिंह काहलों ने आरोप लगाया है कि, अमेरिका के थमिंदर सिंह आनंद व कैनेडा के ओंकार सिंह ने सिख पंथ विरोधी ताकतों के इशारे पर गुरु ग्रंथ साहिब जी की बाणी में सैकड़ों त्रुटियां तथा बदलाव किये हैं। इसकी जांच होनी चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया दिल्ली कमेटी का अध्यक्ष रहते हुए जत्थेदार अवतार सिंह हित व महासचिव कुलमोहन सिंह ने तेलुगु व अंग्रेजी के अनुवादक डॉ. वेमराजू भानुमूर्ति से गुरु ग्रंथ साहिब का गलत अनुवाद करवाकर सैकड़ों गलतियों वाले बुकलेट छपवाकर संगत को बांटवा दिये हैं।

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हरमीत सिंह कालका ने कहा कि वर्ष 2002 में दिल्ली कमेटी का अध्यक्ष रहते हुए जत्थेदार हित व महासचिव कुलमोहन सिंह ने तेलुगु तथा अंग्रेजी के साहित्यकार तथा अनुवादक डॉ. वेमुराजू भानुमूर्ति को श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का 17 भाषाओं में अनुवाद करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। यह जिम्मेदारी सौंपते हुए इन नेताओं ने यह जांच नहीं किया कि डॉ. भानुमूर्ति को ना पंजाबी आती है और ना ही गुरमति सिद्धांतों व सिख मर्यादा की जानकारी है। इस गंभीर मामले पर उन्होंने जत्थेदार अकाल तख्त साहिब व शिरोमणि कमेटी से विचार विमर्श करने की जरूरत भी नहीं समझी। उस समय जत्थेदार हित व कुलमोहन सिंह ने जपुजी साहिब के किये अनुवाद के 17,000 बुकलेट छपवा कर संगत में बांटे। जिसमें, से 1,000 बुकलेट विभिन्न भाषाओं के थे। इन बुकलेट को प्रकाशित करने के समय डॉ. मूर्ति ने गुरबाणी में कई अशुद्धियां कर दीं तथा अनेक मात्राओं को बदल दिया।

पुरस्कार वापस लिये जाएं
हरमीत सिंह कालका ने कहा कि, दुख की बात है कि है यह कोताही करने के बाद जत्थेदार हित व सरदार कुलमोहन सिंह ने डा. मूर्ति को पंथ के महान अनुवादक भाई साहिब भाई सिंह जी अवार्ड से सम्मानित किया। 20 वर्ष पूर्व हुई यह कोताही तथा निरादर ही आज अमेरिकी निवासी थमिंदर सिंह आनंद तथा कैनेडा के निवासी ओंकार सिंह द्वारा किये गये निरादर का सबब बना है। इस प्रकरण में गलत अनुवाद करने में जिन लोगों की भूमिका है, उन्हें दिये गए सम्मान भी वापस कराए जाएं।

नौजवान खालसा फुलवाड़ी की शिकायत पर कार्रवाई नहीं
गुरबाणी के गलत अनुवाद के मामले को नौजवान खालसा फुलवाड़ी नाम की धार्मिक जत्थेबंदी जिसका कार्यालय एफ87, पटेल नगर नई दिल्ली में है, ने 5 जनवरी 2005 को इसकी शिकायत तत्कालीन जत्थेदार अकाल तख्त साहिब को की थी। परंतु, इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस जत्थेबंदी ने पुनः 7 मार्च 2005 को जत्थेदार अकाल तख्त साहिब को पत्र भेजकर याद दिलाया लेकिन, इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया। सरदार कालका ने कहा कि, दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने जत्थेदार अकाल तख्त साहिब ज्ञानी हरप्रीत सिंह जी को सबूत व सी.डी सहित इसकी शिकायत की है और अनुरोध किया है कि थमिंदर सिंह आनंद व ओंकार सिंह की तरह ही इस मामले में पंथक परंपरा तथा सिद्धांतों के अनुसार पंथक जत्थेबंदियों के साथ विचार-विमर्श कर जत्थेदार अवतार सिंह हित तथा कुलमोहन सिंह के खिलाफ कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि दिल्ली कमेटी की मौजूदा टीम हर प्रकार का सहयोग इस मामले में देने के लिए तैयार है।

सिख धर्म में श्री अकाल तख्त सर्वोपरि
सरदार कालका का कहना है कि सिख धर्म के लिए श्री अकाल तख्त साहिब सर्वोपरि हैं। हमें जो आदेश श्री अकाल तख्त साहिब से होगा, हम उसका पालन करेंगे। गुरुबाणी के गलत अनुवाद की सी.डी सिख धर्म के सभी प्रबुद्धजनों को दिखाई गई। इस सी.डी में डॉ.भानुमूर्ति द्वारा गुरुबाणी के तुकों के साथ की गई छेड़छाड़ के सबूत थे। इसके अलावा उन्होंने अलग-अलग भाषाओं में जपुजी साहिब के किये अनुवाद की कॉंपियां भी मीडिया के समक्ष रखीं। उन्होंने यह भी बताया कि, हमने सिंह साहिब ज्ञानी हरप्रीत सिंह को अपील कर कहा है कि, जब तक जत्थेदार अवतार सिंह हित के मामले का कोई निर्णय नहीं हो जाता, तब तक जत्थेदार हित को पटना साहिब कमेटी की अध्यक्षता से हटाया जाए तथा किसी भी पंथक एकजुटता में शामिल न होने दिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि जत्थेदार हित इकलौते ऐसे आदमी हैं जो बार-बार अकाल तख्त साहिब पर तलब किये गये हैं।

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