स्टैंडअप कामेडियन कुणाल कामरा और रचिता तनेजा को अवमानना नोटिस जारी किया गया है। कुणाल के विरुद्ध तीन अवमानना की याचिकाएं दायर हुई हैं। जिसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हुई। कोर्ट ने इस मामले में उत्तर देने के लिए दोनों को 6 हफ्ते का समय दिया है।
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सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की बेंच ने अवमानना के मामले में कुणाल कामरा और रचिता तनेजा को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उन पर न्यायालय पर लांछन लगाने के लिए कार्रवाई की जाए। इसके लिए दोनों को 6 सप्ताह का समय दिया गया है। हालांकि, कोर्ट से उन्हें एक राहत मिली है कि अपना उत्तर देने के लिए दोनों को कोर्ट में हाजिर रहना आवश्यक नहीं होगा।
ये है मामला
- कुणाल कामरा ने ट्वीट के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट पर कि थी टिप्पणी
- एक मीडिया संपादक की जमानत पर की थी टिप्पणी
- 8 लोगों ने दायर की थी याचिका
- इसमें से अधिकतर याचिकाकर्ता हैं वकील
- कामरा के ट्वीट को अटॉर्नी जनरल ने कहा था बेहद खराब
- हास्य और अवमानना की सीमा को पार किया
- रचिता तनेजा पर सुप्रीम कोर्ट की छवि धूमिल करनेवाले चित्रण का आरोप
- उन्होंने ऐसे कई चित्रणों को किया था ट्वीट
- अटॉर्नी जनरल केके वेणूगोपाल ने दी थी सहमति
- अवमानना का मामला चलाने की दी थी सहमति
- लॉ स्टूडेंट की अपील पर दी थी सहमति
- एक संपादक की जमानत पर किया था टिप्पणीवाला चित्रण
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बता दें कि, इस मामले में 12 नवंबर को अटार्नी जनरल केके वेणूगोपाल ने कुणाल कामरा और रचिता पर अवमानना का मामला चलाने की सहमति दी थी।
सहमति की आवश्यकता क्यों ?
अदालत की अवमानना कानून 1971 के अनुसार कोई भी व्यक्ति निजी तौर पर सुप्रीम कोर्ट में अवमानना की याचिका दायर कर सकता है। लेकिन इसके पहले उसे अटार्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल से सहमति लेना आवश्यक होता है। इसी प्रकार की सहमति राज्य के एडवोकेट जनरल से पड़ती है जब हाइकोर्ट में अवमानना की याचिका दायर करनी होती है।
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