आसमान छूती महंगाई ने एक बार फिर लोगों को मुश्किल में डाल दिया है। भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने शुक्रवार (6 दिसंबर) को मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) की द्विमासिक समीक्षा बैठक की घोषणा की और लगातार 11वीं बार रेपो रेट (Repo Rate) में कोई बदलाव नहीं किया। बता दें कि मौद्रिक नीति से जुड़े फैसले लेने वाली सर्वोच्च इकाई एमपीसी है, जिसके अध्यक्ष रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (Governor Shaktikanta Das) हैं।
बता दें कि आरबीआई ने रेपो रेट को 6.5 पर स्थिर रखा है। आरबीआई के इस कदम से उन लोगों को झटका लगा है जो लंबे समय से सस्ते लोन और ईएमआई में कमी का इंतजार कर रहे थे। अब ईएमआई कम होने के लिए फरवरी 2025 तक इंतजार करना होगा।
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केंद्रीय बैंक का रुख तटस्थ बना हुआ है
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के अनुसार, मौद्रिक नीति समिति ने 4-2 बहुमत से ब्याज दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया, जबकि एसडीएफ दर 6.25 प्रतिशत और एमएसएफ दर 6.75 प्रतिशत पर बनी हुई है। एमपीसी ने सर्वसम्मति से इस तटस्थ नीति रुख को बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की, जो वर्तमान आर्थिक स्थितियों के प्रति सतर्क दृष्टिकोण का संकेत देता है।
रिजर्व बैंक ने फरवरी 2023 से रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखा है। सरकार ने आरबीआई को यह जिम्मेदारी सौंपी है कि वह सुनिश्चित करे कि खुदरा महंगाई दो फीसदी घट-बढ़ के साथ चार फीसदी पर बनी रहे।
महंगाई पर नियंत्रण के साथ विकास भी जरूरी
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक 4 दिसंबर को शुरू हुई थी और बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा आज की गई है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि हमारा लक्ष्य महंगाई पर नियंत्रण रखना और विकास को बनाए रखते हुए कीमतों को स्थिर रखना है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कीमतों को स्थिर रखना सबसे जरूरी है लेकिन साथ ही विकास को बनाए रखना भी जरूरी है और यह बात आरबीआई एक्ट में भी कही गई है।
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