इसलिए देश में ‘पुणेरी’ का परचम!

पुणे कोविड-19 से सबसे अधिक पीड़ित शहरों में से एक है। इसके बावजूद शहर ने नोवेल कोरोना वायरस के स्ट्रेन को आइसोलेट करने से लेकर वैक्सीन उपलब्ध कराने में उपलब्धि प्राप्त की है।

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देश के अलग-अलग राज्यों के लिए मंगल टीके की औषधियां रवाना हो गई हैं। इन औषधियां में पुणे का अमिट योगदान है। इसके पहले देश को पहला वायरस आइसोलेशन और एनालिसिस करने का उपक्रम भी नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने दिया था उसके बाद पहले घरेलू आरटी-पीसीआर टेस्ट किट देने का सम्मान पुणे के ही नाम है। कोरोना काल में इसे पुणेरी परचम कहा जा रहा है।

अपने दर्द को दबाकर पुणे देश के लिए कार्यरत रहा। वो चलता रहा अडिग, न रुके, न थमे… पुणे में 9 मार्च 2020 को पहले कोविड-19 संक्रमित मिले थे ये राज्य का भी पहला मामला था। जिसमें दुबई से आए दंपति संक्रमित पाए गए और उनसे परिवार के अन्य लोगों को संक्रमण ने घेर लिया। इसके बाद शहर ने कोविड की बड़ी त्रासदी झेली।

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मंगल टीके की पहली खेप पुणे से

पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोविड-19 से रक्षा के लिए बने पहले मंगल टीके ‘कोविशील्ड’ को 13 शहरों में वितरित कर दिया। कोविड-19 की वैक्सीन के उपयोग की अनुमति प्राप्त करनेवाला सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे पहली कंपनी है। इसके 478 बक्से पहली खेप में रवाना किये गए। इन टीकों को दिनांक 16 जनवरी 2021 से तीन करोड़ स्वास्थ्य कर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को लगाये जाएंगे। इसके अगले चरण में 27 करोड़ लोगों का टीकाकरण किया जाएगा। जिसमें 50 वर्ष की आयु से अधिक के लोग, को-मॉर्बिडिटी से ग्रसित लोग शामिल हैं।

वायरस को आइसोलेट करनेवाली पहली संस्था थी एनआईवी

पुणे की इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रीसर्च-नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी देश की पहली संस्था थी जिसने नोवेल कोरोना वायरस के स्ट्रेन को आइसोलेट करने में सफलता प्राप्त की। वायरस का आइसोलेशन करना औषधि, टीके या रैपिड टेस्ट किट के निर्माण की पहली प्रक्रिया होती है। पुणे की इस सफलता से भारत भी जापान, थाइलैंड, अमेरिका और चीन के साथ इस वायरस को आइसोलेट करनेवाला देश बन गया।

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पहली आरटी पीसीआर टेस्ट मिली पुणे से…

पुणे की माय लैब ने स्वदेशी निर्मित पहली आरटी-पीसीआर किट विकसित की थी। यह कंपनी मोलेक्यूलर डाइग्नोस्टिक प्रदाता कंपनी है। यह किट एफडीए -भारत और सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) से कमर्शियल उपयोग की मान्यता प्राप्त करनेवाली पहली किट थी।

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