पंजान नेशनल बैंक घोटाले के मुख्य आरोपी नीरव मोदी के बाद अब मेहुल चोकसी की परेशानी भी बढ़ती जा रही है। चोकसी की कैरेबियाई राष्ट्र के निवेश कार्यक्रम(सीआईपी) की वजह से मिली एंटीगुआ और बारबुडा की नागरिकता खतरे में पड़ गई है। हालांकि चोकसी ने इस मामले को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इससे पहले लंदन के कोर्ट ने उसके भगोड़े भांजे नीरव मोदी के प्रतयर्पण को मंजूरी देकर उसकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
मेहुल चोकसी ने खटखटाया कोर्ट का दरवाजा
अपनी नागरिकता को लेकर मेहुल चोकसी ने एंटीगुआ के कोर्ट का रुख किया है। एंटीगुआ और बारबुडा के प्रधानमंत्री कार्यालय के चीफ ऑफ स्टाफ रियोनेल हर्स्ट ने इस बारे में बताया कि मामले को हल होने में 7 साल का समय लग सकता है। फिलहाल मामला कोर्ट ऑफ अपील्स में जाएगा। उसके बाद लंदन में प्रिव्यू काउंसिल अंतिम न्यायालय में जाएगा। यानी 2027 से पहले चोकसी का भारत प्रत्यर्पण मुश्किल है। उसे भारत वापस लाने के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो( सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय( ईडी) समेत देश की कई एजेंसियां जुटी हुई हैं।
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चोकसी के वकील का दावा
इस बीच चोकसी के वकील विजय अग्रवाल ने मेहुल चोकसी की नागरिकता खत्म किअ जाने के मामले में बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि उनके क्लाइंट ने दावा किया है कि वह एंटिगुआ के नागरिक हैं। उनकी नागरिकता रद्द नहीं हुई है।
कैसे मिलती है नागरिकता?
एंटीगुआ के सीआईयू ( सिटीजनशिप बाय इन्वेस्टमेंट यूनिट) द्वारा चलाया जाने वाला सीआईपी किसी ऐसे व्यक्ति को नागरिकता देने की अनुमति देता है, जो 200 हजार डॉलर का निवेश करे। इसी सीआईपी कार्यक्रम के तहत मेहुल चोकसी को एंटीगुआ ने अपनी नागरिकता दी है, लेकिन भारत में दर्ज उसके मामले के कारण उसकी नागरिकता पर संकट का बादल मंडरा रहा है।