झारखंड में पीएफआइ पर से हटेगा प्रतिबंध? इस खतरनाक आतंकी संगठन से है प्रभावित

पीएफआइ के महासचिव अनीस अहमद ने एक पत्र लिखकर संगठन को प्रतिबंध मुक्त करने का आग्रह मुख्य सचिव से किया था।

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झारखंड में प्रतिबंधित पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) को प्रतिबंध मुक्त करने को लेकर मांग की गई है। इसे लेकर पीएफआइ के महासचिव अनीस अहमद ने एक पत्र लिखकर संगठन को प्रतिबंध मुक्त करने का आग्रह मुख्य सचिव से किया है। पूर्व में सरकार की ओर से प्रतिबंध लगाने के इस फैसले को पीएफआइ ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने उसे प्रतिबंध मुक्त कर दिया था।

12 फरवरी 2019 को फिर से प्रतिबंधित
इसके बाद 12 फरवरी 2019 को फिर से उसे प्रतिबंधित कर दिया गया। पीएफआइ के अनुसार उसपर लगाया गया आरोप पूरी तरह निराधार है। उल्लेखनीय है कि 12 फरवरी 2019 को गृह विभाग ने पीएफआइ को प्रतिबंधित करते हुए अधिसूचना जारी की थी।

बताया था यह कारण
इसमें जिक्र है कि पीएफआइ झारखंड के साथ-साथ पूरे राष्ट्र के लिए खतरा है। संगठन केरल, असम, पश्चिम बंगाल, बिहार में भी हिंसा, भयादोहन, सांप्रदायिक उन्माद और भारत विरोधी एवं पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी करता है। इसका आइएसआइएस और जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश नामक आतंकी समूहों से संबंध है। इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो यह अपनी गैर कानूनी और विधि विरुद्ध गतिविधियों से विधि-व्यवस्था तथा लोक शांति के लिए खतरा उत्पन्न करेगा। संगठन की गतिविधियां पाकुड़, साहिबगंज व जामताड़ा में संदिग्ध बताई गई थी। इन तीनों जिलों में संगठन ने अपने हजारों सदस्य बनाए हैं। संगठन पर देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने का कई बार आरोप लग चुके हैं।

आतंकी संगठन आइएस से प्रभावित
पीएफआइ को प्रतिबंधित करने के लिए झारखंड के डीजीपी ने 22 दिसंबर 2017 को ही गृह विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर अनुशंसा की थी। तब रिपोर्ट में बताया गया था कि इसके सदस्य आतंकी संगठन आइएस से प्रभावित हैं। इस संगठन के कुछ सदस्य गोपनीय तरीके से दक्षिण भारत के राज्यों से सीरिया भी जा चुके हैं और आइएस के लिए कार्य कर चुके हैं।

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