सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने आरएसएस कार्यकर्ता श्रीनिवासन (RSS Worker Srinivasan) की हत्या (Murder) के मामले में पीएफआई (PFI) नेता अब्दुल सत्तार (Abdul Sattar) को जमानत (Bail) दे दी है। किसी को भी उसकी विचारधारा के कारण जेल में नहीं डाला जा सकता। अदालत ने गिरफ्तारी को ही गलत बताते हुए कहा कि आजकल हम यही प्रवृत्ति देख रहे हैं।
जस्टिस अभय एस ओका और उज्जवल भुइयां की पीठ ने पीएफआई के पूर्व महासचिव अब्दुल सत्तार को जमानत दे दी। मामले की सुनवाई के दौरान एनआईए की ओर से पेश वकीलों ने कहा कि हालांकि हत्या से संबंधित मुख्य एफआईआर में उनका नाम नहीं है, लेकिन पीएफआई के महासचिव के रूप में उन्होंने कार्यकर्ताओं की भर्ती और हथियार प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए कदम उठाए थे। अदालत ने यह भी कहा कि सतार के खिलाफ कुल 71 मामले दर्ज हैं।
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न्यायमूर्ति ओका और न्यायमूर्ति भुइयां ने क्या कहा?
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति ओका ने पूछा कि क्या हत्या में सतार की संलिप्तता के कोई आरोप हैं। इसके अलावा, षड्यंत्र में उनकी विशिष्ट भूमिका क्या थी? तब एनआईए के वकील ने कहा कि सतार ही निर्णयकर्ता है और उसके फोन में पीड़ित श्रीनिवासन की तस्वीरें पाई गईं। इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने पीएफआई के 17 सदस्यों को जमानत दे दी थी। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 353 के तहत सात मामले और धारा 153 के तहत तीन मामले दर्ज किए गए हैं।
श्रीनिवासन की 16 अप्रैल 2022 को पलक्कड़ जिले में हत्या कर दी गई थी। इनमें से 51 आरोपी फरार हैं। शेष लोगों के खिलाफ जुलाई और दिसंबर 2022 में दो चरणों में आरोपपत्र दाखिल किए गए। 26 आरोपियों में से 17 पीएफआई सदस्यों को केरल उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी। उच्च न्यायालय ने जमानत देते समय कुछ शर्तें लगाई थीं। अब अब्दुल सत्तार को जमानत मिल गई है।
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