गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका में सत्ता प्रतिष्ठान के खिलाफ जनविद्रोह की मशाल और तेज हो गई है। राष्ट्रपति सचिवालय के परिसर के बाहर नए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के खिलाफ प्रदर्शन थम नहीं रहा। प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए सशस्त्र सैनिकों को तैनात किया गया है।
राजधानी कोलंबो में प्रदर्शनकारियों पर सशस्त्र बलों ने बल प्रयोग किया है। उनके शिविरों में लगे तंबुओं को तहस-नहस कर दिया गया। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सुरक्षाकर्मियों ने 22 जुलाई तड़के धरनास्थल और शिविरों पर छापा मारा। इन लोगों का कहना है कि रानिल विक्रमसिंघे हमें नष्ट करना चाहते हैं। हम हार नहीं मानेंगे।
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श्रीलंका नए राष्ट्रपति के चुनाव के बाद अभी तक बेपटरी है। लोग आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। उनका भविष्य अनिश्चित है। लोगों का कहना है कि देश में न खाना है। न ईंधन है और न पैसा है। ऐसे में वह कैसे जीवित रहेंगे?
उल्लेखनीय है कि देश से मुंह चुरा कर भागे गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफे के बाद बुधवार को संसद में हुए चुनाव में रानिल विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति चुना गया। श्रीलंका की जनता रानिल विक्रमसिंघे पर भरोसा करने को तैयार नहीं है। वह उन्हें गोटाबाया का दूसरा रूप समझती है।
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