अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत समेत कई देश वहां फंसे अपने नागरिकों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं। इसी क्रम में भारत ने भी 22 अगस्त को तीन विमानों में लगभग 400 नागरिकों को स्वदेश लाने में सफलता हासिल की। इनमें 329 भारतीय और दो अफगान सांसद भी शामिल हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पिछले हफ्ते अफगानिस्तान में रहने वाले भारतीय सिखों के लिए चिंता व्यक्त की थी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे वाले गुरुद्वारों में फंसे सिखों सहित सभी भारतीय नागरिकों को सुरक्षित देश लाने का अनुरोध किया।
Urge @DrSJaishankar, MEA, GoI, to arrange for immediate evacuation of all Indians, including around 200 Sikhs, stuck in a Gurudwara in Afghanistan after the #Taliban takeover. My govt is willing to extend any help needed to ensure their safe evacuation. @MEAIndia
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) August 16, 2021
इसलिए सीएए जरुरीः पुरी
अफगानिस्तान से भारत लाए गए लोगों की खबर पोस्ट करते हुए, केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, “हमारे आस-पास के अस्थिर क्षेत्रों में जिस तरह की नई-नई घटनाएं घट रही हैं और सिख तथा हिंदू बुरे समय से गुजर रहे हैं, उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) की आवश्यकता क्यों है।” हालांकि नागरिकता संशोधन कानून के तहत अमृतसर में रहने वाले शरणार्थी सिख और हिंदू परिवारों को अभी भी भारतीय नागरिकता पाने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।
दशकों से भारत में शरण
आज भी अफगानिस्तान और पाकिस्तान के अमृतसर में सिख और हिंदू परिवार ऐसे हैं, जो दशकों से भारतीय नागरिकता का इंतजार कर रहे हैं। अमृतसर के एक अफगान शरणार्थी ने इस बारे में अपना अनुभव और दर्द बयान करते हुए कहा,”अगर अफगानिस्तान से कोई सिख या हिंदू भारत आना चाहता है, तो उसे काबुल में रहना बेहतर है। हम यहां दशकों से नागरिकता की आस में जी रहे हैं। हमारे कई रिश्तेदार भारतीय नागरिकता पाने की उम्मीद में मर चुके हैं। मैं किसी को भी भारत आने की सलाह नहीं दूंगा। ”
अनिश्चितता का जीवन
ये परिवार भारत में अनिश्चितता का जीवन जी रहे हैं। इन्हें अपने शरणार्थी वीजा को बढ़ाने के लिए हर साल दस्तावेज जमा करने के लिए कहा जाता है। इन्हें किसी भी समय देश छोड़ने के लिए कहा जा सकता है और इन्हें भारतीय नागरिकों की तुलना में सीमित कानूनी अधिकार प्राप्त हैं।
पंजाब के सीएम ने कही थी ये बात
केंद्र ने दिसंबर 2019 में नागरिकता सुधार कानून पारित किया है। हालांकि, पंजाब में कांग्रेस सरकार ने नागरिकता सुधार कानून के खिलाफ जनवरी 2020 में एक प्रस्ताव पारित किया था। इसे लेकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर ने 31 दिसंबर, 2019 को कहा था, “हम उस कानून के खिलाफ लड़ेंगे। भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार संविधान की प्रस्तावना में निहित मूल्यों को बदलने की कोशिश कर रही है। पंजाब नागरिकता संशोधन कानून लागू नहीं करेगा।”
नहीं हुई अधिसूचना प्राप्त
अमृतसर की अतिरिक्त उपायुक्त रूही डग ने कहा, “नागरिकता संशोधन कानून के कार्यान्वयन के लिए राज्य या केंद्र सरकार की ओर से हमें अवगत नहीं कराया गया है। इस बारे में हमें कोई भी अधिसूचना प्राप्त नहीं हुई है। डग ने कहा, “मैं किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं जानती, जिसे हाल के दिनों में भारतीय नागरिकता दी गई हो।”
अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आए हैं शरणार्थी
अमृतसर में रह रहे ये हिंदू और सिख शरणार्थी धार्मिक उत्पीड़न के कारण पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हैं। सीएए पारित होने के बाद, स्थानीय भाजपा नेताओं ने 2020 में अमृतसर के तत्कालीन उपायुक्त शिव दुलार सिंह के साथ अफगानिस्तान और पाकिस्तान के हिंदू और सिख परिवारों को एक साथ लाने के लिए एक बैठक बुलाई थी। परिवारों ने उनसे सीएए के तहत सुविधाओं को जल्द से जल्द लागू करने का आग्रह किया था। लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है।
शरणार्थियों के भारत अच्छा विकल्प नहीं
अफगानिस्तान के काबुल में सौंदर्य प्रसाधन की दुकान चलाने वाले गुरमीत सिंह का मानना है, “हमें नहीं लगता कि भारत अफगानिस्तान में हिंदुओं और सिखों के लिए एक अच्छा विकल्प है। हमारे कई रिश्तेदार और परिचित हैं, जो पहले भी भारत आ चुके हैं। वहां उसकी हालत ठीक नहीं है। उनमें से कुछ लौट आए थे। भारत में शरणार्थियों पर कोई स्पष्ट नीति नहीं है।”
2020 में लागू किया गया है सीएए
लोकसभा में मंजूरी के बाद सीएए 11 दिसंबर 2020 को राज्यसभा में पारित हो गया था। राज्यसभा में बिल को 125 से 105 के अंतर से पारित किया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा विधेयक पर हस्ताक्षर करने के बाद, यह कानून बन गया। तब से यह कानून पूरे देश में लागू हो गया है और केंद्र सरकार ने अधिसूचना भी जारी कर दी है।
संशोधित नागरिकता कानून में क्या है?
संशोधित नागरिकता कानून में कहा गया है कि हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई, जो धार्मिक उत्पीड़न के कारण, 31 दिसंबर, 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए थे, उन्हें अवैध अप्रवासी नहीं माना जाएगा और उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी।
किसे फायदा नहीं होगा?
श्रीलंका के तमिलों, म्यांमार के मुसलमानों के साथ-साथ पाकिस्तान के मुस्लिम समुदायों के व्यक्तियों को कानून से लाभ नहीं होगा।
देश में 5 जगहों पर लागू नहीं होगा ये कानून
यह संशोधन संविधान की छठी अनुसूची में शामिल असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों के साथ-साथ बंगाल पूर्वी सीमा विनियमन, 1873 में अधिसूचित क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा।
क्या है शर्त?
वर्तमान में, किसी भी विदेशी को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए कम से कम 11 वर्षों तक भारत में रहना चाहिए। नागरिकता संशोधन विधेयक में इस शर्त में छह साल की छूट दी गई है। इसके लिए भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 में कुछ बदलाव किए गए हैं। ये बदलाव भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने वालों के लिए कानूनी रूप से सुविधाजनक होगा।