मुंबई में लाल परी, कहां चली?

गांव के रास्ते के चप्पे-चप्पे से वाकिफ एसटी चालकों को मायानगर की चक्करगली के बारे में जानकारी कम है।इसलिए वह अपने गंतव्य के रास्ते को भूल जाते हैं । इस वजह से यात्रियों को काफी परेशानी हो रही है।

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एसटी के ड्राइवर और कंडक्टर दोनों परेशान हैं।’जहां गांव वहां एसटी’ का स्लोगन देनेवाले एसटी महामंडल की बसें कोरोना काल में मुंबई की सड़कों और गलियों में खूब घूम रही हैं। लेकिन गांव के रास्ते के चप्पे-चप्पे से वाकिफ एसटी चालकों को मायानगरी की चक्करगली के बारे में जानकारी कम है। इसलिए वे बसों के रास्ते को भूल जाते हैं। इस वजह से यात्रियों को काफी परेशानियो का सामना करना पड़ रहा है।

किराए पर चल रही हैं एसटी की बसें
कोरोना महामारी की वजह से मार्च महीने से मुंबई की लाइफ लाइन कही जाने वाली लोकल ट्रेनें बंद कर दी गई हैं। तब से अब तक करीब 9 महीने हो गए हैं। लोकल ट्रेन में सामान्य लोगों की यात्रा करने की इजाजत नहीं है। करीब दो महीने पहले से महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने अनलॉक के तहत पाबंदियां हटानी शुरू की है और अब तक मायानगरी में ज्यादातर काम-काज सामान्य रुप से होने लगे हैं। लेकिन लोकल में अभी भी सामान्य जनों की यात्रा की इजाजत नहीं है। इस वजह से लोकल में सफर करनेवाले यात्री बसों में सफर करने के लिए मजबूर हैं। कोरोना महामारी के मद्देनजर यात्रा के दौरान सोशल डिस्टैंसिंग के साथ ही अन्य तरह के दिशानिर्देशों का पालन करना जरुरी है। इस कारण बेस्ट की बसें यात्रियों के लिए कम पड़ने लगी हैं। इसलिए सरकार ने एसटी की बसों को मुंबई में चलाने की इजाजत दी है। बेस्ट प्रशासन ने एसटी को ड्राइवर और कंडक्टर के साथ किराए पर लिया है। तब से मुबंई की सड़कों पर एसटी की बसें दौड़ती हुई देखी जा रही हैं।

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रुप-रेखा पर नहीं किया गया विचार
इतने बड़े निर्णय लेने से पहले उद्धव सरकार ने इसकी कोई रुप-रेखा तैयारी की, ऐसा नहीं लगता। मुंबई में बसों को चलाने के लिए पास के डिपो से ही एसटी बसों का लाना चाहिए क्या? बसें अगर दूर-दराज की हैं तो मुंबई में चलाने के लिए पास के किसी डिपो से ड्राइवर-कंडक्टर नियुक्त किया जाना चाहिए क्या? (क्योंकि उन्हें मुंबई के रुटों के बारे में जानकारी है) इस तरह की कई रपरेखा नहीं तैयार की गई। मुंबई में दूर-दराज के एसटी ड्राइवरों और कंडक्टरों को रुट के बारे में जानकारी नहीं होने से गंतव्य तक बसों को ले जाने में काफी परेशानी हो रही है। इस वजह से यात्रियों को भी भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है।

इन क्षेत्रों की 100 एसटी बसें
मराठवाड़ा, कोकण, पश्चिम महाराष्ट्र आदि महाराष्ट्र के दूर दराज के क्षेत्रों की कुल 100 एसटी बसें मुंबई में चलाई जा रही हैं। इसमें ड्राइवर- कंडक्टरों की 8 दिनों की ड्यूटी लगाई जाती है। जो ड्राइवर-कंडक्टर इस शर्त को मानने से इनकार कर देते हैं, उन्हें निलंबित कर दिया जाता है। नौकरी जाने के डर से वे सरकार की शर्तों पर काम करने को मजबूर हैं।
ज्यादातर एसटी बसों के ड्राइवरों को मुंबई क रुट की जानकारी नहीं है। इसलिए गल्ती से दूसरे रुट पर बस को ले जाते हैं। इस हालत में यात्रियों को उन्हें रास्ता बताना पड़ता है। इस वजह से जहां इंधन की बर्बादी हो रही है, वहीं लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में भी देरी हो रही है और उनका कीमती समय बर्बाद हो रहा है।

8 दिन में बदल जाते हैं कंडक्टर-ड्राइवर
सभी मार्गों पर हर 8 दिन में ड्राइवर-कंडक्टर बदल जाते हैं। नये ड्राइवर को रास्ते की जानकारी नहीं और कंडक्टर को किराए कए बारे में पता नहीं है। वे यात्रियों से पूछकर लोगों से किराया लेते हैं। इस वजह से कई बार लोगों को ज्यादा किराया भी चुकाना पड़ता है।

रहने की व्यवस्था उत्तम, खाने की व्यवस्था नहीं
बेस्ट ने एसटी कामगारों के रहने की अच्छी व्यवस्था की है लेकिन खाने की व्यवस्था नहीं की है। ड्राइवर-कंडक्टर दोनों इधर -उधर कहीं भी खाना खाते हैं। कोरोना काल में यह काफी खतरनाक है।

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