Indus Water Treaty: बूंद-बूंद के लिए तरसेगा पाकिस्तान, जानें क्या है भारत का प्लान ?

रविवार (22 अप्रैल) को भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ एक शक्तिशाली ताकत के रूप में 1960 के सिंधु जल संधि को सशक्त प्रभाव से मुक्त कर दिया। अब सवाल है कि पाकिस्तान पर इसका क्या असर होगा? क्या वहां पानी की एक-एक बूंद के लिए हाहाकार मच सकती है?

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– अमन

जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के पहलगाम (Pahalgam) में मंगलवार (22 अप्रैल) को हुए आतंकी हमले (Terrorist Attack) ने सिर्फ 26 जिंदगियों को नहीं छीना, बल्कि भारत (India) की सहनशीलता की सीमा भी पार कर दी। इस हमले ने भारत को इतना झकझोर दिया कि आखिरकार भारत सरकार (Government of India) ने एक बड़ा कदम उठाया है।

रविवार (22 अप्रैल) को भारत ने पाकिस्तान (Pakistan) के खिलाफ एक शक्तिशाली ताकत के रूप में 1960 के सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को सशक्त प्रभाव से मुक्त कर दिया। अब सवाल है कि पाकिस्तान पर इसका क्या असर होगा? क्या वहां पानी की एक-एक बूंद के लिए हाहाकार मच सकती है? एक तरफ जहां 17 करोड़ आम नागरिकों से सीधे तौर पर प्रभावित होने की बात कही जा रही है। दूसरी ओर, पाकिस्तान सरकार भी सिंधु नदी का पानी वापस पाने के लिए कुछ करने की बात कर रही है। डॉन अखबार की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के लिए अब सिंधु नदी का पानी पाना आसान नहीं है। पाकिस्तान को पानी तभी वापस मिलेगा जब भारत इस पर जोर देगा।

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पाकिस्तान में अब जल संकट
पाकिस्तान की 80 प्रतिशत कृषि सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के पानी पर निर्भर है। अब अगर भारत इन नदियों का पानी रोक देता है तो पाकिस्तान में जल संकट गहरा जाएगा। वहां की आर्थिक स्थिति खराब हो जाएगी। इसके अलावा पाकिस्तान कई बांधों और हाइड्रो प्रोजेक्ट से बिजली बनाता है। पानी की कमी से बिजली उत्पादन में गिरावट आ सकती है, जिसका असर आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों पर पड़ेगा। करीब 16 मिलियन हेक्टेयर कृषि भूमि सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है। करीब 30 करोड़ लोग, जो कि कुल आबादी का 61 प्रतिशत है, इसी से अपनी आजीविका चलाते हैं। पाकिस्तान के प्रमुख शहर कराची, लाहौर और मुल्तान को भी सिंधु और उसकी सहायक नदियों से ही जलापूर्ति होती है।

सिंधु जल संधि समझौता
सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई थी। इस पर कराची में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे। इसमें 12 अनुच्छेद और 8 परिशिष्ट हैं। बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच 6 नदियों के पानी को बांटने का समझौता हुआ था, जिसे सिंधु जल संधि कहा जाता है। समझौते के तहत भारत को तीन पूर्वी नदियों (रावी, व्यास और सतलुज) का अधिकार मिला, जबकि पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम और चिनाब) के इस्तेमाल की छूट दी गई।

कैसे रोकेंगे पानी?
बता दें कि भारत ने सालों की मेहनत से सिंधु नदी जल संधि पर अपनी स्थिति मजबूत की है। भारत ने कई ऐसी परियोजनाएं विकसित की हैं, जिससे पाकिस्तान की ओर बहने वाली सभी नदियों का पानी रोका जा सकता है।

भारत के पांच बड़े निर्णय
पहलगाम हमले में पाकिस्तान के शामिल होने की पुष्टि के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए।

– सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है।

– अटारी सीमा चौकी बंद की गई।

– पाकिस्तानी नागरिकों के सार्क वीजा रद्द, 48 घंटे में भारत छोड़ने का आदेश।

– पाकिस्तानी रक्षा अताशे को ‘अवांछित व्यक्ति’ घोषित कर देश छोड़ने का आदेश। भारत ने इस्लामाबाद से अपने रक्षा अताशे को भी बुला लिया। इन अधिकारियों के साथ ही दोनों देशों के उच्चायोगों से पांच सहायक कर्मचारियों को भी हटाया जाएगा। ये सभी पद अब समाप्त कर दिए गए हैं, यानी जब तक स्थिति में सुधार नहीं होता, इन पदों पर दोबारा नियुक्ति नहीं की जाएगी।

– दोनों देशों के उच्चायोगों में कर्मचारियों की संख्या घटाकर 30 कर दी गई है, जो पहले 55 थी। यह बदलाव 1 मई 2025 तक लागू हो जाएगा।

भारत में होगा जल संकट का समाधान
विशेषज्ञों का कहना है कि सिंधु जल संधि को रोकने के फैसले का पाकिस्तान और भारत पर अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा। अगर भारत इन नदियों के पानी का प्रबंधन नहीं करता है तो पाकिस्तान की 60 फीसदी आबादी को भयानक बाढ़ का सामना करना पड़ेगा। वहीं दूसरी ओर भारत में नदियों का पानी रोककर उत्तर-पश्चिमी भारत में जल संकट को हल किया जा सकता है।

देखें यह वीडियो – 

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