आतंकी पाकिस्तान लगाए ‘आतंक’ की गुहार, कतर पर इस्लामी ब्रदरहुड के डोरे

विश्व के इस्लामी देशों के संगठनों की आड़ में पाकिस्तान अपनी आतंकी करतूत छुपाता रहता है। अपने आपको बचाने के लिए वह भारत के विरुद्ध दुस्प्रचार करता रहा है।

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इस्लामी देशों संग भारत के संबंधों में सुधार पाकिस्तान से देखा नहीं जा रहा है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विभिन्न देश 6 बार अपने सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित कर चुके हैं। यह पड़ोसी देश पाकिस्तान को सहन नहीं हो रहा था। पाकिस्तानी सरकार, खुफिया एजेंसी आईएसआई और उसके एजेंट भारत के विरुद्ध लगातार जहर उगलते रहते हैं। पाकिस्तान आतंकियों की शरणस्थली है इसलिए वैश्विक एजेंसी एफएटीएफ (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) ने उसे वर्षों तक ग्रे सूची में डाल रखा था। इसके बाद भी आश्चर्य तब होता है, जब पाकिस्तान जैसा आतंकी देश भारत का नाम लेकर आतंक की गुहार लगाता है।

भारत के संबंध इस्लामी देशों से अच्छे रहे हैं। इसमें इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) के 56 देश भी हैं, जिन्होंने पाकिस्तान को दरकिनार करके वर्ष 2019 में भारत को गेस्ट ऑफ ऑनर बनाया। इस बीच भारत के संबंध कतर और संयुक्त अरब जैसे कट्टर इस्लामी देशों से भी सुधरे हैं। कतर से सुधरे संबंध से बौखलाए पाकिस्तान और उसकी एजेंसियों ने दुस्प्रचार का सहारा लेकर हमला शुरू कर दिया है। पाकिस्तानी सरकारी तंत्र से जुड़े मीडिया ने कतर को इस्लामिक ब्रदर्ली कंट्री के रूप में संबोधित किया है। इससे स्पष्ट है कि, कतर और भारत के गहरे संबंधों पर इस्लामी ब्रदरहुड के नाम पर आतंकी कलेवर और जासूस का तमगा चढ़ाना चाहता है पाकिस्तान। उसके इस प्रयत्न में ताजा घटनाक्रम है, कतर में निजी कंपनी में कार्यरत् आठ भारतीयों के हिरासत में लिये जाने की घटना। यह सभी कतर की डिफेंस इस्टैब्लिशमेन्ट के सुरक्षा मामलों की सहायक कंपनी के साथ संलग्न थे। इन्हें हिरासत में लिये जाने की सूचना जब एक सोशल मीडिया से वायरल हुई तो पाकिस्तान ने इसे मुद्दा बनाकर झूठी खबर प्रसारित करना शुरू कर दिया।

भारत और कतर के मजबूत संबंध
कतर के साथ भारत के संबंध प्रगाढ़ रहे हैं। इसमें राजनीतिक, कूटनीतिक, रक्षा क्षेत्र, कमर्शियल व निवेश और सांस्कृतिक संबंधों का समावेश रहा है। भारत रक्षा क्षेत्र में कतर का सहयोगी है। कतर के रक्षा क्षेत्र को भारतीय विशेषज्ञ प्रशिक्षण देते हैं। भारत, दोहा इंटरनेशनल मैरीटाइम डिफेंस एक्जिबिशन एंड कॉन्फ्रेन्स (डीआईएमडीईएक्स) में सहभाग लेता है। भारतीय नौसेना और कोस्ट गार्ड के लड़ाकू जहाज कतर से द्विपक्षीय संबंधों के मद्देनजर नियमित जाते रहे हैं। नवंबर, 2008 में भारतीय प्रधानमंत्री की कतर यात्रा के दौरान ‘इंडिया कतर डिफेंस को-ऑपरेशन एग्रीमेंट’ पर हस्ताक्षर किये गए थे। इसे 2018 में पांच वर्षों के लिए बढ़ाया गया। इस समझौते को लागू करने के लिए दोनों देशों की ‘जॉइंट डिफेंस कोऑपरेशन कमिटी’ (जेडीसीसी) का गठन किया गया।

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दोनों देशों के बीच राजनीतिक संबंध भी प्रगाढ़ रहे हैं। कतर भारत का सबसे बड़ा लिक्विफाइड नेचुरल गैस (एनएलजी) का आपूर्तिकर्ता रहा है। दोनों देशों के बीच वर्ष 2020-21 में 9.21 बीलियन का व्यापार हुआ था। कतर से भारत को एनएलजी, एलपीजी (लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस), केमिकल,पेट्रोकेमिकल, प्लास्टिक, एल्युमीनियम और लोहे के सामान आदि का मिलता है।

पाकिस्तान का दुस्प्रचार तंत्र
कतर के साथ भारत का संबंध हमेशा से पाकिस्तान को अखरता रहा है। वैसे, कतर ही नहीं इस्लामी सहयोग संगठन के सभी देशों से भारत के अच्छे संबंध पाकिस्तान अपनी साख का प्रश्न मानता है। इसके लिए वह इस्लामी चाल चलकर, भारत के विरुद्ध दुस्प्रचार करके इन संबंधों को तोड़ने का प्रयास करता रहा है। कतर के साथ रक्षा क्षेत्र में समझौते के बाद भी वर्तमान की घटना दोनों देशों का आपसी प्रकरण है, इसके बावजूद पाकिस्तान ने इसे अवसर के रूप में ले लिया और उसका सरकारी तंत्र, आईएसआई के पे रोल पर पल रहे प्रचार तंत्र और पाकिस्तानी मीडिया ने आठ भारतीय सेवानिवृत्त नौसैनिकों की हिरासत को गिरफ्तारी के रूप में प्रस्तुत कर दिया है। इसे वह भारत की आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता बता रहा है। जबकि इतिहास साक्षी है कि वैश्विक परिप्रेक्ष्य में एक भी ऐसी आतंकी घटना नहीं है, जिनमें भारत की संलिप्तता रही हो।

कतर की घटना
कतर एमीरी नौसेना को प्रशीक्षण देनेवाले भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को हिरासत में लिये जाने की सूचना एक सोशल मीडिया साइट से एक महिला डॉ.मीतू भार्गव ने साझा की। इसी का सहारा लेकर पाकिस्तानी एजेंसियों ने भारत को निशाना बनाना शुरू कर दिया। डॉ.मीतू लिखती हैं कि, पूर्व अधिकारी अवैध रूप पिछले 57 दिनों से दोहा में हिरासत में हैं। इस ट्वीट को महिला ने प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री एस.जयशंकर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को टैग किया है।

जिन अधिकारियों की बात ट्वीट में सामने आई है, वे ‘दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी एंड कंसल्टंसी’ के लिए काम कर रहे थे। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी कतर डिफेंस, स्थानीय सुरक्षा और सरकार की स्थानीय साझीदार है। इस कंपनी के सीईओ खमीस अल अजमी हैं जो रॉयल ओमान एयर फोर्स के पूर्व स्क्वॉड्रन लीडर हैं। इस प्रकरण में जिनके हिरासत में लिये जाने की चर्चा है, उसमें भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त कमांडर पुर्णेंदु तिवारी भी है। उन्हें वर्ष 2019 में प्रवासी भारतीय सम्मान से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों सम्मानित किया चुका है। इस विषय में कतर ने कोई आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की है।

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पाकिस्तान इस्लामी आतंक का अड्डा
यह देश लंबे काल से आतंकियों की शरणस्थली रहा है। भारत में सक्रिय सभी इस्लामी आतंकी संगठनों का केंद्र पाकिस्तान ही है। इनमें से कुछ के नाम यहां दे रहे हैं, जिसे साउथ एशिया टेरोरिज्म पोर्टल ने सूची बद्ध किया है।

पाकिस्तान के आतंकी हथियार
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), हिज़्ब-उल- मुजाहिदीन (एचएम)
हरकत-उल- अंसार (एचयूएल, जिसे वर्तमान में हरकत-उल मुजाहिदीन के नाम से जाना जाता है)
हरकत-उल-मुजाहिदीन (एचयूएम, जिसे पहले हरकत-उल-अंसार के नाम से जाना जाता था)
अल बद्र, जमात-उल- मुजाहिदीन (जेयूएम), लश्कर-ए-जब्बार (एलईजे), हरकत-उल- जेहाद-अल-इस्लामी (हूजी), मुत्ताहिदा जेहाद परिषद (एमजेसी), अल बरकी, तहरीक-उल-मुजाहिदीन, जम्मू और कश्मीर नेशनल लिबरेशन आर्मी, पीपुल्स लीग, मुस्लिम जांबाज फोर्स, कश्मीर जेहाद फोर्स, अल जेहाद फोर्स (मुस्लिम जांबाज फोर्स और कश्मीर जेहाद फोर्स को जोड़ती है), अल उमर मुजाहिदीन, महज़-ए-आज़ादी, इस्लामी जमात-ए-तुलबा, जम्मू और कश्मीर छात्र मुक्ति मोर्चा, इखवान-उल- मुजाहिदीन, इस्लामिक स्टूडेंट्स लीग, तहरीक-ए-हुर्रियत-ए-कश्मीर, मुस्लिम मुजाहिदीन, अल मुजाहिद फोर्स, बलूच रिपब्लिकन आर्मी (बीआरए), जमात-उल-अहरार (जेयूए), लश्कर-ए-इस्लाम (एलआई), हक्कानी नेटवर्क (एचएन), बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (बीएलएफ), हिज़्ब-उत-तहरीर (एचयूटी), तारिक गिदर ग्रुप (टीजीजी), जमात-उल-दावा अल-कुरान (जेडीक्यू), यूनाइटेड बलूच आर्मी (यूबीए), बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए), तंजीम-उल-इस्लामी-उल-फुरकान (टीआईएफ),              तालिबान, बलूच रिपब्लिकन गार्ड्स (बीआरजी), बलूच लिबरेशन यूनाइटेड फ्रंट (बीएलयूएफ), हक्कानी नेटवर्क (एचएन), हिज़्ब-उत-तहरीर (एचयूटी), लश्कर-ए-जब्बार (एलईजे), सिंधुदेश लिबरेशन आर्मी (एसएलए), सुन्नी तहरीक (एसटी)

इन आतंकी संगठनों की शरणस्थली है पाकिस्तान, जबकि भारत शांति प्रिय देश है, जहां आतंक के लिए जीरो टॉलरेन्स पॉलिसी है। भारत न आतंक सहता है और न ही आतंक को पालता है।

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